ईरान से तेल आयात, चाबहार बंदरगाह पर US से बात करेगा भारत

प्रतिबंधों की वजहों से ईरान और नई दिल्ली के रिश्तों पर पड़ने वाले असर को लेकर अमेरिका अगले कुछेक महीने में भारत से बातचीत कर सकता है. ईरान से व्यापारिक रिश्तों को कम करने के संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की विशेष दूस निक्की हेली के सुझाव के बाद यह बात सामने आई है. हाल ही में भारत दौरे पर आईं निक्की हेली ने भारत को ईरान से रिश्तों को सिकोड़ने का सुझाव दिया था.  

बहरहाल ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध का पहला दौर 6 अगस्त से शुरू हो रहा है जबकि दूसरा चरण 6 नवंबर से शुरू होगा. सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका उन देशों से बातचीत करने की तैयारी कर रहा है जिनसे उसने ईरान से तेल आयात कम करने को कह रहा है. सूत्रों ने बताया कि इस संवाद के दौरान भारत अमेरिकी प्रतिबंधों के मद्देनजर ईरान से तेल आयात करने को लेकर रुपया-रियाल की व्यवस्था की समीक्षा करने की संभावनाओं पर बातचीत कर रहा है.

भारतीय हित का सवाल

एक सूत्र ने बताया, ‘उम्मीद है कि अगले कुछ हफ्तों में हम इस मसले पर अमेरिका से बातचीत करें. हम पहले से ही यह नहीं बता सकते कि अमेरिका क्या करेगा?’ भारत चाबहार परियोजना के बारे में अपनी चिंता से अमेरिका को अवगत करा सकता है जो उसके लिए रणनीतिक तौर पर खासे मायने रखता है. बता दें कि अफगानिस्तान- पाकिस्तान के बीच भारत ने चाबहार बंदरगाह की स्थापना की है.

अनौपचारिक संकेत तो यही है कि वाशिंगटन डीसी का डोनाल्ड ट्रंप प्रशान चाबहार बंदरगाह को लेकर भारत की चिंता से वाकिफ है और इसे देखते हुए ईरान पर प्रतिबंध लगाने की अपने कदमों से भारत को दूर रखेगा. शिपिंग और बंदरगाह भी अमेरिकी पाबंदी के दायरे में आते हैं.

क्या है असली मामला

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के साथ परमाणु करार तोड़ने के बाद ये भी सुनिश्चित करने में लगे हैं कि तेल के कुओं से संपन्न इस देश की आर्थिक तौर पर कमर तोड़ दी जाए. जुलाई, 2015 में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थाई सदस्यों के बीच परमाणु समझौता हुआ था. अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने समझौते के तहत ईरान के परमाणु कार्यक्रम को सीमित करने के बदले में पाबंदियों से राहत दी थी. मगर मई, 2018 में ईरान पर ज़्यादा दबाव बनाने के वास्ते ट्रंप ने ये समझौता तोड़ दिया.

ट्रंप ने ईरान में कारोबार कर रही विदेशी कंपनियों को निवेश बंद करने के लिए कहा है. अमेरिकी प्रतिबंधों का पालन नहीं करने वाली कंपनियों पर भारी जुर्माने की भी धमकी दे रहा है. ईरान के साथ परमाणु करार करने वालों में शामिल यूरोपीय नेताओं ने ट्रंप को इस मुद्दे पर समझाने की भी कोशिशें की, लेकिन ट्रंप ने अपने चुनावी वादे को पूरा किया और ईरान के साथ ओबामा प्रशासन का किया करार ख़त्म करने का ऐलान कर दिया. अब चूंकि अमेरिका के सहयोगी देश इस मुद्दे पर उसके साथ नहीं हैं, लिहाजा ट्रंप अब ईरान को आर्थिक नुकसान पहुंचाने के लिए हर संभव दांव आजमाना चाहते हैं.

क्या है अमेरिकी रणनीति

इसी रणनीति के तहत अमेरिका ने भारत सहित अन्य देशों को ईरान से तेल आयात करने से मना कर रहा है. सूत्रों का कहना है, ‘इसमें कोई संदेह नहीं कि अमेरिका भारत और अन्य देशों पर ईरान से तेल आयात नहीं करने का दबाव बनाने जा रहा है. सवाल है कि हम अपने राष्ट्रीय हित को कैसे देखते हैं और अपने मामले को अमेरिका के सामने कैसे पेश करते हैं. इसे अभी किया जाना है.’

तीन साल पहले प्रतिबंधों के हटने के बाद भारत रुपया-रियाल व्यवस्था के ईरान से तेल खरीदता रहा है. इस प्रणाली के तहत भारत तेल के बदले 55 फीसदी भुगतान यूरो के जरिये करता है जबकि 45 फीसदी का भुगतान वह रुपये के जरिये करता है. सूत्रों का कहना है कि मई में भारतीय विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ईरान के अपने समकक्ष मोहम्मद जावेद जारिफ को तेल आयात को लेकर उन्हें कोई आश्वान नहीं दिया था. उन्होंने यह भी बताया कि पेट्रोलियम मंत्रालय ने ईरान से तेल आयात बंद करने के भी संकेत नहीं दिए हैं. सउदी अरब और ईराक के बाद ईरान तीसरा देश है जो भारत को तेल का निर्यात करता है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com