निर्मला सीतारमण के पति ने आंध्र के सलाहकार का पद त्यागा

रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना व्यक्त की जा रही थी. बता दें कि प्रभाकर मुख्यमंत्री के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत थे.रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के पति पी प्रभाकर ने अंततः आंध्र प्रदेश सरकार के सलाहकार (संचार) के पद से इस्तीफा दे ही दिया. जब से टीडीपी ने एनडीए से बाहर होने का निर्णय लिया उसके बाद से ही यह संभावना व्यक्त की जा रही थी. बता दें कि प्रभाकर मुख्यमंत्री के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी के रूप में कार्यरत थे.    बता दें कि पी प्रभाकर ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कल मंगलवार को दो पेज का त्यागपत्र भेज दिया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘मेरे सलाहकार के पद पर बने रहने से राज्य के हितों के लिए केंद्र से लड़ने की आपकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठने चाहिए. मेरे कारण सरकार की विश्वसनीयता पर भी असर नहीं पड़ना चाहिए.' हालाँकि प्रभाकर का कार्यकाल वैसे भी करीब एक पखवाड़े के बाद समाप्त होने वाला था.    उल्लेखनीय है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले को लेकर टीडीपी ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था.इसके बाद से ही प्रभाकर निशाने पर आ गए थे.इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने प्रभाकर के पद पर बने रहने पर मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था. विपक्ष इस मामले में सरकार पर हमलावर था. आपको जानकारी दे दें कि 1994 में प्रभाकर नरसापुर सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं.

बता दें कि पी प्रभाकर ने मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू को कल मंगलवार को दो पेज का त्यागपत्र भेज दिया. जिसमें उन्होंने लिखा कि ‘मेरे सलाहकार के पद पर बने रहने से राज्य के हितों के लिए केंद्र से लड़ने की आपकी प्रतिबद्धता पर सवाल नहीं उठने चाहिए. मेरे कारण सरकार की विश्वसनीयता पर भी असर नहीं पड़ना चाहिए.’ हालाँकि प्रभाकर का कार्यकाल वैसे भी करीब एक पखवाड़े के बाद समाप्त होने वाला था.

उल्लेखनीय है कि आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने के मामले को लेकर टीडीपी ने एनडीए से गठबंधन तोड़ लिया था.इसके बाद से ही प्रभाकर निशाने पर आ गए थे.इस मामले में वाईएसआर कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी दलों ने प्रभाकर के पद पर बने रहने पर मुख्यमंत्री की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाया था. विपक्ष इस मामले में सरकार पर हमलावर था. आपको जानकारी दे दें कि 1994 में प्रभाकर नरसापुर सीट पर कांग्रेस से चुनाव लड़ चुके हैं.

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