आवारा कुत्तों को मिलेगा शेल्टर होम या सड़कें ही बनी रहेंगी ठिकाना, सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आज

Supreme Court On Stray Dog: देश की राजधानी दिल्ली समेत पूरे एनसीआर क्षेत्र में आवारा कुत्तों की बढ़ती समस्या पर सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त 2025 को एक अहम फैसला सुनाने जा रहा है. यह फैसला तीन न्यायाधीशों की विशेष पीठ की ओर से सुनाया जाएगा, जो सुबह 10:30 बजे से कार्यवाही शुरू करेगी. इससे पहले 14 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी कर ली गई थी और कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था. देश की शीर्ष अदालत के फैसले के साथ ही साफ हो जाएगा कि आवारा कुत्तों को शेल्टर होम मिलेंगे या फिर सड़कें ही उनका ठिकाना होंगी.

क्या शेल्टर होम का आदेश लागू रहेगा?

मामला सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की पीठ के उस फैसले से जुड़ा है, जिसमें आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम में रखने के निर्देश दिए गए थे. इस आदेश के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गईं और मामला तीन जजों की विशेष पीठ को सौंपा गया. अब सवाल यह है कि क्या कोर्ट इस आदेश पर अंतरिम रोक लगाएगा या इसे लागू रहने देगा?

डॉग बाइट के मामलों में तेज़ी से वृद्धि
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, साल 2024 में देशभर में कुत्तों के काटने के 37.15 लाख मामले दर्ज किए गए, यानी हर दिन औसतन 10,000 लोग इस समस्या के शिकार हो रहे हैं. वहीं, WHO की रिपोर्ट के मुताबिक 2023 में 305 लोगों की मौत डॉग बाइट के कारण हुई थी. ऐसे में यह मुद्दा सिर्फ पशु कल्याण तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा का भी गंभीर विषय बन गया है.

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व दिशा-निर्देश
28 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने कई महत्वपूर्ण आदेश दिए थे, जिनमें शामिल हैं:

– दिल्ली-NCR के संवेदनशील इलाकों से आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर होम में भेजा जाए।

– सभी पकड़े गए कुत्तों का रिकॉर्ड रखा जाए और उनका टीकाकरण एवं नसबंदी सुनिश्चित की जाए।

– शेल्टर होम की स्थिति पर दो महीने के भीतर रिपोर्ट पेश की जाए।

– शेल्टर से कोई कुत्ता बाहर न निकले, इसके लिए CCTV निगरानी हो।

– अगर कोई व्यक्ति इस अभियान में बाधा डालता है, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाए।

कोर्ट का संतुलित रुख
सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संदीप मेहता और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया ने यह स्पष्ट किया कि कोर्ट जानवरों के जीवन के प्रति भी संवेदनशील है, लेकिन साथ ही मानव जीवन और सुरक्षा सर्वोपरि है. कोर्ट का प्रयास है कि एक संतुलन बनाया जाए, जिससे न तो जानवरों के अधिकारों का हनन हो और न ही आम जनता की सुरक्षा खतरे में पड़े.

22 अगस्त का दिन दिल्ली-NCR समेत पूरे देश के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भविष्य की नीतियों को तय कर सकता है. यह देखा जाएगा कि अदालत आवारा कुत्तों की समस्या पर सख्त रुख अपनाती है या पशु कल्याण के नाम पर नरम रुख अपनाती है.

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