लोकसभा चुनाव 2019: उज्जैन में फिर खिलेगा कमल या कांग्रेस का इंतजार होगा खत्म

आस्था की नगरी कहा जाने वाला उज्जैन शहर मध्य प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे प्राचीन शहरों में से एक है. क्षिप्रा नदी के किनारे बसे इस शहर में साल भर लाखों श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं. 19 लाख जनसंख्या वाले इस शहर को भारतीय जनता पार्टी का मजबूत गढ़ माना जाता है, लेकिन कांग्रेस भी यहां अपना कब्जा जमाती आई है. बता दें उज्जैन मध्य प्रदेश का पांचवा सबसे बड़ा शहर है, लेकिन फिर भी न तो यहां कोई बड़ी मिल और न ही उद्योग है. किसी जमाने में उज्जैन में एक कपड़ा मिल हुआ करती थी, लेकिन वह भी बंद हो गई.

2014 के राजनीतिक समीकरण

उज्जैन में 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रो. चिंतामणि मालवीय ने कुल 3 लाख 9 हजार 663 वोटों के बड़े अंतर के साथ जीत दर्ज की थी. भाजपा प्रत्याशी प्रो. चिंतामणि मालवीय को कुल 6,41,101 वोट मिले थे. वहीं उनके प्रतिद्वंद्वी रहे कांग्रेस के प्रेमचंद्र गुड्डू 3,31,438 वोट ही अपने नाम कर सके थे. बात की जाए बसपा की तो बसपा यहां पर तीसरे स्थान की पार्टी रही, जहां बसपा उम्मद्वार रामप्रसाद को .98 फीसदी वोट मिले.

राजनीतिक इतिहास

बात की जाए उज्जैन के राजनीतिक इतिहास की तो उज्जैन में पहला लोकसभा चुनाव 1957 में हुआ, जिसमे कांग्रेस प्रत्याशी व्यास राधेलाल को जीत मिली थी. वहीं 1962 के लोकसभा चुनाव में भी उज्जैन लोकसभा सीट पर कांग्रेस को ही जीत हासिल हुई. 1989 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यनारायण जटिया को इस सीट पर जीत हासिल हुई, जिसके बाद सत्यनारायण जाटिया ने लगातार 6 लोकसभा चुनाव तक इस सीट पर कब्जा जमाए रखा. 2009 में कांग्रेस ने फिर वापसी की और प्रेम चंद ने इस सीट पर जीत हासिल की, लेकिन 2014 के चुनाव में प्रो. चिंतामणि मालवीय ने प्रेम चंद को मात दी और 3 लाख वोटों के बड़े अंतर से जीत दर्ज की.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

भाजपा के कब्जे वाली उज्जैन लोकसभा सीट से सांसद चिंतामणि मालवीय 2014 में जीतकर पहली बार सांसद बने. क्षेत्र के विकास कार्यों के लिए आवंटित 23.89 करोड़ में से 22.79 करोड़ उन्होंने क्षेत्र के विकास में खर्च कर दिए, जबकि 1 करोड़ के करीब का फंड बिना खर्च किए रह गया.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com