टूट गई सालों पुरानी परंपरा, सबरीमाला मंदिर में पहली बार पूजा करने पहुंची महिलाएं

नई दिल्ली: आखिरकार लंबी जद्दोजहद के बाद दो महिलाएं सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple) में प्रवेश पाने में कामयाब हो गईं। इसके साथ ही वर्षों से चली आ रही परंपरा भी टूट गई और सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court Verdict) के फैसले को अमल में लाने में केरल सरकार कामयाब हो गई। वहीं, महिलाओं के प्रवेश के बाद मंदिर को शुद्धिकरण की प्रक्रिया के लिए बंद कर दिया गया है। 

जानकारी के मुताबिक करीब 40 वर्षीय दो महिलाएं बिंदू और कनकदुर्गा ने सुबह पौने चार बजे के करीब मंदिर में प्रवेश कर गईं और वहां पूजा अर्चना की। उन दोनों के साथ पुलिस भी थी। इससे पहले दोनों ने 18 दिसंबर को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की थी लेकिन भारी विरोध के चलते कामयाब नहीं हो पाईं थी। दोनों के प्रवेश करने का वीडियो भी सामने आया है। 

सबरीमाला में नहीं थी प्रवेश के इजाजत
केरल राज्‍य में स्थित सबरीमाला मंदिर में दस से 50 साल तक की महिलाएं, जो रजस्वला हैं, उनके प्रवेश पर प्रतिबंध है। इसके पीछे यह मान्यता है कि इस मंदिर के मुख्य देवता अयप्पा ब्रह्मचारी थे। ऐसे में इस तरह की महिलाओं के मंदिर में जाने से उनका ध्यान भंग होगा। यहां सिर्फ छोटी बच्चियां और बूढ़ी महिलाएं ही प्रवेश कर सकती हैं। सबरीमाला मंदिर में हर साल नवम्बर से जनवरी तक, श्रद्धालु अयप्पा भगवान के दर्शन के लिए जाते हैं, बाकि पूरे साल यह मंदिर आम भक्तों के लिए बंद रहता है। भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए मकर संक्रांति का दिन बहुत खास होता है, इसीलिए उस दिन यहां सबसे ज़्यादा भक्त पहुंचते हैं।

सर्वोच्‍च अदालत का सुप्रीम फैसला
गौरतलब है कि 800 साल पुरानी इस प्रथा पर देश की शीर्ष अदालत ने अपना सुप्रीम फैसला सुनाते हुए नारियों को सबरीमाला मंदिर में जाने की इजाजत दे दी। अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं भी भगवान अयप्‍पा के दर्शन कर सकती हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी महिलाओं के मंदिर में प्रवेश करने को लेकर विरोध हो रहा था। केरल की पिनरई विजयन सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले को अमल में लाने को बाध्य थी तो दूसरी ओर उसे विरोध का भी सामना करना पड़ रहा था। आखिरकार आज महिलाएं मंदिर में प्रवेश पाने में कामयाब हो गईं। 

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