भारतीय मूल के अभिजीत बनर्जी और एस्तेय डफ्लो को प्रतिष्ठित नोबल पुरस्कार

नई दिल्ली : अभिजीत बनर्जी और एस्तेय डफ्लो दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार पाने वाले छठे दम्पति बन गए। नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले दंपति 1903 में पियरे क्यूरी और मैरी क्यूरी थे जिन्होंने रेडियम और पोलोनियम की खोज के लिए यह पुरस्कार जीता था। पिछली बार 2014 में ब्रिट मोजर और एडवर्ड आई मोजर ने चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार जीता था। भारतीय-अमेरिकी बनर्जी और फ्रांसीसी-अमेरिकी डफ्लो मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से जुड़े हैं। नोबेल पुरस्कार विशेष रूप से उन शोधकर्ताओं को दिया जाता है जिन्होंने भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान या चिकित्सा, साहित्य, आर्थिक विज्ञान और शांति के क्षेत्र में उत्कृष्ट खोज की है या असाधारण काम किया है। कोलकाता में जन्मे अभिजीत बनर्जी साउथ पॉइंट स्कूल और प्रेसिडेंसी कॉलेज के पूर्व छात्र थे और वर्तमान में एमआईटी में फोर्ड फाउंडेशन इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर के रूप में काम कर रहे हैं।
उन्होंने वर्ष 1983 में दिल्ली स्थित जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (एमए) किया था। एस्तेर बनर्जी की छात्र रही हैं। अभिजीत बनर्जी ने एमआईटी में प्रोफेसर डॉ. अरुंधति तुली बनर्जी से शादी की थी और उनके एक बेटा भी है। दोनों ने बाद में तलाक लिया। डफ्लो और बनर्जी की 2012 में एक संतान भी थी और 2015 में दोनों ने औपचारिक रूप से शादी की। अर्थशास्त्र में इस बार का नोबेल पुरस्कार वैश्विक गरीबी को कम करने के प्रयोगात्मक दृष्टिकोण के लिए अभिजीत बनर्जी, एस्तेर डफ्लो और माइकल क्रेम को संयुक्त रूप से दिया गया है। माइकल क्रेमर हार्वर्ड विश्वविद्यालय से जुड़े हैं। बनर्जी और डफ़्लो ‘पूअर इक्नोमिक्स’ नामक एक प्रसिद्ध पुस्तक लिख चुके हैं। आर्थिक नोबेल जीतने वाली दूसरी महिला बनी डफ्लो ने कहा कि गरीबी की समस्याओं को जड़ों से समझे बिना लोगों ने इसे एक ‘कारिकेचर’ बना दिया है। हमने समस्या को समझने के लिए प्रत्येक घटक का वैज्ञानिक कठोरता से विश्लेषण किया है।

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