मेरा देश बदल रहा है, ये पब्लिक है, सब जानने लगी है…!

-विवेकानंद शुक्ला

सर्वाधिक साक्षर राज्यों में से एक केरला में एक गर्भवती हथिनी की हृदयविदारक हत्या हैवानियत की सभी हदों को पार करने वाला और पूरी मानवता को शर्मसार करने वाला जघन्य अपराध है, इसके हत्यारों को फाँसी की सज़ा मिलनी चाहिए। यह जघन्य अपराध होता है 27 मई 2020 को जब केरला के Silent Valley Biosphere Reserve के जंगलों की एक गर्भवती हथिनी भूख से व्याकुल खाने की तलाश में केरल के मल्लापुरम शहर में एक इंसानों की बस्ती के नजदीक आती है। इस उम्मीद में कि इंसानो से शायद उसे खाने को कुछ मिल जाए। वैसे भी केरल में हाथी और इंसान सदियों से एक दूसरे के दोस्त रहे हैं।लेकिन हथिनी के भरोसे को तोड़ते हुए एक स्थानीय इंसान, जिसने दोस्ती के नाम पर खंजर भौंकने की नीचता में महारथ हासिल कर ली है….मासूम हथिनी को अनानास खाने के लिए देता है और….और अनानास में रख देता है बम पटाखा!

इंसानों की नीच हरकत से बेखबर मासूम हथिनी अन्नानास को खाने के लिए अपने मुँह में दबाती है…..और होता है एक विस्फोट…..हथिनी की सूंड, मुँह फट पड़ते हैं। जीभ चीथड़े हो जाती है। मांस के लोथड़े जमीन पर बिखर जाते हैं।असहनीय पीड़ा से त्रस्त गाभिन हथिनी पास बह रही वेल्लियार नदी के पानी में आती है ताकि उसके मुँह और जीभ को पानी से कुछ राहत मिले।अपनी फटी हुई सूंड और मुँह को डुबाकर असहनीय दर्द को कम करने का प्रयास करती है। वन विभाग के लोग आते हैं। पर उनकी अथक कोशिशो के बाद भी हथिनी नहीं बच पाती। अपने गर्भ में पल रहे बच्चे जिसको 20 महीने बाद जन्म लेना था उसी बच्चे के साथ उसी नदी में प्राण त्याग देती है। वेल्लीयर नदी में खड़े-खड़े मृत्यु होजाती है।

इस घटना को नीलांबुर के सेक्शन फारेस्ट ऑफिसर मोहन कृष्णन ने सोशल मेडिया पर साझा किया। हाथी को बचाने के लिए जो रैपिड एक्शन टीम गई थी, उसका नेतृत्व वही कर रहे थे। उन्होंने भावुक होकर मलयाली में फेसबुक पर लिखा:“वो 20 महीने बाद अपने बच्चे को जन्म देने वाली थी। उसे भूख लगी थी, उसे क्या पता था कि क्रूर इंसानों के जिस भोजन को वो उनका प्यार समझ कर ग्रहण करेगी, वो सिर्फ़ एक छलावा है, जो दोहरी जिंदगियों का भक्षक बन जाएगा। मेरे सामने अब भी उसका चेहरा घूम रहा है। उसने पानी में ही कब्र बना ली। अब हम उसे लेकर जा रहे हैं, दफनाने के लिए। वो उसी ज़मीन के नीच हमेशा के लिए सोएगी, जहाँ उसने बचपन से हँसा-खेला था। मैं और क्या कर सकता हूँ? स्वार्थी मानव जाति की तरफ से उसे कहता हूँ- बहन, क्षमा करो।”

मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार, हथिनी की मौत दम घुटने से हुई। उसके फेंफड़ों और वायु-नली में पानी घुसने के कारण उसे साँस लेने के लिए ऑक्सीजन नहीं मिल पाया। पूरी मानव जाति को शर्मसार करने वाली वहशीपन केरला राज्य में हुआ है जो सर्वाधिक साक्षर राज्यों में से एक है।यह जघन्य अपराध उस केरला राज्य में हुआ है जहाँ का सबसे बड़ा उत्सव ‘थ्रिसूर पुरम’ होता है जिसमें हाथियों का परेड कराया जाता है।यह क्रूरतापूर्ण हत्या उस केरला में हुआ है जो अपने को Kerala The God’s Own Country. कहता है। इस घटना से केरला राज्य के संस्कारों और संस्कृति का पता चलता है कि सनातन संस्कृति के सबसे बड़े रक्षक शंकराचार्य की जन्मभूमि केरला में वामपंथी कम्युनिस्ट सरकार द्वारा किस प्रकार हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा हैं ।यह कूकृत्य साबित करता है कि साक्षर होने मात्र से कोई शिक्षित नही हो पाता है ।मात्र साक्षर होने से संस्कार नही आते। That is why it is said that -Literacy rate doesn’t reflect education.

एक गर्भवती हथिनी की हत्या उस देश में होना जहाँ की संस्कृति में हाथियों को पूजने की परम्परा हो घोर आश्चर्य पैदा करती है।मनुष्य अपने को सर्वाधिक विकसित मानने के ढोंग में कितनी क्रूरता करेगा? आदमी अपनी हवस में प्रकृति के कितना ख़िलाफ़ जाएगा? मनुष्य अभी कोरोना के रूप में प्रकृति की सज़ा पा ही रहा है। आख़िर इंसानों की दुस्साहसों की हद क्या है? पूरी तरीक़े से पृथ्वी का विनाश कर के ही मानेगा क्या?

शक्तिमान घोड़े की टाँग टूटने पर बवाल करने वाले वामपंथी और छद्म बौधिक केरल में गर्भवती हथिनी के मुँह में पटाखों से भरा अनानास रखने से हुए हत्या पर एक दम राजनीतिक चुप्पी साधे हैं जो इनकी पोल खोलती है।भारतीय संविधान की आर्टिकिल 51A-(g) के अनुसार जीव- जंतुओं पर करुणा करना प्रत्येक नागरिक का मूल कर्तव्य है। इस कूकृत्य की गम्भीर जाँच होनी चाहिए और हत्यारे को कठोरतम सज़ा फाँसी मिलनी चाहिए ताकि ऐसे शैतानों को सबक़ मिले जो मनुष्य और प्रकृति का चिर सम्बंध को ख़त्म करने पर तुले हैं।

मेरा देश बदल रहा है, ये पब्लिक है, सब जानने लगी है… जय हिंद-जय राष्ट्र!

 

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