अमेरिका में हथियारों की ब्रिकी बढ़ने के साथ राष्ट्रपति चुनाव में हिंसा एवं दंगों की आशंका व्यक्त की गई है। अंतिम चुनाव परिणामों में अनिश्चितता के कारण अमेरिका में हिंसा की स्थिति उत्पन्न हुई है। इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि मेल बैलेट के चलते कई दिनों तक मतगणना का कार्य चल सकता है। इसके चलते चुनाव परिणाम आने में देरी हो सकती है। ऐसी स्थिति में दोनों प्रमुख दलों के समर्थकों के बीच हिंसक प्रतिक्रिया सामने आ सकती है। एक सर्वेक्षण से पता चला है कि चार में तीन अमेरिकी चुनाव के दिन हिंसा के बारे में चिंतित हैं। चार में से केवल एक को यह भरोसा था कि अगर डेमोक्रेटिक पार्टी के उम्मीदवार जो बिडेन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को परास्त करते हैं तो सत्ता का हस्तांतरण शांतिपूर्ण होगा। इसके अलावा देश में हथियारों की खरीद और अश्वेत और श्वते के बीच संघर्ष ने इस आशंका को और ज्यादा बढ़ाया है।
राज्यों में नेशनल गार्ड की तैनाती की योजना
उधर, मिलिट्री डॉट कॉम ने बताया कि दस राज्यों ने चुनाव में हिंसा के मद्देनजर नेशनल गार्ड की तैनाती की योजना बना रहे हैं, जबकि 15 अन्य राज्य इस पर विचार कर रहे हैं। पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में होमलैंड के पूर्व रक्षा सचिव जेह जॉनसन ने चुनाव में अशांति की आशंका व्यक्त की है, उन्होंने बाकयादे इसको लेकर चेतावनी भी दी है। सीबीएस नेटवर्क के एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मतदान के दौरान या उसके बाद तनाव की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि संघीय जांच ब्यूरो ने भी चुनाव में तनाव को लेकर ध्यान केंद्रित किया है।
अमेरिका में हथियारों की बिक्री बढ़ी
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के ऐन मौके पर अमेरिका में हथियारों की बिक्री बढ़ने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि अमेरिका में चुनाव के बीच हथियारों की ब्रिकी में तेजी आई है। इतना ही नहीं वर्ष 2019 की तुलना में इस वर्ष गोली मारने की घटनाओं में भी इजाफा हुआ है। पिछले वर्ष के मुकाबले गोली मारने की घटना में 69 फीसद की वृद्धि हुई है। उधर, रिटेल स्टोर चेन वॉलमार्ट ने बंदूकों की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। यह अंदेशा है कि चुनाव के नतीजे चाहे जो भी हों, लेकिन अमेरिका में हिंसा होना तय है। सोशल मीडिया, खासकर फेसबुक पर भी चुनाव नतीजों के बाद हिंसा का अनुमान लगाया जा रहा है।
दोनों देलों के बीच अश्वेत और श्वेत की राजनीति
चुनाव के पूर्व जिस तरह से अमेरिका में नस्लीय हिंसा पर रिपब्लिकन एवं डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच सियासत हुई है, इससे यह आशंका और प्रबल हो गई है। बता दें कि चंद महीने पहले अमेरिका में हुई नस्लीय हिंसा के दौरान जमकर हिंसा और लूटपाट हुई थी। नस्लीय हिंसा के दौरान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच जमकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चला। चुनाव प्रचार के दौरान भी देश में अश्वेत और श्वेत की राजनीति गरम रही। विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी ने राष्ट्रपति ट्रंप को अश्वेत विरोधी करार दिया था और देश में नस्लीय हिंसा के लिए जिम्मेदार माना। उधर, रिपब्लिक पार्टी के उम्मीदवार और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चुनाव परिणाम आने के पूर्व ही इस बात की आशंका जताई कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट भी जा सकता है।
बोले ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अदालत में जाकर ही खत्म होंगे
उधर, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार की शाम को एक बार फिर मेल बैलेट की प्रकिया पर सवाल उठाया। पेंसिल्वेनिया में मतदान के पूर्व चुनावी नतीजे घोषित किए जाने के मामले में उन्होंने कहा कि यहां घोखाघड़ी की पर्याप्त आशंका है। इस मामले में ट्रंप ने सुप्रीम कोर्ट जाने की संभावना से भी इन्कार नहीं किया। इसके पूर्व भी ट्रंप सुप्रीम कोर्ट की न्यायाधीश रूथ बेडर गिन्सबर्ग की मृत्यु के बाद खाली हुए पद पर राष्ट्रपति चुनाव से पहले नियुक्ति के अपने फैसले का बचाव किया था। उन्होंने संकेत दिया कि अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव अदालत में जाकर ही खत्म होंगे। ट्रंप ने कहा कि इसलिए अदालत में नौ न्यायाधीशों का होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से डेमोक्रेट्स चुनाव में धोखाधड़ी और घोटाला कर रहे हैं, वह सुप्रीम कोर्ट के समक्ष होगा। उन्होंने कहा कि मेल से होने वाले मतदान में धोखाधड़ी आसान है।