Chhattisgarh : बस्तर में शराबबंदी का निर्णय सरकार ने पंचायतों पर छोड़ा

जगदलपुर : बस्तर में चूंकि 5वीं अनसूची प्रभावशील है इसलिए प्रदेश सरकार ने अपने घोषणापत्र में जो पूर्ण शराबबंदी की घोषणा की है। वह घोषणा 5वीं अनसूची के अंतर्गत आने वाले आदिवासी क्षेत्रों में शराब बंदी का निर्णय ग्राम पंचायतों पर छोड़ा गया है। पूर्ण शराबबंदी का निर्णय पंचायतों द्वारा लिये जाने से बस्तर में महुए की शराब से रोजगार प्राप्त कर रहे दर्जनों लोगों को बेरोजगारी का सामना भी करना पड़ सकता है। इसके साथ ही मंदिरा का सेवन यहां की धार्मिक संस्कृति का भी एक हिस्सा है।

इस संबंध में यह भी उल्लेखनीय है कि पूर्व में अप्रेल 2018 में जब प्रदेश ने सरकार ने शराब की दुकानों का संचालन स्वयं संभाला था। तब पांच किलो से अधिक महुआ रखने वालों व शराब बनाकर बेचने वालों पर कार्रवाई हुई थी। बस्तर के संदर्भ में यह विशेष तथ्य है कि आदिवासी क्षेत्र होने के कारण यहां के लोग शराब के सेवन में ही करीब पांच करोड़ रूपए से अधिक की शराब पी जाते हैं। इसके साथ ही बस्तर मेेंं महुआ की पैदावार भी होती है। जिससे उन्हें शराब बनाने में सरलता होती है। यह यहां का एक प्रमुख रोजगार प्राप्त करने का भी साधन बन गया है। लेकिन दूसरी ओर वे अपनी आवश्यकता के अनुसार शराब बनाकर पीये तो यह नीति भी कारगर नहीं हो सकती। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शराब बनाने का कार्य एक उद्योग का रूप धारण कर समाज को और अधिक नुकसान पहुंचायेगा।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com