कीमोथेरेपी कैंसर रोगियों के लिए प्रभावी उपचार है, लेकिन इससे मरीज के शरीर पर पड़ने दुष्प्रभावों की अनदेखी भी नहीं की जा सकती है। इलाज की यह प्रक्रिया इतनी दर्दनाक होती है कि कई मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं। अब यरुशलम की हिब्रू यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसा तरीका विकसित किया है, जिसमें कीमोथेरेपी सीधे कैंसर प्रभावित कोशिकाओं पर प्रहार करेगी। इस खोज का मुख्य उद्देश्य रोगियों को दी जाने वाली कीमो की खुराक को कम करना है, जिससे उपचार के दौरान होने वाले दुष्प्रभावों को कम किया जा सके।
यूनिवर्सिटी में प्लेन प्लास्टिसिटी रिसर्च ग्रुप के हेड अलेक्जेंडर बिंसटोक ने बताया कि कैंसर के इलाज के ज्यादातर तरीकों के दौरान कैंसर प्रभावित कोशिकाओं के साथ ही स्वस्थ कोशिकाओं पर भी असर पड़ता है। कीमोथेरेपी में भी इसी तरह के दुष्प्रभाव होते हैं। कीमो को केवल कैंसर कोशिकाओं पर केंद्रित करने और कीमो की मात्र कम करने से ऐसे कई दुष्प्रभावों से बचना संभव हो सकता है।
कीमोथेरेपी एक प्रकार का उपचार है, जिसमें कैंसर का इलाज करने के लिए एक या एक से अधिक दवाओं का प्रयोग किया जाता है। कीमो का उद्देश्य कैंसर कोशिकाओं के विकास को धीमा करना या रोकना होता है। कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने के साथ-साथ कीमोथेरेपी मुंह के अंदर की कोशिकाओं को भी नष्ट कर सकती है। इससे मुंह लाल पड़ सकता है और संक्रमण होने की संभावनाएं भी बढ़ सकती हैं। शोधकर्ताओं ने कहा इस समस्या से बचने के लिए नया तरीका मददगार सिद्ध हो सकता है।
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