चुनाव आयोग से मिला तृणमूल प्रतिनिधिमंडल

नई दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल मतदाता सूची को अपडेट करने से जुड़े मसले पर राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में बुधवार को यहां मुख्य चुनाव आयुक्त से मिला। इसमें पार्टी ने आठ से 10 मुद्दे उठाए।

 

मुलाकात के बाद पार्टी महासचिव बनर्जी ने कहा कि दो से तीन विषयों को छोड़कर हमें किसी भी मुद्दे पर ठोस जवाब नहीं मिला और आयोग की ओर से हर मुद्दे को नागरिकता तक ले जाया गया। दूसरी ओर चुनाव आयोग ने तृणमूल कांग्रेस को चुनाव प्रतिनिधियों को धमकाने का विषय रखा और उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी।

 

बैठक दोपहर 12 बजे शुरू हुई और करीब ढाई घंटे तक चली। पिछले महीने 28 नवंबर को भी पार्टी का 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल चुनाव आयोग से मिला था। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार प्रतिनिधिमंडल से कहा गया है कि पार्टी सुनिश्चित करे कि उनके ज़मीनी स्तर के राजनीतिक प्रतिनिधि चुनाव ड्यूटी पर तैनात किसी भी कर्मचारी को धमकाने में शामिल न हों। कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करने वाले किसी भी शरारती तत्व के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। राजनीतिक प्रतिनिधियों या कार्यकर्ताओं का बीएलओ, ईआरओ, एईआरओ, ऑब्ज़र्वर आदि सहित किसी भी चुनावी कर्मचारी को धमकाना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

 

आयोग ने पश्चिम बंगाल सरकार को चुनाव आयोग की ओर से मंज़ूर किया गया बढ़ा हुआ मानदेय हर बीएलओ को तुरंत जारी करने को कहा। प्रतिनिधिमंडल को यह भी बताया गया कि मतदाताओं की सुविधा के लिए हाई राइज़ बिल्डिंग, गेटेड कम्युनिटी और झुग्गियों में पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।

 

इससे पहले मुख्य चुनाव आयुक्त से मिलने के बाद तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि हमने आठ से दस मुद्दों पर बात की। इस बार दो या तीन बातों को छोड़कर हमें किसी भी चीज़ पर कोई स्पष्टता नहीं मिली। एसआईआर के बारे में पूछे जाने पर हर विषय को नागरिकता से जोड़ा गया। किसी भी विषय का कोई ठोस जवाब नहीं मिला।

 

अभिषेक बनर्जी ने पश्चिम बंगाल के साथ भेदभाव का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि माइक्रो-ऑब्जर्वर की तैनाती और प्रशासनिक कदमों के जरिए बंगाल की छवि खराब करने तथा लोगों को परेशान करने की कोशिश की जा रही है। प्रवासी श्रमिकों के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि बिहार में मजदूरों को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई के लिए नहीं बुलाया गया, जबकि बंगाल में अलग नियम लागू किए जा रहे हैं।

 

बनर्जी ने सवाल उठाया कि एक देश में अलग-अलग राज्यों के लिए अलग मानदंड क्यों हैं। उन्होंने बताया कि आयोग के समक्ष 8–10 सवाल रखे गए, जिनमें से अधिकांश पर संतोषजनक जवाब नहीं मिले। उन्होंने सुनवाई स्थलों के विकेंद्रीकरण की मांग की, जिस पर आयोग ने मौखिक सहमति जताई। इससे पहले हमने चुनाव आयोग से पांच सवाल पूछे थे लेकिन हमें उनमें से किसी का भी एक भी सटीक जवाब नहीं मिला।

 

सांसद अभिषेक बनर्जी ने कहा कि यहां आने से दो दिन पहले, हमारे राज्य का एक प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल में मुख्य चुनाव अधिकारी के कार्यालय गया था। वहां, पांच सदस्यों के प्रतिनिधिमंडल ने इस बात पर चिंता जताई कि वरिष्ठ नागरिकों, खासकर मेडिकल कंडीशन वाले लोगों को पहचान प्रक्रिया के दौरान और वोटर लिस्ट से नाम हटाने के लिए कैसे परेशान किया जा रहा है।

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