जानिए कब से हुआ होलाष्टक की प्रथा का आरंभ

इस  साल होलाष्टक 13 मार्च 2019, बुधवार से शुरू होगा। 13 मार्च से 20 मार्च तक होलाष्‍टक रहेगा। 20 मार्च को होलिका दहन के साथ यह समाप्‍त होगा। होलाष्‍टक के दिनों में सभी तरह के शुभ कार्य वर्जित होते हैं।
होलाष्टक क्यों माना जाता है अशुभ
मान्यता है कि भक्त प्रह्लाद की नारायण भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने होली से पहले आठ दिनों में उन्हें कई तरह के कष्ट दिए थे। तभी से इन आठ दिनों को हमारे हिन्दू धर्म में अशुभ माना गया है। इन 8 दिनों में ग्रह अपना स्थान बदलते हैं। ग्रहों के बदलाव की वजह से होलाष्टक के दौरान कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता।
क्या करें
शास्त्रों के अनुसार होलाष्टक के दिनों में जो व्रत किए जाते हैं उनसे भगवान प्रसन्न होते हैं। अगर व्रत नहीं कर सकते तो इस समय में दान देना चाहिए। आप वस्त्र, अनाज और अपने इच्छानुसार धन का दान कर सकते हैं।
क्‍या ना करें
शुभ कार्य करने की मनाही होती है। इस समय में विवाह, गृह प्रवेश, निर्माण, नामकरण आदि शुभ कार्य वर्जित होते हैं। नए काम भी शुरू नहीं किए जाते।
क्‍यों है मनाही
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इन दिनों में जो कार्य किए जाते हैं उनसे कष्ट, पीड़ा आती है। विवाह आदि किए जाए तो भविष्‍य में संबंध विच्छेद, कलह का शिकार होते हैं।

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