अनंग त्रयोदशी के व्रत से होती है संतान की प्राप्ति, जानिए महत्व और पूजा विधि

सुख-संपत्ति की कामना और सौभाग्य वृद्धि के लिए सनातन संस्कृति में कई व्रत-त्यौहार किए जाते हैं। ऐसा ही एक व्रत अनंग त्रयोदशी का है, जिसको संतान सुख की कामना के लिए देश के कई हिस्सों में मनाया जाता है। मान्यता है कि अनंग त्रयोदशी का व्रत कर विधि-विधान से पूजा करने पर दंपत्ति को संतान की प्राप्ति होती है। अनंग त्रयोदशी का व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस बार अनंग त्रयोदशी 9 दिसंबर सोमवार को है।

अनंग त्रयोदशी के दिन भक्त शिव-पार्वती की पूजा करते हैं, जिससे धन, संपदा, एश्वर्य और सुख, शांति मिलती है। इस तिथि को कामदेव और रति की भी पूजा की जाती है। अनंग त्रयोदशी का व्रत मुख्य रूप से महाराष्ट्र और गुजरात और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है। उत्तर भारत में यह व्रत दिसंबर के महीने में मनाया जाता है।

अनंग त्रयोदशी की पूजा विधि

अनंग त्रयोदशी के दिन सूर्योदय से पूर्व उठ जाएं और स्नान के जल में गंगाजल या पवित्र जल डालकर स्नान करें। श्वेत वस्त्र धारण करें और सबसे पहले श्रीगणेश की कुमकुम, अक्षत, गुलाल, मेंहदी, हल्दी, चंदन से पूजा करें। जनेऊ, वस्त्र, पंचमेवा, पंचामृत, ऋतुफल, मोदक, लड्डूओं का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती जलाएं। ओम गणेशाय नम: मंत्र का जाप करें। उत्तम स्वास्थ्य के लिए शिव पूजा करें। इसके लिए तांबे के लोटे में जल लेकर शिवलिंग पर समर्पित करें। शिवजी को सफ़ेद फूल, सफ़ेद मिठाई, बेलपत्र, केला, भांग, धतूरे, अमरूद आदि का भोग लगाएं। ओम नम: शिवाय का जाप करें और 13 सिक्के समर्पित करें। विवाह की मनोकामना पूरी करने के लिए शिवलिंग पर सिंदूर और सफेद फूल चढ़ाएं। 13 बेलपत्रों के साथ जल में गुड़ घोलकर शिव अभिषेक करें। इसके साथ ही 13 तुलसी दल और 13 बताशे चढ़ाएं।

अनंग त्रयोदशी का दिन प्यार करने वालों के लिए भी काफी अहम है। प्रेम संबंधों में सफलता की कामना रखने वालों को इस दिन महादेव और पार्वती के साथ कामदेव और उनकी पत्नी रति का पूजन करना चाहिए। मान्यता है कि इस दिन इन देवी-देवताओं का पूजन करने से प्रेम संबंधों में सफलता मिलती है और प्रेमी जोड़ों का साथ जन्म-जन्मांतर तक अटल रहता है।

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