बदरीविशाल के जयकारों के साथ शीतकाल के लिए बंद हुए धाम के कपाट

गोपेश्वर : भू-बैकुंठ धाम बदरीनाथ के कपाट रविवार को सांय पांच बजकर 13 मिनट पर पौराणिक परंपरओं और पूजा अर्चना के साथ शीतकाल के लिये बंद हो गये हैं। इसके साथ ही उत्तराखंड में संचालित होने वाली इस वर्ष की चार धाम यात्रा भी बंद हो गई है। कपाट बंद होने के मौके पर करीब 10 हजार से अधिक तीर्थयात्रियों ने भगवान नारायण के दर्शन किये। रविवार को ब्रह्म मुहूर्त में बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलते ही मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी मंदिर के गर्भगृह भगवान नारायण की अभिषेक पूजाओं और पुष्प श्रृंगार की प्रक्रियाएं संपन्न कीं। इस दौरान रावल ईश्वर प्रसाद नम्बूदरी ने महिला वेष में माता लक्ष्मी की सखी के रूप में गर्भ में प्रवेश किया जिसके बाद यहां माता लक्ष्मी को भगवान नारायण के सांनिध्य में विराजमान कर पूजा-अर्चना की गई। यहां पौरणिक परम्पराओं के अनुरुप पूरे दिन मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खुले रहे।

शाम चार बजे मंदिर के कपाट बंद होने की प्रक्रियांएं शुरु की गई। मुख्य पुजारी रावल ने मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश कर माणा गांव की सुहागिन महिलाओं द्वारा ऊन से बनी घृत कम्बल भगवान नारायण को ओढाया। यहां करीब एक घंटे तक चली विशेष पूजाओं के पश्चात निर्धारत पांच बजकर 13 मिनट पर मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद कर दिये गये। मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही उद्धव जी और कुबेर जी व आदि गुरु शंकराचार्य गद्दी को श्रद्धालुओं के साथ मंदिर परिसर से बाहर लाया गया। इस दौरान बीकेटीसी के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल, उपाध्यक्ष अशोक खत्री, रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी, मुख्य कार्याधिकारी बीडी सिंह, उपमुख्य कार्याधिकारी सुनील तिवारी, कार्याधिकारी एनपी जमलोकी, धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल, मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ सहित मंदिर समिति के अधिकारी-कर्मचारी, हक-हकूकधारी आदि मौजूद रहे।

 

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