शहीदी पर सजे विशेष दीवान, शबद कीर्तन से संगत हुए निहाल

लखनऊ : गुरुद्वारा याहियागंज में शनिवार 28 दिसम्बर को साहिबजादो एवं माता गुजरी की शहीदी पर विशेष दीवान सजाए गए। इस अवसर पर विशेष रूप से भाई वीर सिंह ने संगतों को शबद कीर्तन द्वारा निहाल किया। ज्ञानी जोगिंदर सिंह ने बताया कि साहिबजादो की शहादत धर्म को बचाने के लिए की गई। ज्ञानी जी ने कहा कि विश्व में आज तक किसी एक भूमि के टुकड़े का सबसे अधिक दाम चुकाया गया है भारत में ही पंजाब में स्थित सिरहिन्द में और विश्व की इस सबसे महंगी भूमि को ख़रीदने वाले महान व्यक्ति का नाम दीवान टोडर मल था। गुरु गोबिंद सिंह के छोटे-छोटे साहिबज़ादों बाबा फ़तेह सिंह और बाबा ज़ोरावर दोनो साहिबज़ादों को जीवित ही दीवार में चिनवा दिया था। दीवान टोडर मल जो कि इस क्षेत्र के एक धनी व्यक्ति थे और गुरु गोविंद सिंह जी एवं उनके परिवार के लिए अपना सब कुछ क़ुर्बान करने को तैयार थे ।
उन्होंने वज़ीर खान से साहिबज़ादों के पार्थिव शरीर की मांग की और वह भूमि जहाँ वह शहीद हुए थे वहीं पर उनकी अंत्येष्टि करने की इच्छा प्रकट की। वज़ीर खान ने धृष्टता दिखाते हुए भूमि देने के लिए एक अटपटी और अनुचित मांग रखी। वज़ीर खान ने माँग रखी कि इस भूमि पर सोने की मोहरें बिछाने पर जितनी मोहरें आएंगी, वही इस भूमि का दाम होगा। दीवान टोडर मल के अपने सब भंडार ख़ाली करके जब मोहरें भूमि पर बिछानी शुरू कीं तो वज़ीर खान ने धृष्टता की पराकाष्ठा पार करते हुए कहा कि मोहरें बिछा कर नहीं बल्कि खड़ी करके रखी जाएँगी ताकि अधिक से अधिक मोहरें वसूली जा सकें। दीवान टोडर मल ने अपना सब कुछ बेच कर और मोहरें इकट्ठी कीं और 78000 सोने की मोहरें देकर चार गज़ भूमि को ख़रीदा ताकि गुरु जी के साहिबज़ादों का अंतिम संस्कार वहाँ किया जा सके। विश्व के इतिहास में ना तो ऐसे त्याग की कहीं कोई और मिसाल मिलती है ना ही कहीं पर किसी भूमि के टुकड़े का इतना भारी मूल्य कहीं और आज तक चुकाया गया।

जब बाद में गुरु गोविन्द सिंह जी को इस बारे में पता चला तो उन्होंने दीवान टोडर मल से कृतज्ञता प्रकट की और उनसे कहा की वे उनके त्याग से बहुत प्रभावित हैं और उनसे इस त्याग के बदले में कुछ मांगने को कहा। दीवान ने गुरुजी से जो मांगा उसकी कल्पना करना भी असम्भव है! दीवान टोडर मलने गुरु जी से कहा की यदि कुछ देना ही चाहते हैं तो कुछ ऐसा वर दीजिए की मेरे घर पर कोई पुत्र ना जन्म ले और मेरी वंशावली यहीं मेरे साथ ही समाप्त हो जाए। इस अप्रत्याशित माँग पर गुरु जी सहित सब लोग हक्के-बक्के रह गए! गुरु जी ने दीवान जी से इस अद्भुत माँग का कारण पूछा तो दीवान जी का उत्तर ऐसा था जो रोंगटे खड़े कर दे। दीवान टोडर मल ने उत्तर दिया कि गुरु जी, यह जो भूमि इतना महंगा दाम देकर ख़रीदी गयी और आपके चरणों में न्योछावर की गयी मैं नहीं चाहता की कल को मेरे वंश आने वाली नस्लों में से कोई कहे की यह भूमि मेरे पुरखों ने ख़रीदी थी।

यह थी निस्वार्थ त्याग और भक्ति की आज तक की सबसे बड़ी मिसाल। दीवान की समाप्ति पर गुरु का लंगर वितरित किया गया। गुरुद्वारा सचिव मनमोहन सिंह हैप्पी ने बताया कि डॉ गुरमीत सिंह जी के संयोजन में गुरुद्वारा यहियागंज में 31 दिसंबर की रात में विशेष दीवान सजाया जाएगा जिसमें मुख्य रूप से भाई कुलदीप सिंह देहरादून से पधार रहे हैं रात को 12:00 बजे फूलों की वर्षा होगी। इधर श्री गुरु गोविंद सिंह के प्रकाश पर्व की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। इस अवसर पर 1 जनवरी शाम एवं 2 जनवरी को प्रातः से लेकर देर रात्रि तक दीवान सजाए जाएंगे। इस अवसर पर विश्व विख्यात भाई गगनदीप सिंह श्रीगंगानगर से एवं भाई कुलदीप सिंह देहरादून से पधार रहे हैं रात्रि 1:00 बजे गुरु ग्रंथ साहब जी के ऊपर गुलाब के फूलों से फूलों की वर्षा होगी।

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