विकर्ण थे महाभारत के सबसे दिलचस्प किरदार, जानिए क्यों हो गया था वध

महाभारत तो आप सभी ने पढ़ी और सुनी ही होगी. ऐसे में महाभारत में कई ऐसे दिलचस्प किरदार हैं जिनकी कहानी बहुत कम लोग जानते हैं. उन्ही में से एक किरदार है विकर्ण का. जी हाँ, धृतराष्ट्र और गांधारी के पुत्र विकर्ण कौरव में सबसे सम्मानित भाइयों में से एक थे और धर्म के ज्ञाता के तौर पर भी जाना जाता है और महाभारत की एक कथा के अनुसार जब धृतराष्ट्र के दरबार में द्रौपदी का चीरहरण हो रहा था और सभी चुप्पी साधे हुए थे, उस समय विकर्ण ही एक ऐसे शख्स थे जिन्होंने इसका खुलकर विरोध किया और ऐसा होने से रोकने की कोशिश की. जी हाँ, केवल इतना ही नहीं विकर्ण ने चौसर के खेल का भी विरोध किया. जी हाँ, आप सभी को बता दें कि महाभारत के युद्ध भीम विकर्ण से लड़ना चाहते थे लेकिन उन्होंने उनका वध कर दिया. आइए जानते हैं क्यों…

कथा – युद्ध के 14वें दिन अर्जुन अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार जयद्रथ को मारने पर आमादा थे. अर्जुन ने प्रतिज्ञा ले रखी थी कि अगर सूर्यास्त तक वे जयद्रथ को मारने में नाकाम रहे तो अग्नि समाधी ले लेंगे. कौरव यह बात जानते थे और इसलिए उन्होंने जयद्रथ को दिन भर छिपाने का प्रयास किया. दूसरी ओर अर्जुन की मदद के लिए भीम उनके साथ थे. जयद्रथ को खोजने के क्रम में भीम का सामना विकर्ण से हुआ. भीम जानते थे कि विकर्ण अर्धम के खिलाफ रहने वाले व्यक्ति है. उन्होंने विकर्ण से कहा कि वे उनसे युद्ध नहीं लड़ना चाहते हैं. यह सुनकर विकर्ण ने भीम को जवाब दिया कि वे जानते हैं कौरव की पराजय निश्चित है क्योंकि श्रीकृष्ण पांडवों की ओर हैं लेकिन फिर भी युद्ध लड़ना उनका धर्म है.

इस पर भीम ने उन्हें चौसर का खेल और द्रौपदी के चीरहरण की बात भी याद दिलाई. विकर्ण हालांकि अपनी बात पर अड़े रहे. उन्होंने भीम से कहा उस समय जो उनका कर्तव्य था, वह उन्होंने किया और अब जो उनका कर्तव्य है, वह भी वे करने से पीछे नहीं हटेंगे. इसके बाद भीम और विकर्ण में युद्ध हुआ और आखिरकार भीम उन्हें मारने में कामयाब रहे. विकर्ण की तुलना रामायण के कुंभकरण से भी की जाती है. दरअसल, दोनों जानते थे कि सही क्या है लेकिन अपने बड़े भाई के निर्देशों के कारण उन्होंने अर्धम के लिए युद्ध लड़ा.

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