उत्तराखंड में जंगलों की आग अब पेशानी पर बल डालने लगी है। बीते तीन दिनों के भीतर ही आग की 41 घटनाएं सामने आईं। इसके साथ ही इस फायर सीजन में राज्य में जंगल की आग की घटनाओं की संख्या 129 पहुंच चुकी है, जिनमें 183 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ है। 
यही नहीं, नैनीताल डिवीजन में आग बुझाते वक्त मधुमक्खियों के हमले में चार वनकर्मी भी घायल हुए हैं। ऐसे में अब महकमे की निगाहें इंद्रदेव पर टिक गई हैं कि वे कब मेहरबान हों और जंगल आग से महफूज रह सकें।
राज्य में इस मर्तबा मौसम के साथ देने से जंगल में आग की घटनाएं नाममात्र को ही दिख रही थीं। अलबत्ता, पिछले एक पखवाडे में पारे की उछाल के साथ ही जंगल भी धधकने लगे। इस बीच तमाम स्थानों पर चले तूफान ने उन क्षेत्रों में विकट स्थिति पैदा कर दी, जहां आग लगी थी।

अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि एक से तीन मई के भीतर राज्यभर में 41 स्थानों पर जंगल धधक उठे। इससे पहले तक आग की घटनाओं की संख्या 88 थी। अब कुल 129 घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे में विभाग को चिंता सालने लगी है कि यदि आग ऐसे ही भड़कती रही तो दिक्कतें बढ़ सकती हैं।

हालांकि, नोडल अधिकारी वनाग्नि प्रमोद कुमार सिंह के मुताबिक विभाग की ओर से सभी जगह तैयारियां पूरी हैं। जहां भी आग की घटना सामने आ रही है, वहां कर्मचारी तुरंत इसे बुझाने में जुट रहे हैं। जगह-जगह स्थानीय लोगों का सहयोग भी मिल रहा है।
इस वर्ष जंगल की आग (अब तक)
क्षेत्र—————–घटनाएं——— प्रभावित क्षेत्र—–क्षति
गढ़वाल—————48—————-49.9———64525
कुमाऊं—————–73————–126.455—–189300
वन्यजीव परिरक्षण—08, 7.45, 6337.5
(नोट: क्षेत्र हेक्टेयर और क्षति रुपये में)
पिछले पांच वर्षों में दावानल
वर्ष—————–प्रभावित क्षेत्र———क्षति
2018—————–4480.04——-86.05
2017—————–1244.64——18.34
2016—————–4437.75——46.502
2015—————–701.61———7.943
2014—————–930.33———4.39
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