आप सभी को बता दें कि इस बार संकट चौथ व्रत आज यानी 23 मार्च को है. ऐसे में इस व्रत को संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है. कहा जाता है इस दिन महिलाएं अपने परिवार की सुख और समृद्धि के लिए निर्जल व्रत रखती है और गणेश जी की बड़े ही धूमधाम से पूजा करती है इससे उन्हें सौभाग्य मिलता है. कहा जाता है इससे ही परिवार पर कभी भी किसी तरह की कोई समस्याएं नहीं आती है. इस दिन देर शाम चंद्रोदय के समय व्रती को तिल, गुड़ आदि का अर्घ्य चंद्रमा, गणेश जी और चतुर्थी माता को अवश्य देना चाहिए और इस दिन चन्द्रमा को अर्घ्य देकर ही व्रत खोला जाता है. रखा जाता है इस दिन स्त्रियां निर्जल व्रत करके सूर्यास्त से पहले गणेश संकष्टी चतुर्थी व्रत की कथा-पूजा करती हैं. इसी के साथ आज के दिन तिल का प्रसाद खाना चाहिए और दूर्वा, शमी, बेलपत्र और गुड़ में बने तिल के लड्डू चढ़ाने शुभ होते हैं.

आइए जानते हैं व्रत कथा – सत्ययुग में महाराज हरिश्चंद्र के नगर में एक कुम्हार रहता था. एक बार उसने बर्तन बनाकर आंवा लगाया, पर आवां पका ही नहीं. बार-बार बर्तन कच्चे रह गए. बार-बार नुकसान होते देख उसने एक तांत्रिक से पूछा, तो उसने कहा कि बलि से ही तुम्हारा काम बनेगा. तब उसने तपस्वी ऋषि शर्मा की मृत्यु से बेसहारा हुए उनके पुत्र की सकट चौथ के दिन बलि दे दी.उस लड़के की माता ने उस दिन गणेश पूजा की थी. बहुत तलाशने पर जब पुत्र नहीं मिला, तो मां ने भगवान गणेश से प्रार्थना की.
सवेरे कुम्हार ने देखा कि वृद्धा का पुत्र तो जीवित था. डर कर कुम्हार ने राजा के सामने अपना पाप स्वीकार किया. राजा ने वृद्धा से इस चमत्कार का रहस्य पूछा, तो उसने गणेश पूजा के विषय में बताया. तब राजा ने सकट चौथ की महिमा को मानते हुए पूरे नगर में गणेश पूजा करने का आदेश दिया. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकट हारिणी माना जाता है.
Shaurya Times | शौर्य टाइम्स Latest Hindi News Portal