प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ज्ञान भारतम मिशन भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है. हज़ारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान ऋषियों-आचार्यों का बौद्ध और शोध, हमारी ज्ञान परंपराएं, हमारी वैज्ञानिक धरोहरों को हम ज्ञान भारतम मिशन के जरिए डिजिटाइज करने जा रहे हैं. इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हजारों पीढ़ियों का चिंतन मनन, भारत के महान आचार्यों और विद्वानों का बोध और शोध, हमारी ज्ञान परंपराएं, हमारे वैज्ञानिक धरोहरें- ज्ञान भारतम् मिशन के जरिए हम उन्हें डिजिटाइज्ड करने जा रहे हैं. मैं इस मिशन के लिए सभी देशवासियों को बधाई देता हूं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज विज्ञान भवन, भारत के स्वर्णिम अतीत के पुनर्जागरण का साक्षी बन रहा है. कुछ ही दिन पहले मैंने ज्ञान भारतम् मिशन की घोषणा की थी, और इतने कम समय में आज हम ज्ञान भारतम् इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस का आयोजन कर रहे हैं. इससे जुड़ा पोर्टल भी लॉन्च किया गया है. उन्होंने ये एक सरकारी या एकेडेमिक इवेंट नहीं है. ज्ञान भारतम् मिशन, भारत की संस्कृति, साहित्य और चेतना का उद्घोष बनने जा रहा है. आज भारत के पास दुनिया का सबसे बड़ा manuscript संग्रह है. करीब 1 करोड़ manuscripts हमारे पास हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि इतिहास के क्रूर थपेड़ों में लाखों manuscripts जल गईं, लुप्त हो गईं, लेकिन जो बची हैं, वे इसका साक्षी हैं कि ज्ञान और विज्ञान पठन पाठन के लिए हमारे पूर्वजों की निष्ठा कितनी गहरी और व्यापक थी.
भारत की ज्ञान परंपरा आज तक इतनी समृद्ध है, क्योंकि इसकी नींव 4 मुख्य पिलर्स पर आधारित हैं… संरक्षण, नवाचार, परिवर्धन और अनुकूलन…”
भारत स्वयं में एक जीवंत प्रवाह है, जिसका निर्माण उसके विचारों, आदर्शों और मूल्यों से हुआ है.
भारत की प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं.
ये पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता का घोषणा पत्र भी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत की प्राचीन पांडुलिपियों में हमें भारत के निरंतर प्रवाह की रेखाएं देखने को मिलती हैं. ये पांडुलिपियां हमारी विविधता में एकता की उद्घोष पत्र भी हैं. हमारे देश में करीब 80 भाषाओं में मनुस्क्रिप्ट(पांडुलिपियां) मौजूद है.
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