बनारस रेलवे स्टेशन का बदला कलेवर, एयरपोर्ट जैसा भव्य स्वरूप सोशल मीडिया पर छाया

वाराणसी : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी का बनारस रेलवे स्टेशन अब नए रूप में नजर आ रहा है। स्टेशन का कायाकल्प कर इसे एयरपोर्ट जैसी आधुनिक सुविधाओं से लैस कर दिया गया है। प्रधानमंत्री के आगमन से पहले स्टेशन परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया, भवनों से लेकर पौधों तक को सतरंगी विद्युत झालरों से रोशन किया गया। नए स्वरूप में स्टेशन के एंट्री पॉइंट, फुट ओवरब्रिज, सर्कुलेटिंग एरिया, यात्री हाल और यार्ड सभी जगह यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। स्टेशन पहुंचने वाले यात्री इस बदलाव को देखकर उत्साहित दिखे और सोशल मीडिया पर सेल्फी व तस्वीरें साझा करते रहे।

 

शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी ने यहां से चार नई वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को हरी झंडी दिखाकर देश को नई सौगात दी। अब तक प्रधानमंत्री अपने संसदीय क्षेत्र को कुल आठ वंदे भारत ट्रेनों की सौगात दे चुके हैं। वाराणसी जंक्शन से नई दिल्ली के लिए दो, रांची, देवघर और मेरठ के लिए एक-एक वंदे भारत ट्रेन संचालित है, जबकि पटना-गोमतीनगर वंदे भारत भी यहीं से होकर गुजरती है।

 

प्रधानमंत्री मोदी का यह 53वां ‘अपनी काशी’ दौरा था। पिछले एक दशक में वाराणसी के रेलवे स्टेशन- कैंट, सिटी, शिवपुर और काशी का कलेवर पूरी तरह बदल चुका है। रेल ही नहीं, बल्कि पूरे पूर्वांचल में इंफ्रास्ट्रक्चर और विकास कार्यों की रफ्तार को लोग महसूस कर रहे हैं। वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री ने काशी को जल परिवहन की सौगात दी थी, जिससे गंगा नदी के जरिए काशी अब बिहार और बंगाल के कई शहरों से सीधे जुड़ गई है। रामनगर के राल्हूपुर स्थित बंदरगाह से माल ढुलाई सुगम हो गई है। शहर को चारों ओर से घेरने वाली सिक्स और फोरलेन सड़कों ने अन्य शहरों से कनेक्टिविटी को और सुदृढ़ किया है।

 

प्रधानमंत्री मोदी का वाराणसी के प्रति लगाव वर्षों में और प्रगाढ़ हुआ है। हर दौरे में वे न केवल विकास कार्यों की समीक्षा करते हैं बल्कि देश-विदेश के मंचों पर भी अपने संसदीय क्षेत्र ‘काशी’ का उल्लेख गर्व से करते हैं। यहां शनिवार को उन्होंने कहा कि “हमारा प्रयास है कि बनारस आना, बनारस में रहना और बनारस की सुविधाओं को जीना, हर किसी के लिए एक विशेष अनुभव बने। यही हमारी सरकार का लक्ष्य है।”

 

उन्होंने बताया कि काशी से खजुराहो वंदे भारत के अलावा, फिरोजपुर-दिल्ली वंदे भारत, लखनऊ-सहारनपुर वंदे भारत और एर्नाकुलम-बेंगलुरू वंदे भारत को हरी झंडी दिखाई गई है। इन चार नई वंदे भारत ट्रेनों के साथ ही अब देश में 160 से ज्यादा नई वंदे भारत ट्रेनों का संचालन होने लगा है। आज जिस तरह से भारत ने विकसित भारत के लिए अपने साधनों को श्रेष्ठ बनाने का अभियान शुरू किया है, ये ट्रेनें उसमें एक मील का पत्थर बनने जा रही हैं।

 

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