ड्रॉपलेट्स से बढ़ सकती है कोरोना की रफ्तार

ठंड के कारण ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है वायरस : डा एसके जायसवाल
सर्दी में सांस के माध्यम से पानी की छोटी बूंद दूसरों को कर सकती है प्रभावित

-सुरेश गांधी

वाराणसी। इस साल सर्दी के मौसम में सबसे ज्यादा सचेत रहने की जरूरत है। क्योंकि गर्मी के मौसम में एरोसोल हवा में धूल कणों का माध्यम से कोरोना वायरस का प्रसार हुआ था। लेकिन सर्दी के मौसम में सांसों से निकलने वाले ड्रॉपलेट्स वायरस के प्रसार का कारण बन सकते हैं। यह समय इसलिए भी खतरनाक है क्योंकि गाइडलाइन के हिसाब से 6 फीट की दूरी भी कम पड़ सकती है। तापमान कम होने से मौसम में नमी होती है। इसलिए ड्रॉपलेट्स निर्धारित 6 फीट की दूरी आसानी से तय कर लेगा। इसके अलावा ठंड के कारण वायरस ज्यादा समय तक जिंदा रह सकता है। यह बाते गौरी हास्पिटल, पांडेयपुर के डॉक्टर एसके जायसवाल ने कही। डाक्टर का सुझाव है कि अब जब सब कुछ अनलॉक हो चुका है। लोगों की दिनचर्या पुराने ढर्रे पर चल पड़ी है तो ऐसे में और ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है। खासकर त्योहारी सीजन यानी दुर्गापूजा, दशहरा, दीवाली व छठ जैसे पर्व को मनाने, मार्केटिंग करने आदि अवसरों पर बगैार मास्क के घर से बाहर ना निकले। सर्दी में सांस के माध्यम से पानी की छोटी बूंद निकल कर दूसरों को प्रभावित कर सकती है।

बता दें, देश में कोरोना का कहर बना हुआ है। हर दिन कोरोना के नए मामले सामने आ रहे हैं। हालांकि पिछले तीन हफ्तों से नए कोरोना मामलों और मौतों की संख्या में गिरावट आई है। या यूं कहे कोरोना संक्रमण के बीच ठीक होने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। लेकिन समस्या है कि निगेटिव रिपोर्ट के बाद भी कोरोना का आफ्टर इफेक्ट देखने को मिल रहा है। पहले जैसी शारीरिक स्थिति में नहीं पहुंचने पर लोग हताश हो रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श लेने पहुंच रहे हैं। डॉक्टरों का कहना है कि वायरस का दुष्प्रभाव समाप्त होने में तीन-चार महीने का समय लगेगा। इसलिए लोगों को अनुशासित जीवनशैली जीने की सलाह तो दी ही जा रही है, भीड़-भाड़ वाले इलाकों में बगैर मास्क के ना जाने को भी कहा जा रहा है। जबकि नीति आयोग का कहना है कि सर्दी के मौसम में कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर भी देखी जा सकती है। ऐसे में दुर्गापूजा, नवरात्र, दीवाली, छठ जैसे पर्वो पर हल्की सी लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है।

इससे बचने का एकमात्र उपाय सरकार की गाइडलाइन का पालन करना है। दुर्गा पूजा पंडालों का भ्रमण करते समय, मंदिरों में दर्शन करते समय व खरीदारी के वक्त निश्चित दूरी का पालन करें। यह सिर्फ दुर्गा पूजा, दीपावली तक ही नहीं बल्कि फरवरी के अंत तक यानी होली तक सतर्क रहना होगा। क्योंकि अभी मौसम बदल रहा है। शाम और सुबह सर्दी का अहसास होने लगा है। आगे ठंड और बढ़ेगी। डाक्टरों का कहना है कि कोरोना संक्रमण के इलाज के बाद रिर्पोट नेगेटिव तो आ जा रही है लेकिन सुगंध और स्वाद की समस्या बनी हुई है। कुछ लोगों का तीन सप्ताह तक सुगंध और स्वाद वापस नहीं लौट रहा है। दुर्गंध के कारण लोग बहुत परेशान रह रहे हैं। ओपीडी में प्रतिदिन तीन चार मामले आ रहे हैं। यानी अभी वैक्सीन आने तक यानी सर्दी के 4 महीने तक सबसे ज्यादा बचाव करना होगा। सीओपीडी, अस्थमा व हार्ट के मरीज को सबसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि ये मरीज सर्दी में ज्यादा प्रभावित होते हैं। उन्हें अगर कोरोना का संक्रमण हो जाता है तो खतरा ज्यादा बढ़ जाएगा।

ज्यादा काढ़ा भी हो सकता है हानिकारक : इम्युनिटी बुस्टप का उपयोग करना चाहिए। ज्यादा काढ़ा भी हानिकारक होता है ज्यादा हल्दी प्रयोग करने से लीवर की समस्या हो सकती है़, इसलिए आधा चम्मच (एक बार) हल्दी का उपयोग करें। गरम पानी का ज्यादा से ज्यादा सेवन करें। खाने में हाई प्रोटीन डायट को शामिल करें। विटामिन सी का प्रयोग करें। इम्युनिटी बनाये रखने के लिए इसकी बेहद जरूरत है। जिंक के लिए अंकुरित अनाज का उपयोग करें।

रोज करें योगाभ्यास : कोरोना वायरस में फेफड़ा पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। कई बार ठीक होने के बाद भी संक्रमण का खतरा रहता है। वायरस के कारण खून का थक्का जम जाता है, जो फेफड़ा को प्रभावित करता है। इसलिए फेफड़ा को मजबूत करनेवाला योगाभ्यास ज्यादा करें। इसके लिए प्राणायाम ज्यादा लाभकारी होता है। इसमें कपालभाति, भ्रामरी व अनुलोम-विलोम का अभ्यास करना चाहिए। इससे फेफड़ा मजबूत होता है। इसके अलावा ध्यान भी करें। सप्ताह में एक-दो दिन नेति क्रिया कर सकते हैं। अजवाइन, गिलोय या अदरक का भाप जारी रखें। ऑक्सीजन लेवल जांच करते रहें। ऑक्सीजन लेवल 93 से कम हो जाये, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। कोराना खतरनाक व जानलेवा वायरस है, इसलिए इसका प्रभाव काफी समय तक रहता है। स्वस्थ होने के बाद भी एंजाइटी आदि की समस्या रहती है। घबराहट होने पर योगाभ्यास और ध्यान करें। सुबह व शाम 15 से 20 मिनट तक टहलें।

कमजोरी व भूख नहीं लगना : कोरोना के बाद कमजोरी ज्यादा अनुभव होता है। वायरस हमारे शरीर में मौजूद एंजाइम व हार्मोन को प्रभावित करता है। भोजन नहीं पचने की समस्या शुरू हो जाती है। कुछ खाने का मन नहीं करता। कोरोना के बाद पौष्टिक खानपान को शामिल रखना चाहिए। जंक फूड व तैलीय पदार्थ का उपयोग नहीं करें। हरी साग सब्जी व फल को प्रर्याप्त मात्रा में शामिल करें। शरीर को डिटॉक्सीफाई (दूषित पदार्थ की सफाई) करने के लिए गुनगुना पानी में नींबू का इस्तेमाल करें। तरल पेय पदार्थ ज्यादा से ज्यादा लें। तीन लीटर पानी प्रतिदिन पीयें।
कोरोना संकमित व्यक्ति के दिल में सूजन : कोरोना के दौर में हृदय रोगों का खतरा और भी बढ़ गया है। विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना से भारत में दिल के मरीजों की संख्या 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है। ये संख्या इससे ज्यादा भी हो सकती है क्योंकि अस्पतालों में जगह न होने की वजह से और संक्रमण के डर से लोग अभी अस्पताल जाने से बच रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक कोरोना वायरस से संकमित व्यक्ति के दिल में सूजन आ सकती है और अक्सर इसका पता भी नहीं चलता।

दिमाग पर अटैक : तेज बुखार, सूखी खांसी, गले में सूजन, थकावट और सांस में तकलीफ कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षण हैं। कोविड-19 के मरीजों में हाल ही में कन्फ्यूजन, लॉस ऑफ स्मैल, व्यावहारिक बदलाव जैसे कुछ न्यूरोलॉजिकल लक्षण भी देखने को मिले हैं। वायरस की चपेट में आए अस्पताल में दाखिल कुछ मरीजों की मानसिक स्थिति पर इसका बुरा असर पड़ा है। स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज और मेमोरी लॉस जैसे कई खतरनाक प्रभाव अब कोरोना वायरस के मरीजों में देखे जा रहे हैं। इनमें कन्फ्यूजन, होश खोना, दौरा पड़ना, स्ट्रोक, लॉस ऑफ स्मैल, लॉस ऑफ टेस्ट, सिरदर्द, फोकस ना कर पाना और व्यावहारिक बदलाव जैसी कई दिक्कतें शामिल हैं। कोरोना वायरस से लड़ने पर बॉडी इम्यून सिस्टम पर भी इसका असर पड़ता है। इनफ्लेमेटरी रिस्पॉन्स के दौरान ’मलाडैप्टिव’ के प्रोड्यूस होने से बीमारी में शरीर के ऊतक और अंग डैमेज होते हैं। कोविड-19 का शिकार होने पर कई तरह के साइकोलॉजिकल चेंजेस देखने को मिलते हैं। तेज बुखार से लेकर शरीर के विभिन्न अंगों में ऑक्सीजन की कमी ब्रेन डिसफंक्शन की वजह बन सकती है। कोविड-19 के कई मामलों में मरीज का बेहोश होना या कोमा में चले जाने का खतरा भी देखा गया है।

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