विशेष रिफंड पखवाड़े के पहले 9 दिन में निर्यातकों को 7000 करोड़ रुपए से अधिक के जीएसटी रिफंड मंजूर किए गए हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शुक्रवार को देर रात एक ट्वीट में यह जानकारी दी. बता दें कि विभिन्न विसंगतियों के चलते निर्यातकों का कुल मिलाकर लगभग 14000 करोड़ रुपए का रिफंड अटका हुआ है.विशेष रिफंड पखवाड़े के पहले 9 दिन में निर्यातकों को 7000 करोड़ रुपए से अधिक के जीएसटी रिफंड मंजूर किए गए हैं. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर व सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) ने शुक्रवार को देर रात एक ट्वीट में यह जानकारी दी. बता दें कि विभिन्न विसंगतियों के चलते निर्यातकों का कुल मिलाकर लगभग 14000 करोड़ रुपए का रिफंड अटका हुआ है.  बोर्ड जीएसटी के तहत निर्यातकों के रिफंड मामलों के त्वरित निपटान के लिए विशेष रिफंड पखवाड़े का आयोजन 31 मई से 14 जून 2018 तक कर रहा है.  ट्वीट में कहा गया है, ”मौजूदा विशेष पखवाड़े में अब तक 7000 करोड़ रुपए से अधिक के आईजीएसटी / आईटीसी रिफंड मंजूर किए गए हैं.”  आईजीएसटी इनपुट क्रेडिट के कम दावों को लेकर व्यावसायियों को नोटिस टैकस विभाग के अधिकारियों ने उन कंपनियों को नोटिस भेजना शुरू किया है, जिन्होंने जीएसटी नेटवर्क द्वारा उत्पन्न क्रेडिट दावों की तुलना में बिक्री रिटर्न दाखिल करते समय एकीकृत माल एवं सेवाकर (आईजीएसटी) इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए कम दावे किए हैं.  अधिकारियों ने कहा कि ये नोटिस इसलिए भेजे जा रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि यह गड़बड़ी कंपनियों द्वारा गलती से हुई है या फिर कर से बचने के लिए ऐसा किया गया है.  राजस्व विभाग द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण के बाद नोटिस भेजा जा रहा है. विभाग ने उन डीलरों और कंपनियों की सूची तैयार की है , जिन्होंने जीएसटीआर -2 ए में किए गए दावों की तुलना में जीएसटीआर -3 बी में कम इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का दावा किया है.  अधिकारियों ने कहा कि मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर के कई कंपनियों को इस तरह के नोटिस भेजे गए हैं. नोटिस के मुताबिक , जीएसटी अधिकारियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट में अंतर के बारे में पूछा है और करदाताओं से आगामी महीने के रिटर्न में रिफंड या इनपुट क्रेडिट का दावा करने के लिए कहा है.  ये विश्लेषण जुलाई से मार्च (2017-18) तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया. यह माल एवं सेवा कर लागू होने के बाद के पहले नौ महीने के हैं. जीएसटी परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री ने मार्च में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे आंकड़ों का विश्लेषण करें और पर्याप्त कार्रवाई शुरू करें.  ईवाई पार्टनर के अभिषेक जैन ने कहा कि यह विसंगतियां जीएसटीआर -2 ए में दिखाए गए क्रेडिट के कारण हो सकती है जो कि दावे के पात्र नहीं है (जैसे कैब का किराया, खाद्य एवं जलपान). हालांकि, सरकार द्वारा भेजे गए ई – मेल (नोटिस) उन कंपनियों के लिए रचनात्मक इनपुट भी हो सकता है, जो कि क्रेडिट का दावा करना भूल गए थे.  आयातकों द्वारा आमतौर पर देश में लाए जाने वाले माल पर एकीकृत माल एवं सेवा कर या आईजीएसटी का भुगतान किया जाता है. यह कर अंतिम उपभोक्ता द्वारा भुगतान किए गए वास्तविक जीएसटी के मुकाबले अलग करके निर्धारित किया जाना चाहिए या फिर रिफंड के रूप में इसका दावा किया जाना चाहिए.  विश्लेषण के मुताबिक , आयातकों सहित बड़ी कंपनियों ने आयात पर आईजीएसटी का भुगतान किया लेकिन इसके लिए क्रेडिट का दावा नहीं किया है.

बोर्ड जीएसटी के तहत निर्यातकों के रिफंड मामलों के त्वरित निपटान के लिए विशेष रिफंड पखवाड़े का आयोजन 31 मई से 14 जून 2018 तक कर रहा है.

ट्वीट में कहा गया है, ”मौजूदा विशेष पखवाड़े में अब तक 7000 करोड़ रुपए से अधिक के आईजीएसटी / आईटीसी रिफंड मंजूर किए गए हैं.”

आईजीएसटी इनपुट क्रेडिट के कम दावों को लेकर व्यावसायियों को नोटिस
टैकस विभाग के अधिकारियों ने उन कंपनियों को नोटिस भेजना शुरू किया है, जिन्होंने जीएसटी नेटवर्क द्वारा उत्पन्न क्रेडिट दावों की तुलना में बिक्री रिटर्न दाखिल करते समय एकीकृत माल एवं सेवाकर (आईजीएसटी) इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए कम दावे किए हैं.

अधिकारियों ने कहा कि ये नोटिस इसलिए भेजे जा रहे हैं, ताकि पता लगाया जा सके कि यह गड़बड़ी कंपनियों द्वारा गलती से हुई है या फिर कर से बचने के लिए ऐसा किया गया है.

राजस्व विभाग द्वारा आंकड़ों के विश्लेषण के बाद नोटिस भेजा जा रहा है. विभाग ने उन डीलरों और कंपनियों की सूची तैयार की है , जिन्होंने जीएसटीआर -2 ए में किए गए दावों की तुलना में जीएसटीआर -3 बी में कम इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने का दावा किया है.

अधिकारियों ने कहा कि मुंबई, चेन्नई, बैंगलोर के कई कंपनियों को इस तरह के नोटिस भेजे गए हैं. नोटिस के मुताबिक , जीएसटी अधिकारियों ने इनपुट टैक्स क्रेडिट में अंतर के बारे में पूछा है और करदाताओं से आगामी महीने के रिटर्न में रिफंड या इनपुट क्रेडिट का दावा करने के लिए कहा है.

ये विश्लेषण जुलाई से मार्च (2017-18) तक के आंकड़ों के आधार पर किया गया. यह माल एवं सेवा कर लागू होने के बाद के पहले नौ महीने के हैं. जीएसटी परिषद के अध्यक्ष केंद्रीय वित्त मंत्री ने मार्च में अधिकारियों को निर्देश दिए थे कि वे आंकड़ों का विश्लेषण करें और पर्याप्त कार्रवाई शुरू करें.

ईवाई पार्टनर के अभिषेक जैन ने कहा कि यह विसंगतियां जीएसटीआर -2 ए में दिखाए गए क्रेडिट के कारण हो सकती है जो कि दावे के पात्र नहीं है (जैसे कैब का किराया, खाद्य एवं जलपान). हालांकि, सरकार द्वारा भेजे गए ई – मेल (नोटिस) उन कंपनियों के लिए रचनात्मक इनपुट भी हो सकता है, जो कि क्रेडिट का दावा करना भूल गए थे.

आयातकों द्वारा आमतौर पर देश में लाए जाने वाले माल पर एकीकृत माल एवं सेवा कर या आईजीएसटी का भुगतान किया जाता है. यह कर अंतिम उपभोक्ता द्वारा भुगतान किए गए वास्तविक जीएसटी के मुकाबले अलग करके निर्धारित किया जाना चाहिए या फिर रिफंड के रूप में इसका दावा किया जाना चाहिए.

विश्लेषण के मुताबिक , आयातकों सहित बड़ी कंपनियों ने आयात पर आईजीएसटी का भुगतान किया लेकिन इसके लिए क्रेडिट का दावा नहीं किया है.