बांकुड़ा : बांकुड़ा के छातनार दुमदुम इलाके की विवाहिता भारती मुदी ने ग्रामीण समाज की परंपरागत सोच को चुनौती देते हुए फुटबॉल में नया मुकाम स्थापित किया है। पहले समाज ने उनके फुटबॉल खेलने के जुनून पर रोक लगा दी थी, लेकिन आज भारती मुदी आदिवासी लड़कियों को प्रशिक्षित कर उनके फुटबॉल के सपनों को पंख दे रही हैं।
भारती मुदी अब गोवा, चंडीगढ़ और भुवनेश्वर तक अपनी टीम के साथ जीत की गूंज फैला चुकी हैं। रसोई से कोचिंग ग्राउंड तक का उनका सफर अनोखा और प्रेरणादायक है, जिसने दूर दराज के गांवों में रहने वाली लड़कियों के सपनों को भी नई दिशा दी है।
रविवार सुबह इलाके के ही एक मैदान में फुटबॉल खेलते हुईं भारती मुदी नजर आईं। उन्होंने बताया कि “मेरी कोशिश है कि गाँव की लड़कियों को खेल के प्रति प्रेरित किया जाए और उनके सपनों को पंख दिए जाएं।”
बांकुड़ा की इस साड़ी पहनने वाली ‘कोच भारती’ ने साबित कर दिया कि अगर जूनून हो तो कोई भी सीमा बाधा नहीं बन सकती। आज वह बंगाल के फुटबॉल को नए सिरे से जीवित कर रही हैं और ग्रामीण लड़कियों को खेल में आगे बढ़ने का मौका दे रही हैं।
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