बुराड़ी केस: एक नोटबुक में लिखी है हैरतअंगेज बातें

बुराड़ी में दिल दहला देने वाले कांड में सीलिंग से लटके 10 शवों के आस-पास तांत्रिक दिशा-निर्देश, हिन्दू देवी देवताओ की तस्वीरें, एक नोटबुक जिसमे 2017 से कई काम उज्वल भविष्य के वादे के साथ लिखे पाए गए है. रविवार को पुलिस ने जांच की तो मृतकों की आंखों पर पट्टी, हाथ बंधे, चेहरा झुका, कुछ का चेहरा ऊपर और लाश लोहे की ग्रिल पर ये सीन पुलिस को भी डरने पर मजबूर कर गया. दिल्ली स्थित संतनगर बुराड़ी में भाटिया हाउस किसी भूतिया जगह से काम नहीं था जहा दीवारों पर तांत्रिक मंत्र और देवी देवताओ की तस्वीरो के साथ निर्देशों से पटी हुई दीवारे किसी को भी डरा दे . बुराड़ी में दिल दहला देने वाले कांड में सीलिंग से लटके 10 शवों के आस-पास तांत्रिक दिशा-निर्देश, हिन्दू देवी देवताओ की तस्वीरें, एक नोटबुक जिसमे 2017 से कई काम उज्वल भविष्य के वादे के साथ लिखे पाए गए है. रविवार को पुलिस ने जांच की तो मृतकों की आंखों पर पट्टी, हाथ बंधे, चेहरा झुका, कुछ का चेहरा ऊपर और लाश लोहे की ग्रिल पर ये सीन पुलिस को भी डरने पर मजबूर कर गया. दिल्ली स्थित संतनगर बुराड़ी में भाटिया हाउस किसी भूतिया जगह से काम नहीं था जहा दीवारों पर तांत्रिक मंत्र और देवी देवताओ की तस्वीरो के साथ निर्देशों से पटी हुई दीवारे किसी को भी डरा दे .    एक नोटबुक जिसमे मुंह और आंख को कपड़ों से ढंककर, हाथ बांधकर दर्द और डर से निपटने के उपाय 25 जून को लिखे गए. मृतकों में से एक ललित भाटिया ने लिखा था. इसमें लिखा था कि किस तरह से लोग उसके आदेश पर स्टूल से कूद जाएंगे. भाटिया परिवार में 6 साल पहले एक काम करने वाली एक मेड ने कहा, "सारे परिजन बहुत ज्यादा धार्मिक थे. घर के मालिक भूपी भाटिया, अक्सर कुछ धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान आपा खो बैठते थे. वह समझ से बाहर आने वाली बाते कहते थें और अजीब व्यवहार करते थे."   वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर, रूपा मुर्गई ने इस मामले पर कहा , "धार्मिक समूहों में बीमार मनोदशा वाले लोग होते हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है. वे इससे कोई व्यक्तिगत या शारीरिक लाभ नहीं लेते हैं. वे कमजोर दिमागी लोगों को निशाना बनाते हैं और ब्रेन वॉश करते हैं. वह उन्हें इस बात का यकीन दिलाते हैं कि अच्छे जीवन के लिए उनका मरना जरूरी है. धर्म की आड़ में ऐसे समूह लोगों को सम्मोहित करते हैं और उनसे ऐसा कराते हैं." पुलिस के सूत्रों का कहना है कि परिवार के 11 सदस्यों में से 7 महिला और 4 पुरुष सदस्यों की हत्या, घर के ही 3 लोगों ने मारा और फिर खुद की हत्या कर ली. दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक नलिनी डेका ने कहा, "मैंने ऐसे धार्मिक समूहों को देखा है जो अपने लोगों को नशीली दवाओं से धीमा कर देते हैं और फिर उनसे जो चाहे वह करा सकते हैं. हम उन सांप्रदायिक समूहों का जिक्र नहीं कर सकते. उन्होंने इन सबके पीछे किसी ड्रग समूह का हाथ होने से इनकार किया."

एक नोटबुक जिसमे मुंह और आंख को कपड़ों से ढंककर, हाथ बांधकर दर्द और डर से निपटने के उपाय 25 जून को लिखे गए. मृतकों में से एक ललित भाटिया ने लिखा था. इसमें लिखा था कि किस तरह से लोग उसके आदेश पर स्टूल से कूद जाएंगे. भाटिया परिवार में 6 साल पहले एक काम करने वाली एक मेड ने कहा, “सारे परिजन बहुत ज्यादा धार्मिक थे. घर के मालिक भूपी भाटिया, अक्सर कुछ धार्मिक कार्यक्रमों के दौरान आपा खो बैठते थे. वह समझ से बाहर आने वाली बाते कहते थें और अजीब व्यवहार करते थे.”

वरिष्ठ मनोवैज्ञानिक डॉक्टर, रूपा मुर्गई ने इस मामले पर कहा , “धार्मिक समूहों में बीमार मनोदशा वाले लोग होते हैं जिन्हें उपचार की आवश्यकता होती है. वे इससे कोई व्यक्तिगत या शारीरिक लाभ नहीं लेते हैं. वे कमजोर दिमागी लोगों को निशाना बनाते हैं और ब्रेन वॉश करते हैं. वह उन्हें इस बात का यकीन दिलाते हैं कि अच्छे जीवन के लिए उनका मरना जरूरी है. धर्म की आड़ में ऐसे समूह लोगों को सम्मोहित करते हैं और उनसे ऐसा कराते हैं.” पुलिस के सूत्रों का कहना है कि परिवार के 11 सदस्यों में से 7 महिला और 4 पुरुष सदस्यों की हत्या, घर के ही 3 लोगों ने मारा और फिर खुद की हत्या कर ली. दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोवैज्ञानिक नलिनी डेका ने कहा, “मैंने ऐसे धार्मिक समूहों को देखा है जो अपने लोगों को नशीली दवाओं से धीमा कर देते हैं और फिर उनसे जो चाहे वह करा सकते हैं. हम उन सांप्रदायिक समूहों का जिक्र नहीं कर सकते. उन्होंने इन सबके पीछे किसी ड्रग समूह का हाथ होने से इनकार किया.”

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