मौनी अमावस्या पर मौन स्नान से मिलता है मोक्ष!

शुभ मुहूर्त 24 को सुबह 2 बजकर 17 मिनट से शुरू

बेगूसराय  : भारत एक धर्म प्रधान देश है, यहां तो हर माह कोई न कोई विशिष्ट पर्व और त्योहार होता ही रहता है। इन्हीं विशेष अवसरों की एक तिथि है मौनी अमावस्या। इस वर्ष मौनी अमावस्या 24 जनवरी को मनाई जा रही है। मौनी अमावस्या का शुभ मुहूर्त अगली सुबह 2 बजकर 17 मिनट से शुरू हो रहा है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौन रहकर नदियों में स्नान करेंगे। स्नान के बाद पूजा-पाठ कर अपने परिवार और समाज के कल्याण की कामना करेंगे। मान्यता है कि इस अवसर पर मौन स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। सर्वमंगला सिद्धाश्रम सिमरिया के संस्थापक स्वामी चिदात्मनजी का कहना है कि मनुष्य अपने मन की सभी इच्छाओं को वाणी द्वारा ही प्रकट करता है। ऐसे में मन पर नियंत्रण पाने के लिए माघ मास की अमावस्या के दिन मौन रखकर स्नान करने का विधान है। इस दिन मन और वाणी पर नियंत्रण रखते हुए स्नान करने से व्यक्ति की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

उन्होंने कहा कि होठों से प्रभु के नाम का जाप करने पर जितना पुण्य प्राप्त होता है, उससे कई गुणा ज्यादा पुण्य मन में हरि नाम का जप करने से प्राप्त होता है। मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से पितरों को शांति मिलती है तथा दान-पुण्य का फल ताप के बराबर मिलता है। इस दिन गंगा सहित सभी मोक्ष दायिनी नदी यमुना, कावेरी, सरस्वती, गोदावरी, नर्मदा तथा सिंधु का जल अमृतमय हो जाता है। इन नदियों तक नहीं पहुंचने वाले लोग किसी भी नदी या घर में भी स्नान कर लेता है तो पूर्ण फल के भागी होते हैं। स्वामी चिदात्मन कहते हैं कि मकर के इस पुनीत काल में चंद्रमा से अमृतिकरण होता है। चंद्रमा को 16 कला से पूर्ण कहा गया है। 15 कला में वह पूर्ण होते हैं तथा 16वें कला में सभी देवता और पितरों को तृप्त करते हैं। जहां तक चंद्रमा का उजाला पहुंचता है वह सब जल अमृत हो जाता है।

कुंभ और विशेष पुनीत तिथि अमावस्या को ही होती है। उस दिन सूर्य, चंद्रमा और बृहस्पति एक राशि पर मिलते हैं, इस समय पेड़-पौधा सब अमृतिकरण की स्थिति से संतुष्ट रहते हैं तथा इसके तुरंत बाद सबका प्रिय बसंत भी आ जाता है। स्वामी चिदात्मन जी ने बताया कि माघ महीना पुण्यकर्म के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कली का दोष नहीं लगने के लिए मौन रहकर लोग स्नान करते हैं। मौन रहकर स्नान करने पर त्रिदोष दूर होते हैं, चारों पदार्थ की प्राप्ति होती है तथा सभी पापों का समन होता है। विश्व का सभी जलाशय इस समय पाप क्षमा करने वाला हो जाता है, जल अमृत की तरह हो जाता है। हरि को पाने का सुगम मार्ग है मौनी अमावस्या में सूर्योदय से पूर्व किया गया स्नान।

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