वैदिक पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक रहता है और सर्व पितृ अमावस्या के दिन समापन होता है. यह अवधि पितरों को समर्पित मानी जाती है, जो कि 15 दिनों तक चलती है. यह एक प्रकार से पितृ पक्ष पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का समय है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इस दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं. इसके साथ ही पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है. मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से साधक को पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. साथ ही पितरों की कृपा प्राप्त होती है. वहीं इस बार पितृ पक्ष 07 सितंबर से शुरू हो रहे हैं.
पीपल के पेड़ की पूजा
पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना काफी फायदेमंद माना जाता है. मान्यता है कि इस पेड़ में पितरों का वास माना जाता है. इस पेड़ के पास दीपक में तेल और काले तिल डालकर जलाएं. इसके बाद पेड़ की सात बार परिक्रमा करें. इससे पितृ जल्दी प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है.
पितृ चालीसा का पाठ
पितृपक्ष में रोजाना आपको पितृ चालीसा का पाठ करने से लाभ मिल सकता है. इसी के साथ गीता के सातवें अध्याय का भी पाठ करना चाहिए, क्योंकि यह अध्ययन पितृ मुक्ति और मोक्ष से जुड़ा हुआ है.
ये काम ना करें
पितृ पक्ष के समय कई विशेष नियम का पालन करना चाहिए. पितृ पक्ष में सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार नहीं करना चाहिए. तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा किसी नए काम की शुरुआत न करें. इस अवधि में मदिरा के सेवन से भी दूरी बनानी चाहिए. साथ ही पितृपक्ष के दौरान नाखून और बाल काटने से भी व्यक्ति को बचना चाहिए. लेकिन यह नियम केवल उनपर लागू होता है, जो तर्पण आदि करते हैं.
इन चीजों का करें दान
पितृ पक्ष में दान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में किसी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है. जरूरतमंदों और गरीब लोगों के बीच अन्न, कपड़े, भूमि, तिल, सोना, घी, गुड़, चांदी और नमक आदि का दान करना चाहिए.
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