भारत पहले भी दिखा चुका है अपना दम, जानिए सर्जिकल स्ट्राइक की पूरी कहानी

भारत ने मंगलवार तड़के एलओसी पार कर हवाई हमले कर कई आतंकवादी शिविरों को निशाना बनाया। न्यूज एजेंसी पीटीआई ने सूत्रो के हवाले से बताया कि भारतीय वायुसेना के विभिन्न लड़ाकू विमानों ने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के बालाकोट में पाकिस्तान स्थित कई आतंकवादी समूहों के शिविरों को सफलतापूर्वक नष्ट कर दिया। अभी तक हमले से हुए नुकसान का आकलन नहीं हुआ है। गौरतलब है कि जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को सीआरपीएफ के काफिले पर हुए जैश-ए-मोहम्मद के आत्मघाती हमले के बाद दोनों देशों में बढ़े तनाव के बीच यह कार्यवाही की गई है। हमले में सुरक्षा बल के 40 जवाब शहीद हुए थे।

 

जम्मू कश्मीर के उड़ी में सैन्य छावनी पर पाकिस्तानी आतंकी हमले में शहीद हुए 18 जवानों के बाद भारतीय सेना ने 28 और 29 सितंबर 2016 की रात को सर्जिकल स्ट्राइक की थी। तत्कालीन सेना के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) लेफ्टिनेंट जनरल रणबीर सिंह ने इस बात की घोषणा की थी कि 29 सितंबर 2016 को की गई सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान की तरफ भारी नुकसान पहुंचा था। सेना की तरफ से सर्जिकल स्ट्राइक करने की प्लानिंग 24 सितंबर से शुरू कर दी गई थी। नाइट विज़न डिवाइस के साथ विशेष दस्ताबल, टेवोर 21, एक-47 असॉल्ट रायफल्स, रॉकेट ग्रेनेड्स, शॉल्डर फायर्ड मिसाइल्स और अन्य विस्फोटकों को पैदल की नियंत्रण रेखा के पार कराया गया था। हर टीम में 30 जवान थे और उनका अपना विशेष लक्ष्य तय किया गया था।

29 सितंबर 2016 को भारतीय सेना ने पीओके में तीन किलोमीटर भीतर जाकर इस सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था। इस दौरान भारत ने पाकिस्तान की जमीन पर आतंकी कैंपों पर हमला किया था। एक टीम दुश्मन के रडारों की पकड़ से दूर आसमान में तैयार 30 जाबांज भारतीय कमांडो की थी।

कलाश्निकोव, टेवर्स, रॉकेट प्रोपेल्ड गन्स, हथियारों से लैस 35,000 फीट की ऊंचाई से तेजी से नीचे उतरते हुए सब कुछ इतने पिन ड्रॉप साइलेंस के साथ हुआ कि जमीन पर किसी को हल्की सी भी भनक नहीं लगे। ठीक उसी वक्त जमीन पर भारतीय सेना के बहादुर स्पेशल फोर्सेज के 7 दस्ते एलओसी के पार पाकिस्तानी बैरीकेड्स से रेंग-रेंग कर आगे बढ़ते हुए। इस ऑपरेशन में कुल 150 जवान शामिल थे।

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