हिन्दू कैलेंडर के अनुसार इस साल वैशाख कालाष्टमी का व्रत 20 अप्रैल को मनाया जा रहा है. इस दिन सही मुहूर्त में काल भैरव की पूजा का विधान है. इस दिन पूजा करने से शत्रुओं के भय से मुक्ति मिलती है.
कालाष्टमी की व्रत कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, एक बार ब्रह्मा जी ने भगवान भोलेनाथ का अपमान कर दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने रौद्र रूप में काल भैरव का अवतार लिया. काल भैरव ने ब्रह्मा जी का मुख्य सिर काट दिया. इसके बाद ब्रह्मा जी ने काल भैरव बाबा से माफी मांगी, जिसके बाद काल भैरव शांत हुए. लेकिन ब्रह्मा जी के सिर को काटने की वजह से बाबा भैरव यानी भगवान शिव पर ब्रह्महत्या का पाप लग गया. इसके बाद भगवान शिव ने भैरव को ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति दिलाने के लिए धरती पर आने को कहा.
बाबा भैरव ने कई वर्षों तक भगवान शिव के बताए मार्ग पर चलते चलते अंत में काशी में अपनी यात्रा पूरी की. काल भैरव को ब्रह्महत्या से मुक्ति बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में मिली, जहां वे काशी के राजा के रूप में हमेशा के लिए बस गए. काल भैरव को भगवान शिव का ही एक रूप माना जाता है.
व्रत का महत्व
वैशाख कालाष्टमी के दिन व्रत और कथा का पाठ करने से शत्रुओं और सभी भय से मुक्ति मिलती है.
कालाष्टमी का व्रत रखने से जादू-टोने और टोने-टोटके से सुरक्षा मिलती है.
इस दिन व्रत रखने से जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं.
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