दस फीसदी से ज्यादा विकास दर की सोचें : पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कारोबार (ग्लोबल ट्रेड) में देश की हिस्सेदारी दोगुना कर 3.4 फीसदी पर ले जाने के भी उपाय करने होंगे।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल करने के लिए कम से कम दहाई अंकों की जीडीपी विकास दर का लक्ष्य रखने का आहवान किया है। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक कारोबार (ग्लोबल ट्रेड) में देश की हिस्सेदारी दोगुना कर 3.4 फीसदी पर ले जाने के भी उपाय करने होंगे।  वाणिज्य मंत्रालय के लिए नए वाणिज्य भवन की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि पिछले चार वर्षों में उनकी सरकार ने कारोबार करने में सहूलियत यानी "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" के मोर्चे पर कई अहम कदम उठाए हैं। इसके साथ-साथ सरकार ने महंगाई, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा जैसे वृहत अर्थव्यवस्था के संकेतकों को भी सीमा के अंदर रखने में कामयाबी पाई है।  मोदी ने कहा- "बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 फीसदी रही। लेकिन अब वह वक्त आ गया है, जब हमें विकास दर के मामले में सात-आठ फीसदी से आगे सोचना और दोहरे अंकों की विकास दर का एजेंडा तैयार करना होगा।"  उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही और इस बात का इंतजार कर रही है कि वह कब तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल होगा। निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रयास में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग को यह संकल्प लेना चाहिए कि कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 1.6 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 3.4 फीसदी किया जाए।  प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादों के अधिक से अधिक घरेलू निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिए ताकि आयात पर निर्भरता न्यूनतम स्तर पर आ सके। इस संदर्भ में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का उदाहरण दिया। अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब "अटकाना, लटकाना और भटकाना" की कार्य संस्कृति से निकल चुका है। दर्जनों अप्रत्यक्ष करों के बदले पिछले साल पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है। इससे कारोबार करना आसान हुआ है और कर आधार भी बढ़ा है।  प्रधानमंत्री का कहना था कि जीएसटी के तहत 54 लाख नए करदाताओं ने पंजीकरण कराया है, जिससे अप्रत्यक्ष कर भुगतान करने वालों की संख्या एक करोड़ के ऊपर चली गई है। वहीं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा भंडार भी इस वक्त अपने-अपने चरम पर हैं। प्रधानमंत्री ने नए वाणिज्य भवन का निर्माण कार्य तय समय में पूरा हो जाने का भरोसा जताया।  उन्होंने कहा कि "नए भारत" की कार्यशैली में ऐसे कई पुराने अंदाज पीछे छोड़ दिए गए हैं, जिनकी वजह से देश की राजधानी तक में परियोजनाएं बेवजह लटकती रहती थीं। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री ने डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, डॉ. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल, प्रवासी भारतीय केंद्र और केंद्रीय सूचना आयोग के नए भवनों का हवाला दिया।  करोड़ रुपए में बनेगा वाणिज्य भवन  केंद्रीय निर्माण उपक्रम एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को निर्माणाधीन वाणिज्य भवन के निर्माण संबंधी गतिविधियों के क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। दो बेसमेंट और भूतल सहित पांच मंजिला भवन के निर्माण पर 226.83 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका कुल क्षेत्रफल 4.3 एकड़ होगा, जिसके 39,500 वर्गमीटर बिल्ट-अप एरिया के 22 फीसदी हिस्से पर भवन निर्माण किया जाएगा। वहां 444 कारों के लिए पार्किंग सुविधा होगी। इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष सितंबर तक पूरा हो जाने का लक्ष्य रखा गया है।

वाणिज्य मंत्रालय के लिए नए वाणिज्य भवन की आधारशिला रखते हुए प्रधानमंत्री ने शुक्रवार को कहा कि पिछले चार वर्षों में उनकी सरकार ने कारोबार करने में सहूलियत यानी “ईज ऑफ डूइंग बिजनेस” के मोर्चे पर कई अहम कदम उठाए हैं। इसके साथ-साथ सरकार ने महंगाई, चालू खाता घाटा और राजकोषीय घाटा जैसे वृहत अर्थव्यवस्था के संकेतकों को भी सीमा के अंदर रखने में कामयाबी पाई है।

मोदी ने कहा- “बीते वित्त वर्ष की आखिरी तिमाही में देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.7 फीसदी रही। लेकिन अब वह वक्त आ गया है, जब हमें विकास दर के मामले में सात-आठ फीसदी से आगे सोचना और दोहरे अंकों की विकास दर का एजेंडा तैयार करना होगा।”

उन्होंने कहा कि दुनिया भारत की ओर देख रही और इस बात का इंतजार कर रही है कि वह कब तक 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था वाले देशों की सूची में शामिल होगा। निर्यात बढ़ाने की जरूरत पर बल देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस प्रयास में राज्यों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वाणिज्य विभाग को यह संकल्प लेना चाहिए कि कुल वैश्विक निर्यात में भारत की हिस्सेदारी मौजूदा 1.6 फीसदी से बढ़ाकर कम से कम 3.4 फीसदी किया जाए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्पादों के अधिक से अधिक घरेलू निर्माण पर भी जोर दिया जाना चाहिए ताकि आयात पर निर्भरता न्यूनतम स्तर पर आ सके। इस संदर्भ में उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग का उदाहरण दिया। अपनी सरकार की उपलब्धियों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि देश अब “अटकाना, लटकाना और भटकाना” की कार्य संस्कृति से निकल चुका है। दर्जनों अप्रत्यक्ष करों के बदले पिछले साल पहली जुलाई से वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू हो चुका है। इससे कारोबार करना आसान हुआ है और कर आधार भी बढ़ा है।

प्रधानमंत्री का कहना था कि जीएसटी के तहत 54 लाख नए करदाताओं ने पंजीकरण कराया है, जिससे अप्रत्यक्ष कर भुगतान करने वालों की संख्या एक करोड़ के ऊपर चली गई है। वहीं, प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशी मुद्रा भंडार भी इस वक्त अपने-अपने चरम पर हैं। प्रधानमंत्री ने नए वाणिज्य भवन का निर्माण कार्य तय समय में पूरा हो जाने का भरोसा जताया।

उन्होंने कहा कि “नए भारत” की कार्यशैली में ऐसे कई पुराने अंदाज पीछे छोड़ दिए गए हैं, जिनकी वजह से देश की राजधानी तक में परियोजनाएं बेवजह लटकती रहती थीं। इस परिप्रेक्ष्य में प्रधानमंत्री ने डॉ. आंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर, डॉ. आंबेडकर नेशनल मेमोरियल, प्रवासी भारतीय केंद्र और केंद्रीय सूचना आयोग के नए भवनों का हवाला दिया।

करोड़ रुपए में बनेगा वाणिज्य भवन

केंद्रीय निर्माण उपक्रम एनबीसीसी (इंडिया) लिमिटेड को निर्माणाधीन वाणिज्य भवन के निर्माण संबंधी गतिविधियों के क्रियान्वयन का जिम्मा सौंपा गया है। दो बेसमेंट और भूतल सहित पांच मंजिला भवन के निर्माण पर 226.83 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसका कुल क्षेत्रफल 4.3 एकड़ होगा, जिसके 39,500 वर्गमीटर बिल्ट-अप एरिया के 22 फीसदी हिस्से पर भवन निर्माण किया जाएगा। वहां 444 कारों के लिए पार्किंग सुविधा होगी। इसका निर्माण कार्य अगले वर्ष सितंबर तक पूरा हो जाने का लक्ष्य रखा गया है।

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