बतौर पीठाधीश्वर योगी निभाएंगे सदियों पुरानी परंपरा

मकर संक्राति को तडक़े चढ़ाएंगे बाबा गारेखनाथ को खिचड़ी
मांगेंगे देश और प्रदेश के सुख, शांति और समृद्धि की मन्नत

गोरखपुर : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बतौर पीठाधीश्वर मकर संक्रांति (15 जनवरी) को गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मंदिर में सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन करेंगे। तड़के तीन बजे मंदिर का कपाट खुलते ही विधिवत पूजन अर्चन के साथ वह बाबा गोरखनाथ पहली खिचड़ी चढ़ाएंगे। साथ ही देश एवं प्रदेश की सुख, समृद्धि और शांति की मन्नत भी मांगेगे। तुरंत बाद नेपाल के राजा की ओर से आयी खिचड़ी चढ़ेगी। इसके बाद तो लाखों की संख्या में आये श्रद्धालु बाबा की जयघोष के साथ खिचड़ी (चावल-दाल) की बरसात ही कर देंगे। इस दिन योगी का पूरा समय श्रद्धालुओं के बीच ही गुजरेगा। इस दौरान हर आने-जाने वाले से प्रसाद के रूप में लइया-तिल लेने का आग्रह किया जाता है और दोपहर बाद हजारों लोगों के साथ सहभोज होता है।

उल्लेखनीय है कि गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा सदियों पुरानी है। किदंवतियों के अनुसार त्रेता युग में अवतारी और सिद्ध गुरु गोरक्षनाथ भिक्षाटन के दौरान हिमाचल के कांगड़ा जिले के प्रसिद्ध ज्वाला देवी मंदिर गये। देवी प्रकट हुईं और गुरु गोरक्षनाथ को भोजन का आमंत्रण दिया। वहां के तामसी भोजन को देखकर गोरक्षनाथ ने कहा मैं तो भिक्षाटन से मिले चावल-दाल को ही ग्रहण करता हूं। इस पर देवी ने कहा कि मैं चावल-दाल पकाने के लिए पानी गरम करती हूं। आप भिक्षाटन कर चावल-दाल लाएं।

यहां से हुई खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा

गुरु गोरक्षनाथ वहां से भिक्षाटन करते हुए हिमालय की तराई में स्थित गोरखपुर आ गये। वहां उन्होंने राप्ती और रोहिणी नदी के संगम पर एक मनोरम जगह पर अपना अक्षय भिक्षापात्र रखा और साधना में लीन हो गये। इस बीच खिचड़ी का पर्व आया एक तेजस्वी योगी को ध्यानमग्न देखकर लोग उसके भिक्षापात्र में चावल-दाल डालने लगे, पर वह तो अक्षय पात्र था। लिहाजा भरने से रहा। लोग इसे सिद्ध योगी का चमत्कार मानकर अभिभूत हो गये। तबसे गोरखपुर में बाबा गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। इस दिन पूरे देश से खासकर नेपाल-बिहार व पूर्वांचल के दूर-दराज के इलाकों से लाखों श्रद्धालु खिचड़ी चढ़ाने आते हैं। वहां का खिचड़ी मेला करीब एक महीने तक चलता है। इस दौरान पड़ने वाले हर रविवार और मंगलवार का अपना महत्व है। इन दिनों यहां पर भारी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

मकर संक्रांति का महत्व

भारतीय परम्परा में मकर संक्रांति को सर्वोत्तम काल माना गया है। इसी दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायन और सभी बारह राशियां धनु से मकर में प्रवेश करती है। हिंदू परम्परा में सारे शुभ कार्यों की शुरुआत इसी दिन से होती है। यहां तक कि भीष्म पितामह ने अपनी इच्छामृत्यु के लिए इस घड़ी की प्रतीक्षा की थी। मकर संक्रांति यानी खिचड़ी इस साल 15 जनवरी को मनाया जाएगी। खिचड़ी को दान-पुण्य का महापर्व भी माना जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार यदि किसी वर्ष मकर संक्रांति का पर्व शाम को पड़ता है तो इसे अगले दिन मनाया जाता है। यह वजह है कि इस वर्ष मकर संक्रांति को 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व बताया जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान करने से व्यक्ति को उसका अभीष्ट लाभ मिलता है।

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