समुदाय तक सही सन्देश पहुंचाना बड़ी जिम्मेदारी : स्वास्थ्य सचिव

कोविड-19 के दौर में संचार चुनौतियों व उनके निराकरण पर कार्यशाला

लखनऊ : कोविड-19 के दौर में समुदाय तक सही सन्देश पहुंचाकर ही कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। यह बात प्रदेश की स्वास्थ्य सचिव वी. हेकाली झिमोमी ने कोविड-19 के दौर में संचार चुनौतियों व उनके निराकरण पर आयोजित तीन दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला के दौरान कही। ज़ूम एप के जरिए कार्यशाला में भाग ले रहे प्रदेश के सभी स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों से उन्होंने अपील की कि वह फ्रंट लाइन वर्कर (आशा-आंगनबाड़ी व एएनएम) को इतना जागरूक बनाएं कि वह घर-घर जाकर लोगों को बता सकें कि संक्रमण से बचने के लिए उन्हें क्या करना है और क्या नहीं करना है। उत्तर प्रदेश तकनीकी सहयोग इकाई (यूपी टीएसयू), यूनिसेफ और सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) के सहयोग से आयोजित इस कार्यशाला के दौरान प्रतिभागियों को वह सभी छोटी-छोटी बातें बताई गयीं जिससे वह खुद सुरक्षित रहने के साथ ही दूसरों को सुरक्षित बनाने में सहयोग कर सकें।

स्वास्थ्य सचिव ने बताई स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों की अहम भूमिका

स्वास्थ्य सचिव ने कहा इस समय दूसरे राज्यों और जिलों से आ रहे प्रवासियों की देखभाल पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम निगरानी समितियां और शहरी क्षेत्रों में मोहल्ला निगरानी समितियां गठित की गयी हैं। इन समितियों को सक्रिय कर बाहर से आ रहे लोगों के होम क्वारनटाइन की व्यवस्था को सुनिश्चित कराएं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला के जरिये जो छोटी-छोटी बातें बताई जा रही हैं उन्हें ध्यान से पहले खुद समझ लीजिये और फिर उन जानकारियों को सही तरीके से नीचे तक पहुंचाएं ताकि किसी भी तरह का गलत सन्देश समुदाय तक न पहुंचने पाए। उन्होंने कोविड-19 के साथ ही जेई/एईएस से भी बचाव के जरूरी इंतजाम करने को कहा। उन्होंने कहा कि सर्दी, खांसी, बुखार व सांस फूलने के मामलों को गंभीरता से लें और लोगों को समय से इलाज के बारे में प्रेरित करें ताकि समस्या को गंभीर बनने से पहले ही रोका जा सके।

इस अवसर पर महानिदेशक-परिवार कल्याण डॉ.मिथिलेश चतुर्वेदी ने कोविड-19 की स्थितियों पर प्रकाश डाला और स्टेट सर्विलांस आफिसर डॉ.विकासेंदु अग्रवाल ने सुरक्षा के जरूरी उपायों की उपयोगिता के बारे में बताया। कार्यशाला को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अपर मिशन निदेशक हीरा लाल ने भी संबोधित किया और कहा कि इस मुश्किल दौर में सबको साथ लेकर काम करने की जरूरत है। समुदाय के बीच काम करने वालों का सीधा जुडाव जिले व ब्लाक के स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारियों से है, इसलिए सही संदेशों को लोगों तक पहुंचाने में वह बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

किसी के साथ न होने पाए कोई भेदभाव

यूनिसेफ के भाई शैली ने कार्यशाला के दौरान कहा कि इस मुश्किल वक्त में मदद के लिए हाथ बढाने वालों और संक्रमण की चपेट में आने वालों के साथ कोई भेदभाव न होने पाए, इस पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है । यह ऐसा वायरस है जो कभी भी और किसी को भी संक्रमित कर सकता है, इसके लिए किसी धर्म, जाति या सम्प्रदाय को जिम्मेदार ठहराना कहीं से भी उचित नहीं है। यूनिसेफ की ही कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट गीताली त्रिवेदी ने इस दौरान सकारात्मक और प्रेरक कहानियों को प्रिंट मीडिया के साथ ही आडियो/वीडियो और सोशल मीडिया के जरिये ज्यादा से ज्यादा प्रचारित-प्रसारित करने पर जोर दिया। उन्होंने कोरोना योद्धाओं और कोरोना विजेताओं की कुछ कहानियों के साथ ही रेडियो पर प्रसारित संदेशों का प्रस्तुतीकरण भी किया। यूनिसेफ के हेल्थ आफिसर डॉ.निर्मल सिंह और सत्यवीर सिंह ने प्रवासी कामगारों के होम क्वारनटाइन और बचाव के जरूरी उपायों के बारे में विस्तार से बताया।

मातृ-शिशु स्वास्थ्य देखभाल भी जरूरी

यूपी टीएसयू की वरिष्ठ बीसीसी स्पेशलिस्ट डॉ. शालिनी रमन ने इस दौरान कहा कि कोविड-19 की जंग के साथ ही मातृ-शिशु स्वास्थ्य की देखभाल की जिम्मेदारी निभाने के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर को बहुत ही सावधानी बरतनी है। उन्होंने प्रसव पूर्व जाँच और टीकाकरण के दौरान जो जरूरी सावधानी बरतनी है, जैसे- सेनेटाइजर के इस्तेमाल, मास्क लगाना, ग्लब्स पहनना और सोशल डिस्टेंशिंग के बारे में विस्तार से बताया।

कोविड-19 से मीडिया को जोड़ना

सेंटर फॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च (सीफॉर) की नेशनल प्रोग्राम लीड रंजना द्विवेदी ने इस दौरान कहा कि ख़बरों में इस तरह की भाषा या शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए जिससे समुदाय में भय का माहौल बनें। इसके साथ ही सुनी-सुनाई बातों की जगह तथ्यपरक ख़बरों को ही जगह मिलनी चाहिए। इसके अलावा कोरोना पर विजय पाने वालों के अनुभवों आदि को महत्व देना जरूरी है। उन्होंने पिछले छह माह के और कोविड सम्बन्धी मीडिया ट्रेंड का प्रस्तुतीकरण भी किया।

मुद्दे पर सही समझ बनी

कार्यशाला में भाग लेने वाले वाराणसी के जिला स्वास्थ्य शिक्षा एवं सूचना अधिकारी राजेश शर्मा ने कार्यशाला को बहुत ही उपयोगी बताया और कहा कि इससे समुदाय तक सही सन्देश पहुँचाने में बड़ी मदद मिलेगी। खलीलाबाद-संतकबीरनगर के बीपीएम अभय त्रिपाठी ने निगरानी समितियों और ग्राम प्रधानों की भूमिका पर बताई गयीं बातों को बहुत ही उपयोगी बताया। इसके अलावा भी बहुत से प्रतिभागियों ने कार्यशाला को हर दृष्टिकोण से सार्थक बताया। पयागपुर-बहराइच के ब्लाक कम्युनिटी प्रोसेस मैनेजर धर्मेन्द्र मिश्र का कहना था कि बाहर से आने वालों के होम क्ववारंटाइन के बारे में कई जानकारियां मिलीं, अभी बहुत से लोग इसका सही तरीके से पालन नहीं कर रहे हैं उन्हें समझाने में मदद मिलेगी। मिर्जापुर की बीपीएम सोनल श्रीवास्तव का कहना था कि प्रशिक्षण से मिलीं जानकारियां कोविड-19 के खिलाफ जंग में बहुत ही मददगार साबित होंगीं ।

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