जाने कैसे हुआ कोरोना वायरस का नामकरण और कौन-कौन है इसके परिवार में

चीन के वुहान शहर से शुरू हुआ कोरोना वायरस पूरी दुनिया के 18 देशों में अपने कदम रख चुका है। अब तक दुनियाभर में इस वायरस के कारण करीब 213 लोगों की जान चली गई है। इस वायरस ने भारत में भी अपने कदम रख लिए है। राष्ट्रीय राजधानी के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में 5 मरीजों में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए। इनमें 4 पुरुष और एक महिला हैं, जिन्हें संदिग्ध कोरोनो वायरस के मामले में भर्ती कराया गया है। उन्हें अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। वे चीन से लौटे थे। दूसरी ओर मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 28 जनवरी तक 4846 लोगों की जांच की गई है। इनमें 28 यात्री महाराष्ट्र से हैं जिनमें 12 को जुकाम और बुखार के लक्षण मिले। इन लोगों को आइसोलेशन सेंटर में भर्ती कराया गया। इनमें 8 मरीजों की जांच निगेटिव पाई गई है जबकि 4 के टेस्ट का रिजल्ट अभी आया नहीं है। 12 मरीजों में तीन को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है

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कहां से और क्यों शुरू हुआ कोरोना वायरस?

अब सबसे बड़ा सवाल जो सबके जहन में उठ रहा है वह ये कि आखिर यह खतरनाक वायरस कहां से और क्यों शुरू हुआ? तो आपको बता दें कि कोरोना वायरस Corona virus कुछ खास प्रजातियों के जानवरों में पाया जानेवाला वायरस है। इनमें सांप और चमगादड़ जैसे जीव शामिल हैं। अब सवाल उठता है कि जानवरों का वायरस इंसानों में कैसे घुस गया। तो बता दे, कि चीन में सांप और चमगादड़ जैसे उन जीवों को बहुत ही चाव के साथ खाया जाता है, जिन्हें अन्य देशों के लोग खाना या उनका सूप पीना कम ही पसंद करते हैं। कोरोना वायरस की शुरुआत चीन में होने और तेजी से वहां के कई शहरों में फैलने की यही खास वजह बताई जा रही है। इसके तेजी से फैलने की यह भी एक बड़ी वजह बताई जा रही है कि लोग अधपके और कच्चे मांस का सेवन भी करते हैं। जो इसके संचार का माध्यम हो सकता है। वहीं, सी-फूड दुनियाभर में पसंद किया जाता है, जो इस वायरस को फैलने और ग्रोथ करने में मदद कर रहा है।

कौन-कौन है इसके परिवार में?

मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस हवा, नमी और सांस के जरिए इंसान से इंसान में ट्रांसफर हो रहा है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोरोना वायरस SARS और MERS वायरस की फैमिली से आता है। संभावना जताई जा रही है कि यह इन्हीं वायरसों की तरह मानव जाति के लिए बड़े स्तर पर घातक और जानलेवा साबित हो सकता है। कोरोना वायरस अगर गाय, भैंस या सुअर जैसे जानवरों में हो तो उन्हें डायरिया से बीमार कर सकता है। जबकि मुर्गियों में कोरोना के कारण सांस से संबंधित बीमारी हो सकती है।

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वायरस का नाम कोरोना ही क्यों रखा?

अब सवाल आता है कि इस वायरस का नाम कोरोना ही क्यों रखा। दरअसल, सूर्य ग्रहण के वक्त जब पृथ्वी सूर्य को पूरी तरह ढक देती है तो गोले के रूप में सूरज दिखना तो बंद हो जाता है लेकिन उसकी किरणों द्वारा हर तरफ फैल रही रोशनी दिखलाई पड़ती है। जो तेजी से कहीं ब्रह्मांड में विलुप्त होती हुई दिखती है। इसे इस तरह भी समझा जा सकता है कि यह सूरजमुखी के फूल की तरह की संचरना बन जाती है। जो बीच से काली होती है और इसके वृत्त के चारो तरफ नर्म किरणों का प्रकाश फैल रहा होता है, जैसे सूरजमुखी की पंखुड़ियां होती हैं। पृथ्वी की छाया के चारों तरफ फैल रही सूर्य की इस रोशनी को कोरोना कहा जाता है। इसी कारण इस वायरस का नाम कोरोना दिया गया क्योंकि इसकी बनावट कोरोना जैसी ही है। दरअसल, यह वायरस गोल है और इसकी सतह पर पृथ्वी के कोरोना की तरह प्रोटीन की स्टेन्स यानी शाखाएं उगी हुई हैं। जो हर दिशा में फैलती हुई महसूस होती हैं।

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कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं?

अब सवाल उठता है कि कोरोना वायरस के लक्षण क्या हैं? तो आपको बता दे, कोरोना वायरस की वजह से रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट यानी श्वसन तंत्र में हल्का इंफेक्शन हो जाता है जैसा कि आमतौर पर कॉमन कोल्ड यानी सर्दी-जुकाम में देखने को मिलता है। हालांकि इस बीमारी के लक्षण बेहद कॉमन हैं और कोई व्यक्ति कोरोना वायरस से पीड़ित न हो तब भी उसमें ऐसे लक्षण दिख सकते हैं। जैसे-

नाक बहना
सिर में तेज दर्द
खांसी और कफ
गला खराब
बुखार
थकान और उल्टी महसूस होना
सांस लेने में तकलीफ आदि
निमोनिया
ब्रॉन्काइटिस

बता दे, WHO ने कोरोना वायरस को इंटरनैशनल इमर्जेंसी घोषित कर दिया है। गुरुवार को हुई WHO की बैठक में यह फैसला लिया गया है। WHO चीफ टेड्रोस ऐडनम ने बताया ऐसा इसलिए किया गया है ताकि इस बीमारी से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय बैठाया जा सके। उन्होंने कहा ऐसा करने से चीन पर अविश्वास जैसा कुछ नहीं है बल्कि सबसे बड़ी चिंता ऐसे देशों में वायरस को फैलने से रोकने की है जहां स्वास्थ्य व्यवस्थाएं कमजोर हैं। दूसरे ऐसे देश जो इससे उबर नहीं सकते, उनकी मदद की जा सके। पिछले हफ्ते WHO ने इसे इमर्जेंसी घोषित नहीं किया था क्योंकि कमिटी के अंदर एकराय नहीं बन पा रही थी।

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