इलाज के साथ मरीजों के साथ अच्छा व्यवहार भी होना चाहिए : आनंदीबेन पटेल

केजीएमयू दीक्षांत समारोह में 44 छात्र-छात्रओं को दिए गोल्ड मेडल

लखनऊ : राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने कहा कि मरीज के पास धैर्य नहीं होता, वह जल्द इलाज करवाना चाहता है। पहले की अपेक्षा जमाना बदल रहा है। इस बात को डॉक्टरों को समझना होगा। यह पेशा परोपकार से जुड़ा है जबकि देखा जाता है कि डॉक्टर गरीबों के दुख का नाजायज फायदा उठाते हैं। मरीज के इलाज के साथ-साथ उसके साथ अच्छा व्यवहार भी होना चाहिए, इसलिए डॉक्टरों में चरित्र का होना बहुत जरूरी है। राज्यपाल शुक्रवार को किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के 15वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रही थीं। इस दौरान राज्यपाल ने 44 मेडिकल के विद्यार्थियों को मेडल दिया। इसमें 22 छात्र व 22 छात्राएं हैं। 1466 विद्यार्थियों को डिग्रियां दी गयीं, जिसमें 742 छात्राएं शामिल थीं।

राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नए डॉक्टरों से अपेक्षा करते हुए कहा कि आप व्यवहार, कार्यकुशलता को तरजीह देंगे। किसी पेशे में हमेशा सीखने की जरूरत होती है जो सीखता है, वही जिन्दगी में महान बनता है। उन्होंने दुख जताते हुए कहा कि मरीज जब आशक्त होता है तो अस्पताल आता है। हमें दुख है कि सरकारी अस्पतालों में भी डॉक्टर उसके दुख का नाजायज फायदा उठाते हैं और उनसे भी पैसे की वसूली की जाती है। आखिर जब सरकार खुद आपको पैसा दे रही है तो मरीजों से पैसा क्यों लेते हैं। उन्होंने आज मेडल और डिग्रियां पाने वाले डॉक्टरों से उम्मीद जाहिर की कि वे ऐसा नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि आपके मन में ऐसा भाव नहीं आना चाहिए।

उन्होंने कहा कि मैं जहां भी जाती हूं, प्राथमिक के बच्चों को कार्यक्रम में जरूर बुलाती हूँ। इसका कारण है कि उन्हें ऐसे भव्य कार्यक्रम को जरूर देखना चाहिए। इससे उनमें आगे बढ़ने की ललक पैदा होगी। आखिर वही देश के कर्णधार हैं। इस अवसर पर बुलाए गये सरस्वती शिशु मंदिर के बच्चों की तरफ इंगित करते हुए कहा कि इनमें कल्पना का भाव पैदा करना बहुत जरूरी है। राज्यपाल ने कहा कि कुछ लोग हमारे थाने का निरीक्षण करने पर भी सवाल उठाते हैं। मैं थाने जाकर यह देखती हूं कि वहां के पुलिस कर्मियों को देखकर बच्चे भयभीत होते हैं। बच्चे पुलिस थाने में नहीं जाना चाहते। यदि बच्चे पुलिस से डरेंगे तो बाल अपराध कैसे दूर हो सकता है। बच्चों के मन से पुलिस को डर का भाव खत्म करना होगा। उन्होंने मेडिकल के विद्यार्थियों से कहा कि मैं अपेक्षा करती हूं कि आप दहेज, बाल विवाह जैसी कुरीतियों काे भी दूर करेंगे। उन्होंने कहा कि आज महिलाओं में जागरुकता बढ़ी है।

इस अवसर पर चिकित्सा शिक्षा एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का अपना एक इतिहास रहा है। यहां से अब तक 30 हजार से भी ज्यादा छात्र डॉक्टर बनकर निकले हैं। आज इसकी गरिमा बनाये रखने के लिए जरूरी है कि डॉक्टर व्यवहार कुशल हों और मरीजों के साथ सहिष्णुता से पेश आएं। पचास प्रतिशत मर्ज डॉक्टर के व्यवहार से ही ठीक हो जाता है। इस अवसर पर प्रोफेसर बलराम भार्गव, कुलपति और काफी संख्या में मेडिकल कालेज के प्रोफेसर आदि मौजूद रहे।

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