वर्ष 2026 में शिक्षा के क्षेत्र में पीजीआई रैंकिंग और जीईआर सुधार पर रहेगा विशेष फोकस

देहरादून : उत्तराखंड में शिक्षा व्यवस्था के लिए बदलाव के वर्ष 2026 बेहतर साबित होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति–2020 के तहत प्रदेश में शिक्षा के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए नई कार्ययोजना लागू करने की तैयारी और नववर्ष में प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा विभागों में छह हजार से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

 

नई कार्ययोजना का लक्ष्य सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) और प्रदर्शन ग्रेडिंग सूचकांक (पीजीआई) में उल्लेखनीय सुधार कर उत्तराखंड को राष्ट्रीय स्तर पर दो अंकों से नीचे की रैंकिंग में पहुंचाने का लक्ष्य है। इसके लिए विद्या समीक्षा केंद्र को तकनीकी रूप से उन्नत करते हुए प्रदेश के शत-प्रतिशत विद्यालयों को इससे जोड़ा जाएगा, जिससे सभी विद्यालयों का समग्र डाटा एक क्लिक पर उपलब्ध हो सकेगा और शैक्षणिक निगरानी अधिक प्रभावी होगी।

 

एनईपी-2020 के प्रावधानों के अनुरूप एससीईआरटी की ओर से विकसित राज्य पाठ्यचर्या को लागू किया जाएगा। इस पाठ्यचर्या में विद्यालयी शिक्षा के साथ-साथ व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष जोर दिया गया है। इसके प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 240 दिवस का शैक्षणिक सत्र निर्धारित किया गया है, जिसमें 200 दिवस शिक्षण,20 दिवस परीक्षा एवं मूल्यांकन और 10-10 दिवस बस्ता रहित एवं अन्य गतिविधियों के लिए निर्धारित होंगे। कक्षा 11 से विद्यार्थियों को रुचि के अनुसार विषय चयन की स्वतंत्रता दी जाएगी, जिससे वे अपनी अभिरुचि और भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप अध्ययन कर सकें।

 

राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) और जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) के ढांचे का पुनर्गठन किया जाएगा। इसके लिए यूजीसी मानकों के अनुरूप सेवा नियमावली तैयार की जाएगी और पृथक शिक्षक संवर्ग का गठन किया जाएगा, जिससे शिक्षक प्रशिक्षण की गुणवत्ता में अपेक्षित सुधार हो सके।

 

पीजीआई रैंकिंग में सुधार के लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाएगी। निर्धारित सूचकांकों के अनुरूप विभागीय प्रशिक्षण एवं मूल्यांकन की व्यवस्था की जाएगी। वहीं, जीईआर बढ़ाने के लिए विद्यालयों में भौतिक एवं मानव संसाधनों का चरणबद्ध विकास किया जाएगा तथा बालिका शिक्षा को विशेष रूप से प्रोत्साहित किया जाएगा।

 

नववर्ष में प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षा विभाग में 6000 से अधिक रिक्त पदों पर भर्ती की जाएगी। इनमें प्राथमिक शिक्षा के अंतर्गत सहायक अध्यापक (बेसिक) के 1670 पद, माध्यमिक शिक्षा में प्रवक्ता के 808 पद तथा सहायक अध्यापक एलटी के एक हजार से अधिक पद शामिल हैं।इसके अतिरिक्त समग्र शिक्षा के तहत 324 लेखाकार-सह-सपोर्टिंग स्टाफ, 161 विशेष शिक्षक, 95 करियर काउंसलर एवं विद्या समीक्षा केंद्र के 18 पद भरे जाएंगे। शिक्षा विभाग के कार्यालयों एवं विद्यालयों में चतुर्थ श्रेणी के 2364 पद आउटसोर्स के माध्यम से भरे जाएंगे।

 

राज्य के विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को स्काउट्स एंड गाइड्स तथा एनसीसी से जोड़ा जाएगा। नए वर्ष में दो लाख छात्रों के पंजीकरण का लक्ष्य रखा गया है। केंद्र सरकार द्वारा प्रदेश के लिए स्वीकृत 7500 एनसीसी सीटों को पूर्ण रूप से भरा जाएगा।

 

वर्चुअल व स्मार्ट क्लास से जुड़ेगा प्रदेश

 

डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देते हुए प्रदेश के 840 राजकीय विद्यालयों को वर्चुअल क्लास नेटवर्क से जोड़ा जाएगा। इन विद्यालयों में हाइब्रिड मोड में शिक्षण व्यवस्था लागू होगी, जिसमें वर्चुअल और स्मार्ट क्लास दोनों माध्यमों से पढ़ाई कराई जाएगी। वर्तमान में प्रदेश के 500 विद्यालयों में स्मार्ट क्लास संचालित हैं।

 

एनईपी-2020 के अनुरूप प्रदेश में कलस्टर विद्यालय स्थापित किए जाएंगे। इसके तहत माध्यमिक स्तर पर 559 तथा प्राथमिक स्तर पर 679 विद्यालयों का चयन किया गया है। इन विद्यालयों में सभी विषयों के शिक्षक एवं आधुनिक शैक्षिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

 

प्रत्येक जनपद में खुलेगा गुरुकुल विद्यालय-

 

संस्कृत शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रत्येक जनपद में गुरुकुल पद्धति पर आधारित एक विद्यालय की स्थापना की जाएगी। साथ ही, पिछड़े विकासखंडों में आश्रम पद्धति आधारित आवासीय विद्यालय भी खोले जाएंगे, जिससे संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा मिल सके।

 

विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में नवाचारों के माध्यम से व्यापक सुधार किए जा रहे हैं। प्रदेश के लगभग 1500 विद्यालयों को वर्चुअल क्लास नेटवर्क से जोड़ने और सभी विद्यालयों को विद्या समीक्षा केंद्र से जोड़ने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। जीईआर और पीजीआई रैंकिंग में सुधार के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।

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