जानें कैसे,स्मार्ट गारमेंट्स के जरिये अब रियल टाइम में हैल्‍थ पर रखी जा सकेगी निगरानी

 विज्ञान के तेजी से विकास के साथ दुनिया भर के वैज्ञानिक स्मार्ट उपकरणों की नई पौध तैयार करने में निरंतर प्रयासरत हैं। इसी में शामिल हैं स्मार्ट कपड़े, जिनको तैयार करने का उद्देश्य हमारे कई कार्यों को आसान बनाना है। अब इस दिशा में वैज्ञानिकों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। 

दरअसल, उन्होंने एक ऐसा तरीका ईजाद किया है, जिसके जरिये कपड़ों में चार्ज यानी करेंट को स्टोर किया जा सकेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस विधि की मदद से स्वयं संचालित स्मार्ट गारमेंट्स को तैयार करने का मार्ग प्रशस्त होगा और इनके जरिये रियल टाइम में स्वास्थ्य की निगरानी की जा सकेगी। इसकी मदद से पहने जा सकने वाले बायोसेंसर को ऊर्जा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी और उनका आकार भी नहीं बढ़ेगा।

अभी ये हैं समस्याएं

बता दें कि पहने जा सकने वाले बहुत से बायोसेंसर विकसित किए जा चुके हैं, जो स्वास्थ्य की निगरानी में सक्षम हैं। हालांकि इन्हें तैयार करने में फिलहाल कुछ परेशानियां आती हैं। अभी जो भी इस तरह के बायोसेंसर तैयार किए गए हैं उनका वजन अधिक होता है और पावर सप्लाई भी सीमित होती है। इसकी मुख्य वजह ऊर्जा उपलब्ध कराने के अब तक प्रयोग किए जा रहे तरीके हैं। यही वजह थी कि वैज्ञानिकों ने इस दिशा में सुधार करने पर विचार किया और यह नई विधि विकसित की।

किसी भी कपड़े पर काम करेगी विधि

इस नई विधि को अमेरिका स्थित मैसाचुसेट्स एमहस्र्ट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने विकसित किया है, जिसके तहत उन्होंने एक ऐसा चार्ज स्टोर करने वाली प्रणाली तैयार की है, जिसके जरिये किसी भी कपड़े पर चार्ज स्र्टोंरग पैटर्न को लगाया जा सकेगा। यानी किसी भी कपड़े को ऐसा बनाया जा सकेगा कि उसमें करेंट को स्टोर किया जा सके।

फिलहाल सीमित है क्षमता

इस अध्ययन की प्रमुख त्रिशा एल एंड्रयू कहती हैं, ज्यादातर पोर्टेबल और पहने जा सकने वाले उपकरणों में अभी तक जिन बैटरियों या चार्ज स्टोर करने वाले उपकरणों से ऊर्जा पहुंचाई जाती है उनकी क्षमता बेहद सीमित होती है। वहीं, यदि इनकी सीमा को बढ़ाकर इन्हें अधिक ऊर्जा स्टोर करने के लिहाज से तैयार किया भी जाता है तो इनका आकार बहुत बढ़ जाता है और वजन में भी इजाफा हो जाता है। इसके चलते इनका प्रयोग करने वालों को असुविधा का सामना करना पड़ता है। यही वजह है कि हमने इसका हल तलाशने पर विचार किया।

कैसे काम करती है नई विधि

वैज्ञानिकों ने इस विधि में एक माइक्रो- सुपरकपैसिटर का प्रयोग किया है, जिसे एक पॉलीमर फिल्म के साथ वेपर कोटेड प्रवाहकीय धागे से जोड़ा गया है। इसके साथ ही इलेक्ट्रोड के लचीले जाल को बनाने के लिए सिलाई की विशेष तकनीक का प्रयोग किया गया है।

यह परिणाम देखने को मिले

वैज्ञानिकों ने जब इस विधि से यह प्रणाली तैयार की तो उन्होंने पाया कि इससे चार्ज को स्टोर करने की क्षमता में इजाफा हो गया। इतना ही नहीं इससे आकार में भी वृद्धि नहीं करनी पड़ी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस विधि के जरिये पहने जा सकने वाले बयोसेंसर को तैयार करने में खासी मदद मिल सकेगी। इसके जरिये बायोसेंसर को ऊर्जा व्यक्ति के कपड़े से ही मिल सकेगी और किसी अन्य बैटरी या विकल्प की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

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