कोरोना वायरस के इलाज के लिए नित नई-नई दवाओं की खोज की जा रही है। जो दवाएं पुरानी और जिससे लोगों को लाभ हुआ है उनकी मांग तो बढ़ ही रही है। भारत की कुछ दवाओं ने दूसरे देश के कोरोना पीड़ितों के इलाज में काफी कारगर काम किया है जिसके कारण उनकी मांग बनी हुई है। इनमें सबसे पहला नाम हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन का आता है। इस दवा के बाद अब जिसकी सबसे अधिक चर्चा हो रही है वो डेक्सामेथासोन है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को दो दिन पहले ये दवा दी गई है।

फिलहाल डोनाल्ड ट्रंप का इलाज वॉल्टर रीड नेशनल मिलिट्री मेडिकल सेंटर में जारी है और उनके डॉक्टरों के मुताबिक इलाज के दौरान उन्हें डेक्सामेथासोन नामक स्टेरॉयड भी दी गई। इसके अलावा उन्हें रेमडेसिविर नाम की एंटी-वायरल दवा भी दी जा रही है। उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों की टीम के सदस्य सीन कॉनले ने बताया है कि कई शोध में पाया गया है कि डेक्सामेथासोन अस्पताल में कोविड-19 से जूझ रहे मरीजों को बीमारी से लड़ने में मदद करती है।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक 

भारत दुनिया में इस सस्ती दवा का सबसे बड़ा निर्यातक है। दरअसल डेक्सोना और इसी नाम से मिलती-जुलती दर्जनों दवाइयां भारत में काफी प्रचलित हैं, जिन्हें डॉक्टर लंबे समय से मरीजों को दे रहे हैं। इन सभी में होता है डेक्सामेथासोन नाम का सॉल्ट या दवा बनाने के लिए इस्तेमाल होने वाला केमिकल मिश्रण। इससे पहले हाइड्रोक्सोक्लोरोक्वीन और रेमडेसिविर का भी इस्तेमाल किया गया है।

इन बीमारियों में होता है इस्तेमाल 

ये दवा टेबलेट और इंजेक्शन के तौर पर उपलब्ध है। आमतौर पर टेबलेट या इंजेक्शन के जरिए इस्तेमाल होने वाली इस दवा को डॉक्टर गठिया, दमा, शरीर के भीतर की सूजन या एलर्जी जैसे तकलीफों के लिए देते रहे हैं। सेप्सिस जैसी गंभीर मेडिकल अवस्था में भी इस दवा को दिया जाता है।

ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने बताया कि दवा करेगी मदद 

कोविड-19 से निपटने पर रिसर्च जारी है। फिलहाल कुछ महीने पहले ब्रिटेन के विशेषज्ञों ने दावा किया था कि दुनिया भर में बेहद सस्ती और आसानी से मिलने वाली दवा डेक्सामेथासोन कोरोना वायरस से संक्रमित और गंभीर रूप से बीमार मरीजों की जान बचाने में मदद कर सकती है। शोधकर्ताओं का अनुमान था कि अगर इस दवा का इस्तेमाल ब्रिटेन में संक्रमण के शुरुआती दौर से ही किया जाता, तो लगभग 5 हजार लोगों की जान भी बचाई जा सकती थी।

शोधकर्ताओं के मुताबिक ये दवा शरीर के इम्यून सिस्टम को धीमा कर देती है,जबकि कोरोना वायरस इनफेक्शन शरीर में इनफ्लेमेशन (सूजन) बढ़ाने की कोशिश करता है। डेक्सामेथासोन इस प्रक्रिया को धीमी करने में असरदार पाई गई। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये दवा उन्हीं मरीजों को दी जानी चाहिए जो अस्पताल में भर्ती हों और जिन्हें आक्सीजन की जरूरत पड़ती हो।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का इलाज करने वाले डाक्टरों ने ये भी बताया है कि डोनाल्ड ट्रंप का ऑक्सीजन स्तर दो बार थोड़ा कम हुआ था, शायद इसे देखते हुए उन्हें डेक्सामेथासोन दी गई हो। यह दवा सस्ती भी है, इसलिए गरीब देशों के लिए भी काफ़ी फायदेमंद साबित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी डेक्सामेथासोन पर हुई शोध पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। ब्रिटेन में हुए इस शोध के बाद से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में ये दवा एक बड़ी कामयाबी बताई जा रही है।

भारत से डेक्सामेथासोन का संबंध 

भारत में डेक्सामेथासोन का इस्तेमाल 1960 के दशक से जारी है और जैसे-जैसे आबादी बढ़ती गई, इसका चलन भी बढ़ता गया है। भारत में डेक्सामेथासोन की सालाना बिक्री 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। इस बिक्री को बड़ा इसलिए बताया जा रहा है क्योंकि दवा बेहद सस्ती है।

भारत सरकार के ‘ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर’ पॉलिसी (आवश्यक दवाओं के दामों को नियंत्रित करने की प्रणाली) के तहत इस दवा की गोलियों के पत्ते और इंजेक्शन पाँच रुपए से लेकर 10 रुपए के अंदर खरीदे जा सकते हैं। डेक्सामेथासोन दवाई का एक गहरा नाता खिलाड़ियों और एथलीटों से भी रहा है। खेल से जुड़ी हल्की या गंभीर चोटों से उबरने की प्रक्रिया में इस दवा का इस्तेमाल किया जाता रहा है, खासतौर से खिलाड़ियों को जल्दी बेहतर होने के लिए।