हर महिला को हफ्तें में दो बार करना चाहिए सेक्स, वरना हो सकती है यह जानलेवा बीमारी

महिलाओं के पीरियड्स को लेकर एक शोध में चौकाने वाला खुलासा हुआ है। शोध में पाया गया है कि जो महिलाएं अधिक संभोग करती हैं उनमें पीरियड्स के बंद होने की संभावना कम होती है। हफ्ते में एक बार सेक्स करने वाली महिलाओं में पीरियड्स की संभावना महीने में एक बार संभोग करने वाली औरतों से 28 फीसदी कम होती है।

शोध में कहा गया है कि जो महिलाएं मिड लाइफ (35 व इससे अधिक उम्र) में बार-बार संभोग नहीं करती हैं, उनमें जल्द मेनोपॉज देखने को मिलती है। यह शोध 2,936 महिलाओं से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित है, जो कि 1996/1997 में एसडब्ल्यूएएन अध्ययन के तहत किया गया था। शोध की रिपोर्ट को जर्नल रॉयल सोसायटी ओपन साइंस नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में इसके कारण का उल्लेख नहीं किया गया है।

यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ लंदन की अध्ययनकर्ता मेगन अर्नोट ने कहा कि शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि अगर कोई महिला यौन संबंध नहीं बना रही है और गर्भधारण का कोई मौका नहीं है, तो शरीर अंडोत्सर्ग (ओव्यूलेशन) बंद कर देता है क्योंकि यह व्यर्थ होगा।

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शोध में कहा गया है कि अंडोत्सर्ग के दौरान महिला की प्रतिरक्षा क्षमता बिगड़ जाती है, जिससे शरीर में बीमारी होने की संभावना अधिक होती है।

इस दौरान महिलाओं को कई सवालों के जवाब देने के लिए कहा गया था जिसमें यह भी शामिल था कि पिछले छह महीनों में उन्होंने अपने साथी के साथ संभोग किया है या नहीं।

संभोग करने के अलावा उनसे पिछले छह महीनों के दौरान कामोत्तेजना से जुड़े अन्य प्रश्न भी किए गए, जिनमें मुख मैथुन, यौन स्पर्श और आत्म-उत्तेजना या हस्तमैथुन के बारे में भी विस्तृत जानकारी ली गई।

यौन क्रियाओं में भाग लेने संबंधी सबसे अधिक उत्तर साप्ताहिक (64 फीसदी) देखने को मिले। दस साल की अनुवर्ती अवधि में देखा गया कि 2,936 महिलाओं में से 1,324 (45 फीसदी) ने 52 वर्ष की औसत उम्र में प्राकृतिक पीरियड्स का अनुभव किया।

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मेनोपॉज क्या है?

बता दें कि मेनोपॉज उस स्थिति को कहा जाता है जब महिलाओं में मासिक धर्म चक्र बंद हो जाता है। असल में इसे प्रजनन क्षमता का अंत माना जाता है। यह प्रक्रिया महिलाओं में 45 से 50 की उम्र के आसपास होती है। एक साल तक मासिक धर्म नहीं आए तो इसे रजोनिवृत्ति मानते हैं। यह स्थिति तब आती है जब महिलाओं के हार्मोन में बदलाव होता है और ओवुलेशन बंद हो जाता है।

मेनोपॉज की स्थिति में महिलाएं गर्भवती नहीं हो सकती हैं। महिलाओं में फॉलिकल्स के कारण अंडाशय के अंडे रिलीज होते हैं। मेनोपॉज की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब हर महीने विकसित होने वाले फॉलिकल्स की मात्रा कम होने लगती है। मेनोपॉज के लक्षणमेनोपॉज के दौरान सबसे पहला लक्षण है पूरे शरीर में गर्माहट महसूस होना यानी हॉट फ्लैश। इसके अलावा, योनि में सूखापन और दर्द का अनुभव, नींद न आना, मूत्रमार्ग में संक्रमण, लगातार पेशाब आना, वजन बढ़ना और मेटाबॉलिज्म कम होना, डिप्रेशन, बालों, त्वचा और अन्य टिश्यूज में बदलाव आदि लक्षण शामिल हैं।

मेनोपॉज के बाद ऑस्टियोपोरोसिस रोग भी हो सकता है। इसके कारण हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। अचानक फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है। हालांकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इस फेज में एंटर करने के बाद महिलाएं विभिन्न रोगों का शिकार हो जाती हैं। यह वास्तव में स्त्री के जीवन का पविर्तनकाल होता है। इस काल का प्रारंभ होने पर चित्त में निरुत्साह, शरीर की शिथिलता, निद्रा न आना, शिर में तथा शरीर के भिन्न भिन्न भागों में पीड़ा रहना, अनेक प्रकार की असुविधाएँ, या बेचैनी होना आदि लक्षण प्रकट होते हैं।

बहुतों के शरीर में स्थूलता आ जाती है। आनुवंशिक या वैयक्तिक उन्माद की प्रवृत्तिवाले व्यक्तियों को उन्माद, या पागलपन होने की आशंका रहती है। अन्य प्रकार के मानस विकास भी हो सकते हैं। प्रजनन क्रिया समाप्त होने के पश्चात्‌, प्रजनन अंगों में अर्बुद होने का भय रहता है। डिंबग्रंथि और गर्भाशय दोनों में अर्बुद उत्पन्न हो सकते हैं। गर्भाशय में घातक और प्रघातक दोनों प्रकार के अर्बुदों की प्रवृत्ति होती है। मासिकधर्म की गड़बड़ी कैंसर का सर्वप्रथम लक्षण है।

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