Ayodhya, Mar 21 (ANI): Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath addresses the gathering during an event for the distribution of loans worth Rs 47 crore to 1,148 entrepreneurs of Ayodhya division under the 'Chief Minister Yuva Udyami Vikas Abhiyan', in Ayodhya on Friday. (ANI Photo)

सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देशन में कुंभ नगरी प्रयागराज में जापानी और भारतीय स्थापत्य कला की साझी विरासत का होगा संगम

प्रयागराज, 13 नवंबर। संगम नगरी प्रयागराज की पहचान धार्मिक ,साहित्यिक और सांस्कृतिक नगरी के रूप में जानी जीती है। योगी सरकार द्वारा महाकुंभ 2025 के भव्य और दिव्य आयोजन ने इसकी समृद्ध सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को दुनिया भर में पहुंचाया। इस भव्य आयोजन के बाद अब कुम्भ नगरी में जापानी और सनातन संस्कृति का मेल भी होगा।

भारत की सनातन संस्कृति और जापान की शिन्तो संस्कृति के मेल की साक्षी होगी संगम नगरी
हजारों किलोमीटर की दूरी और भाषा का अंतर होने के बावजूद भारत की सनातन संस्कृति और जापान की पारंपरिक शिन्तो संस्कृति में अद्भुत समानताएँ दिखाई देती हैं। दोनों ही सभ्यताएँ प्रकृति को देवतुल्य मानती हैं, आत्मसंयम को सर्वोच्च मूल्य और शांति को जीवन का आधार मानती हैं। इन दोनों संस्कृतियों की मेल की झलक की साक्षी बनने जा रही है कुम्भ नगरी प्रयागराज। यहां जापानी स्थापत्य और सांस्कृतिक प्रतीकों से प्रेरित पब्लिक प्लाजा पार्क निर्माण किया जा रहा है। नगर विकास की तरफ से इसका निर्माण किया जा रहा है, जिसकी कार्यदायी संस्था सीएनडीएस है। सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार राणा बताते हैं कि प्रयागराज में यमुना किनारे अरैल क्षेत्र में शिवालय पार्क के नजदीक 3 हेक्टेयर में इसका निर्माण किया जायेगा। नगर निगम प्रयागराज को इसका आकलन भेजा गया है। इसमें भारतीय और जापानी संस्कृति के साझा स्थापत्य के प्रतीकों का इस्तेमाल किया जायेगा।

कला और सौंदर्य में आध्यात्मिकता का संगम
प्रयागराज महाकुंभ के समय धार्मिक और आध्यात्मिक पार्कों का हब बनकर सामने आया। अरैल क्षेत्र में पहले शिवालय पार्क और अब साहित्य पार्क के निर्माण के क्रम में एक नई उपलब्धि जुड़ने जा रही है। यमुना नदी के किनारे पब्लिक प्लाजा पार्क का निर्माण हो रहा है। कार्यदायी संस्था सीएनडीएस के प्रोजेक्ट मैनेजर रोहित कुमार राणा का कहना है कि पार्क में 5 जोन बनाए जाएंगे। पार्क के चप्पे-चप्पे में जापान की शिंटो संस्कृति और भारतीय सनातन संस्कृति के साझा मूल्यों की झलक मिलेगी। पार्क में प्रवेश द्वार के स्थान पर टोरी गेट का निर्माण किया जाएगा जो शिंटो संस्कृति का प्रतीक है।
पार्क में जापानी गार्डन का बनेगा जिसमें मियावाकी वन भी विकसित किया जाएगा। पार्क में योग और भारतीय मंदिर वास्तुकला, नृत्य और संगीत की तरह जापान की टी सेरेमनी, इकेबाना और ज़ेन गार्डन में भी आध्यात्मिक भाव झलकता है। इस पार्क के अंदर भी जेन पार्क का निर्माण किया जायेगा। दोनों देशों की कला केवल सजावट नहीं, बल्कि आत्म-अनुशासन और साधना का माध्यम है। समरसता, शांति और विश्व बंधुत्व भारत के “वसुधैव कुटुम्बकम्” और जापान के “वा” दर्शन में एक ही संदेश निहित है जिसकी झलक भी यहां स्थापित होने वाले प्रतीकों में दिखेगी।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com