महंगाई को जांचने के लिए अगली बैठक में भी रेपो रेट बढ़ा सकता है आरबीआई: HSBC

एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को जांचने के लिए प्रमुख नीति दरों को फिर से बढ़ा सकता है। बीते महीने हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने रिटेल इन्फ्लेशन (खुदरा महंगाई) अनुमान को 0.30 फीसद बढ़ा दिया था और पॉलिसी स्टांस को न्यूट्रल जोन में रखा था। वहीं आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया था।एचएसबीसी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) मुद्रास्फीति को जांचने के लिए प्रमुख नीति दरों को फिर से बढ़ा सकता है। बीते महीने हुई बैठक में केंद्रीय बैंक ने रिटेल इन्फ्लेशन (खुदरा महंगाई) अनुमान को 0.30 फीसद बढ़ा दिया था और पॉलिसी स्टांस को न्यूट्रल जोन में रखा था। वहीं आरबीआई ने रेपो रेट को 0.25 फीसद बढ़ाकर 6.25 फीसद कर दिया था।  एचएसबीसी में एशियाई आर्थिक शोध के सह-अध्यक्ष फ्रेडरिक न्यूमैन ने एक नोट में कहा, “भारत में दरें और बढ़ सकती हैं। तेल ने काफी मुश्किलें पैदा की हैं, व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचाया है और कीमतों पर दबाव डाला है। मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को जांचने के लिए, आरबीआई को दरों को फिर से बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।”  आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मई में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्चतम स्तर के साथ 4.87 फीसद तक पहुंच गई थी, जिसकी प्रमुख वजह फलों, सब्जियों और अनाज जैसे महंगे खाद्य पदार्थों के महंगे होने के साथ साथ ईंधन की कीमतों में भी तेजी आना रहा। बीते साल मई महीने के दौरान महंगाई दर 2.18 फीसद रही थी।   RBI ने रेपो रेट को बढ़ाकर 6.25 फीसद किया, महंगाई अनुमान भी बढ़ा यह भी पढ़ें एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह मुश्किल होगा कि केंद्रीय बैंक किसी फैसले के लिए फेड के रुख का इंतजार करे, यह अमेरिका को एक महत्वपूर्ण मार्जिन से पीछे छोड़ देगा।” रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में मौद्रिक नीति में एक भिन्नता है।

एचएसबीसी में एशियाई आर्थिक शोध के सह-अध्यक्ष फ्रेडरिक न्यूमैन ने एक नोट में कहा, “भारत में दरें और बढ़ सकती हैं। तेल ने काफी मुश्किलें पैदा की हैं, व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचाया है और कीमतों पर दबाव डाला है। मुद्रास्फीति की अपेक्षाओं को जांचने के लिए, आरबीआई को दरों को फिर से बढ़ाने की आवश्यकता हो सकती है।”

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, मई में खुदरा मुद्रास्फीति चार महीने के उच्चतम स्तर के साथ 4.87 फीसद तक पहुंच गई थी, जिसकी प्रमुख वजह फलों, सब्जियों और अनाज जैसे महंगे खाद्य पदार्थों के महंगे होने के साथ साथ ईंधन की कीमतों में भी तेजी आना रहा। बीते साल मई महीने के दौरान महंगाई दर 2.18 फीसद रही थी।

एचएसबीसी की रिपोर्ट में कहा गया, “यह मुश्किल होगा कि केंद्रीय बैंक किसी फैसले के लिए फेड के रुख का इंतजार करे, यह अमेरिका को एक महत्वपूर्ण मार्जिन से पीछे छोड़ देगा।” रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया भर में मौद्रिक नीति में एक भिन्नता है।

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