बिहार चुनाव: रोजगार और विकास पर हो रही है चर्चा, पर लालू राज की चर्चा के बगैर वोट का भरोसा नहीं

रोजगार, नौकरी और विकास की बात चलते-चलते लालू और राबड़ी के 15 साल के शासनकाल के इर्द-गिर्द चक्कर लगाने लग रही है। सत्तारूढ़ एनडीए के नेता लगातार उस शासनकाल को याद दिला रहे हैं। यह बताने की कोशिश हो रही है कि तेजस्वी जो भी दावे करें, 15 साल के उनके माता-पिता के शासनकाल की ‘रिपोर्ट कार्ड’ उनके खिलाफ अविश्वास का माहौल बनाएगी। यही वजह है कि एनडीए के सभी नेता अपने भाषण का कम से कम 20 प्रतिशत समय लालू राज के कथित कुशासन के बारे में बताने में खर्च करते हैं। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पहले चरण के चुनाव यात्रा में लालू राज के कारनामों की चर्चा की। दूसरी तरफ महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव, लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान और रालोसपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के भाषणों का एक हिस्सा कानून-व्यवस्था को समर्पित रहता है।

पीएम मोदी ने दिलाई लाल-राबड़ी काल की याद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 अक्टूबर को राज्य में तीन चुनावी सभाओं को संबोधित किया। उन्होंने लालू-राबड़ी राज के दिनों की याद दिलाई। उनके भाषण का विश्लेषण करें तो पता चलेगा कि जिस एक विषय पर उन्होंने सबसे अधिक समय दिया, वह लालू-राबड़ी राज ही था।

विकास की खूब चर्चा करते सीएम नीतीश कुमार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास की खूब चर्चा करते हैं। अपनी सरकार की उपलब्धियों और भविष्य में कुछ अधिक बेहतर करने की घोषणा करते हैं। पर, इनसे भाषण पूरा नहीं होता है। वे लालू-राबड़ी शासन काल के अपराध का पूरा विवरण देते हैं। बताते हैं कि उस शासन काल में शाम ढलने के बाद लोग घर से नहीं निकलते थे। परिवार का कोई सदस्य अगर बाहर गया है तो उसकी वापसी तक लोग बेचैन रहते थे। अपराध के मामले में राज्य अब 23 वें नम्बर पर है। नीतीश सामान्य अपराध के अलावा अपहरण, नरसंहार और सांप्रदायिक दंगे का जिक्र जरूर करते हैं।

तेजस्वी भी कर रहे कानून-व्‍यवस्‍था पर चर्चा

दिलचस्प यह है कि खराब कानून-व्यवस्था से निजात दिलाने का वादा विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव भी कर रहे हैं। उनके मुताबिक राज्य में कानून का शासन खत्म हो चुका है। हत्या, लूट, डकैती और अपहरण की वारदातों के चलते माहौल पूरी तरह अराजक बना हुआ है। अपराधी खुलेआम राज्य की सत्ता को चुनौती दे रहे हैं। तेजस्वी भी एनडीए के अन्य नेताओं की तरह विकास का और खासकर सरकारी नौकरी देने का वादा करते हैं। फिर भी कानून-व्यवस्था की चर्चा किए बिना उनका भाषण पूरा नहीं होता है।

लालू राज को नहीं कोस रहे चिराग

लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान 15 साल पुराने शासन की तुलना नहीं करते हैं। वे एनडीए के ही शुरुआती पांच साल की याद दिलाते हैं। कहते हैं कि उस दौर की तुलना में कानून व्यवस्था की हालत बहुत खराब हो गई है। रालोसपा अध्यक्ष एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा भी अपनी सभाओं में खराब कानून व्यवस्था के बारे में कहना नहीं भूलते हैं।

 

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