शिक्षण पद्धति को प्रौद्योगिकी में होना चाहिए निपुण : डा.हयाल कोकसाल

वाद-विवाद, पोस्टर एण्ड स्लोगन एवं नुक्कड़ नाटक द्वारा क्वालिटी विचारधारा को अपनाने का प्रतिभागी छात्रों ने दिया संदेश

लखनऊ : सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चल रहे अन्तर्राष्ट्रीय स्टूडेन्ट्स क्वालिटी कन्ट्रोल सर्किल (आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019) के तीसरे दिन आज विभिन्न देशों से पधारे प्रख्यात क्वालिटी विशेषज्ञों ने जोर देते हुए कहा कि उत्कृष्ट परिणाम प्राप्त करने के लिए व्यवस्था में सुधार आवश्यक है परन्तु इसके साथ ही हमें भी रचनात्मक बदलावों का स्वागत करने को सदैव तत्पर होना चाहिए। बदलाव हमें जागरूक एवं सजग बनाता है एवं निरन्तर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इन विशेषज्ञों ने भावी पीढ़ी में चरित्र निर्माण, टीम वर्क, सहयोग की भावना, विचारों के आदान-प्रदान के महत्व पर भी जोर दिया और कहा कि मनुष्य के इरादे सदा बुलन्द होने चाहिए। आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 के अन्तर्गत आज देश-विदेश के प्रतिभागी छात्रों ने विभिन्न रोचक प्रतियोगिताओं जैसे वाद-विवाद प्रतियोगिता, पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता एवं नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता के माध्यम से अपने ज्ञान-विज्ञान का जोरदार प्रदर्शन किया एवं क्वालिटी की भावना को पूरे जीवन में उतारने का संदेश दिया। विदित हो कि आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 का आयोजन सी.एम.एस. कानपुर रोड कैम्पस के तत्वावधान में किया जा रहा है, जिसमें विश्व के 16 देशों आस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, चीन, आयरलैण्ड, मलेशिया, मॉरीशस, नेपाल, कतर, दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, टर्की, थाईलैण्ड, अमेरिका, इंग्लैण्ड, यू.ए.ई. एवं भारत के ख्यातिप्राप्त विशेषज्ञ एवं छात्र प्रतिभाग कर रहे हैं।

आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 के तीसरे दिन के ओपनिंग प्लेनेरी सेशन में चर्चा-परिचर्चा की शुरुआत प्रख्यात शिक्षाविद् व सी.एम.एस. संस्थापक डा. जगदीश गाँधी के सारगर्भित से हुई। ‘‘टोटल क्वालिटी मैनेजमेन्ट: एन इनीशिएटिव टु डेवलप टोटल क्वालिटी परसन’’ विषय पर बोलते हुए डा. गाँधी ने कहा कि क्वालिटी के इस युग में किसी भी घटिया वस्तु के लिए जगह नहीं है। निरन्तर आगे बढते रहने के लिए क्वालिटी की विचारधारा को अपनाना बेहद जरूरी है। क्वालिटी हमारे विचारों में भी होनी चाहिए, घटिया और तुच्छ विचारों को त्यागकर हमें एकता के विचारों को अपनाना चाहिए। डा. गाँधी ने सम्मेलन में पधारे देश-विदेश के क्वालिटी गुरुओं का स्वागत किया। आज क्वालिटी सर्किल सम्मेलन के तीसरे दिन का उद्घाटन भाषण देते हुए तुर्की से पधारी डा. हयाल कोकसाल, फाउण्डिंग प्रेसीडेन्ट, एसोसिएशन फार इनोवेटिव कोलाबरेशन, ने ‘इम्पैक्ट ऑफ एक्सपोनेन्शियल राइज इन यूज ऑफ टेक्नोलॉजीज इन ट्वेन्टी फर्स्ट सेन्चुरी पेडागोजी’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षण पद्धति को प्रौद्योगिकी में निपुण होना चाहिए। शिक्षा के तरीके बदल रहे हैं और शिक्षकों को भी उसी अनुरूप बदलना चाहिए। प्लेनरी सेशन की अध्यक्षता एम.एस.क्यू.सी.सी. मॉरीशस के चेयरमैन मधुकर नारायन ने की।

इस अवसर पर कीनोट एड्रेस देते हुए मोटीवेशनल स्पीकर सिमरजीत सिंह ने कहा कि यदि हम सीमारेखा से आगे नहीं बढते तो हम तय पद्धति के गुलाम बने रहेंगे और कभी प्रगति नहीं कर पायेंगे। यदि परिणाम बदलना चाहते हैं तो प्रयास में भी परिवर्तन लाना होगा। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता वही है जो आप हैं और यह छोटी-छोटी चीजों से आरम्भ होती है। उन्होंने छात्रों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा कि यदि आप छोटे-छोटे कामों में सफल हो जाते हैं तो आपमें गुणवत्ता आती है। ज्ञान का क्रियान्वयन अति आवश्यक है। एक छोटा सा कार्य टन भर सिद्धान्त से बढ़कर है। हैप्पीनेस टेक्नोलॉजी, इण्डिया के फाउण्डर एवं चीफ मेन्टर, डा. अरूण भारद्वाज ने ‘इंजीनियरिंग हैप्पीनेस- एजूकेशन फॉर सेल्फ डिस्कवरी, एन्लाइटेनमेन्ट एण्ड एम्पॉवरमेन्ट’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा का उद्देश्य खुश बच्चे बनाना है। क्लासरूम में नौकरी करना बताया जता है परन्तु नौकरी को आनन्दित होकर कैसे करें, यह नहीं बताया जाता है। अमेरिका से पधारे क्वालिटी डाइजेस्ट के सी.ई.ओ. जेफ डेवर ने कहा कि गुणवत्ता के लिए नेतृत्व के प्रत्यक्ष प्रतिबद्धता से व्यवहार बदलते हैं। अपने छात्रों को अपने पढ़ाये हुए पाठ से आगे देखना सिखायें, तभी उनमें गुणवत्ता आयेगी। इसी प्रकार देश-विदेश के कई अन्य क्वालिटी विशेषज्ञों ने अपने सारगर्भित विचारों से ज्ञान की गंगा बहाई।

आई.सी.एस.क्यू.सी.सी.-2019 के तीसरे दिन आज देश-विदेश से पधारे प्रतिभागी छात्रों ने पोस्टर एवं स्लोगन प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता एवं नुक्कड़ नाटक प्रतियोगिता में अपने ज्ञान-विज्ञान व रचनात्मक कौशल का जोरदार प्रदर्शन किया। पोस्टर एवं स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिता के अन्तर्गत देश-विदेश के प्रतिभागी छात्रों ने ‘क्वालिटी सर्किल्स फॉर ग्लोबल इंटीग्रेशन’ एवं ‘क्वालिटी – एन एटीट्यूड टु एचीव परफेक्शन’ विषयों पर अपनी विस्तृत सोच व लेखन प्रतिभा का उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया तो वहीं दूसरी ओर वाद-विवाद प्रतियोगिता में अपने तर्को व अभिव्यक्ति क्षमता का भरपूर प्रदर्शन कर सभी को दांतो तले उंगली दबाने पर मजबूर कर दिया। इसके अलावा, अपरान्हः सत्र में आयोजित ‘नुक्कड़ नाटक’ प्रतियोगिता सभी के आकर्षण का केन्द्र रही, जिसमें प्रतिभागी छात्रों ने दिखाया कि कैसे क्वालिटी विचारधारा अपनाकर जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन किया जा सकता है और चारित्रिक गुणों का विकास किया जा सकता है।

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