पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी की सक्रिय राजनीति में वापसी पर प्रधानमंत्री ओली ने लगाया ब्रेक

काठमांडू : पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी के सक्रिय राजनीति में आने की घोषणा पर पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने ब्रेक लगा दिया है। नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी (यूएमएल) की केंद्रीय समिति की बैठक में भंडारी की पार्टी सदस्यता खारिज करने और सक्रिय राजनीति में कोई भूमिका नहीं देने का निर्णय किया गया है।

सीपीएन-यूएमएल ने निष्कर्ष निकाला है कि पूर्व राष्ट्रपति भंडारी, जिन्होंने नेपाल सेना के राष्ट्राध्यक्ष और कमांडर-इन-चीफ के रूप में कार्य किया है, उन्हें पार्टी की राजनीति में वापस नहीं लौटना चाहिए।

यूएमएल के प्रचार प्रमुख राजेंद्र गौतम के अनुसार, मंगलवार को आयोजित केंद्रीय समिति की बैठक के दौरान पार्टी ने निष्कर्ष निकाला कि एक पूर्व राष्ट्रपति को जो गणतंत्र का प्रतीक होता है उन्हें पार्टी का नेता या कैडर बनाना संविधान की भावना के खिलाफ होगा।

मंगलवार की मध्यरात तक चली पार्टी बैठक के बाद एक प्रेस ब्रीफिंग में गौतम ने कहा कि पार्टी पूर्व राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी का सम्मान करती है, लेकिन जिस व्यक्ति ने इस तरह का उच्च संवैधानिक पद संभाला है, उसे फिर से किसी राजनीतिक दल का प्रतिनिधित्व नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह की भागीदारी राष्ट्रपति पद की गरिमा को कमजोर करेगी और जनता की आलोचना को आमंत्रित करेगी।

पार्टी की बैठक में केपी शर्मा ओली को यूएमएल अध्यक्ष के रूप में बने रहने का भी समर्थन मिला, जिसमें 70 साल की आयु सीमा और दो कार्यकाल की सीमा को हटा दिया गया। इन संशोधनों को आगामी विधान सम्मेलन में पारित किए जाने की उम्मीद है।

गौतम ने कहा कि बैठक में बोलने वाले अधिकांश नेताओं ने मिशन-2084 अभियान के लिए ओली के निरंतर नेतृत्व का समर्थन किया। उन्होंने यह भी कहा कि उपाध्यक्ष सुरेंद्र पांडे और युवराज ज्ञवाली सहित कुछ नेता और स्थायी समिति के सदस्य कर्ण बहादुर थापा भंडारी को वापस लौटने से रोकने के फैसले से असहमत थे।

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