धान की फसल को कीट एवं बीमारी से बचाने के लिए करें निगरानी : आशुतोष निरंजन

डीएम बस्ती ने किसानों को दी सलाह

बस्ती : जनपद में खरीफ की मुख्य फसल धान की अच्छी स्थिति है। इस समय धान की फसल को कीट एवं बीमारी के प्रकोप से बचाने के लिए कृषक बन्धुओं को बराबर निगरानी करने की आवश्यकता है। धान की फसल को बीमारियों से बचाने ने लिए डीएम आशुतोष निरंजन ने किसानों को उक्त सलाह दी है। धान के फसल में जीवाणु झुलसा रोग का प्रकोप फसल में बाली निकलने पर अधिक होता है। पत्तिया नोक से अथवा किनारे की तरफ से सूखना प्रारम्भ कर नीचे की तरफ सूखती है। पहले धब्बे धूसर रंग के होते है, फिर एक-दो दिन में वे पीले हो जाते है। इस रोग के नियंत्रण हेतु स्टेप्टोमाईशीन सल्फेट 90 प्रति 15 ग्राम एवं कापर आक्सीक्लोराइड 50 प्रति, डब्लूपी 500 ग्राम प्रति हेक्टयर की दर से 400 से 500 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। धान की फसल में झूठा कण्डुआ रोग जो किसानबन्धु हर्दिहवा रोग से जानते है। इस रोग में धान की बाली के दाने पीले रंग के आबरण से ढंक जाते है, जो बाद में काले हो जाते है। यह रोग बीजजनित है। इसके बचाव हेतु कार्बेन्डाइजिम 50 प्रति, डब्लूपी 02 ग्राम प्रतिकिलों बीज की दर से बुआई के समय बीज का शोधन करना चाहिए। रोग लगने पर कार्वेन्डाइजिम 50 प्रति डब्लूपी 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 700 सौ लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए।

डीएम ने बताया कि धान की फसल में तनाछेदक कीट, फुदका कीट और सैनिक कीट का भी प्रकोप हो सकता है, जिससे फसल को काफी नुकसान होता है। फुदका नियंत्रण हेतु कार्वोफियूरान 3जी 20 किलों ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए अथवा क्यूनालफास 25 प्रति ईसी डेढ लीटर या क्लोरपारीफास 20 प्रति ईसी डेढ लीटर या इमीडाक्लोप्रिड 17.8 प्रति एसएल 1.25 मिली लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए। सैनिक किट बालियों को छोटे-छोटे टुकडों में काट कर नीचे गिरा देती है। इसके नियंत्रण के लिए मैलाथियान पॉच प्रति धूल या मिथाइलपैराथियान दो प्रति धूल अथवा फेनवलरेट 0.04 प्रति धूल 20 से 25 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से शाम के समय भुरकाव करना चाहिए। उन्होंने कहा कि फसल की सुरक्षा हेतु आनलाईन व्यवस्था सहभागी फसल निगरानी एवं निदान प्रणाली (पीसीआरएस) के अन्तर्गत उपलब्ध कराये गये दूरभाष नम्बर 9452247111 व 9452257111 पर सम्पर्क करके समुचित जानकारी प्राप्त करनी चाहिए। इसके अलावा कृषि विभाग की वेवसाइट पर भी अपनी समस्या का समाधान प्राप्त कर सकते है।

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