Global Maritime CEO Forum: भारत के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को नए अवसरों के साथ नया रूप दिया जा रहा है. इस बीच पीएम मोदी मुंबई में होने वाले भारत के समुद्री सीईओ फोरम को संबोधित करेंगे. इस बार समुद्री सप्ताह का आयोजन 27 से 31 अक्टूबर तक मुंबई में किया जाएगा. इसी कार्यक्रम में पीएम मोदी शिरकत करेंगे और समुद्री सीईओ फोरम को संबोधित करेंगे. केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि इस बार भारत समुद्री सप्ताह न केवल विचारों का संगम होगा, बल्कि विश्वास का भी संगम होगा.
‘दुनिया भारत को उभरती समुद्री शक्ति के रूप में देख रही’
उन्होंने आगे कहा कि, “जिस तरह से पीएम मोदी ने हमारे समुद्री दृष्टिकोण का मार्गदर्शन किया है, दुनिया अब भारत को एक विश्वसनीय साझेदार और उभरती समुद्री शक्ति के रूप में देख रही है.” उन्होंने कहा कि, ग्लोबल मैरीटाइम सीईओ फोरम में उनकी उपस्थिति वैश्विक उद्योग जगत के नेताओं को भारत की विकास गाथा में निवेश करने के लिए प्रेरित करेगी.
समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में हो रहा बदलाव- सर्बानंद सोनोवाल
सोनोवाल ने एक प्रेस बयान में कहा कि, पीएम मोदी के नेतृत्व में 2014 से भारत के समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का कायाकल्प हुआ है. इस दौरान सागरमाला, मैरीटाइम इंडिया विज़न (MIV) 2030 और मैरीटाइम अमृत काल विज़न (MAKV) 2047 जैसी प्रमुख पहल बंदरगाहों, नौवहन और अंतर्देशीय जलमार्गों में बदलाव ला रही है. उन्होंने कहा कि, भारत की बंदरगाहों की क्षमता लगभग दोगुनी हो गई है, कार्गो हैंडलिंग 1600 मिलियन मीट्रिक टन तक पहुंच गई है साथ ही बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय घटकर 22 घंटे रह गया है.
‘अंतर्देशीय जलमार्गों पर कार्गो की आवाजाही में हुआ इजाफा’
केंद्रीय मंत्री सोनोवाल ने कहा कि, “2014 में पांच चालू जलमार्गों से बढ़कर अब 30 हो गए हैं. अंतर्देशीय जलमार्गों पर कार्गो की आवाजाही 2013-14 के 18 मिलियन टन से बढ़कर पिछले साल 145 मिलियन टन हो गई है. ये केवल आंकड़े नहीं हैं, बल्कि बदलाव के मील के पत्थर हैं.” केंद्रीय मंत्री ने हरित सागर नीति और हरित नौका पहल के नेतृत्व में हो रहे हरित परिवर्तन पर ज़ोर देते हुए कहा कि, जो स्वच्छ ईंधन, नवीकरणीय ऊर्जा और पर्यावरण-अनुकूल अंतर्देशीय जहाजों को बढ़ावा देते हैं. इसके साथ ही उन्होंने दिसंबर 2024 में शुरू की गई जलवाहक योजना का भी जिक्र किया. जो भारत-बांग्लादेश प्रोटोकॉल मार्ग के माध्यम से राष्ट्रीय जलमार्ग 1, 2 और 16 पर 300 किलोमीटर से अधिक माल परिवहन को परिचालन व्यय की 35 प्रतिशत तक प्रतिपूर्ति के साथ प्रोत्साहित करती है.
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