​अब सेना में होंगे 3 डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ

डोकलाम विवाद के समय हुई थी इस पद को सृजित किये जाने की जरूरत

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने भारतीय सेना के मुख्यालय में बदलाव की प्रक्रिया के तहत गुरुवार को तीसरे डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के पद को मंजूरी दे दी है। यानी अब भारतीय सेना के मुख्यालय में दो के बजाय तीन उप सेना प्रमुख होंगे। चीन के साथ 2017 में हुए डोकलाम विवाद के समय तीसरे डिप्टी चीफ की जरूरत महसूस की गई थी। लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह को तीसरा डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनाए जाने की चर्चा है।​ सरकार ने डायरेक्टर जनरल इंफॉर्मेशन वॉरफेयर के पद को भी मंजूरी दे दी है। सेना मुख्यालय में बदलाव की सरकार से मंजूरी मिलने के बाद अब एक और उप सेना प्रमुख का पद बनाया गया है जिसके लिए आज आदेश भी जारी हो गए। सेना मुख्यालय में अभी दो उप प्रमुख के पद हैं लेकिन तीसरे डिप्टी चीफ की जरूरत चीन के साथ 2017 में हुए डोकलाम विवाद के बाद महसूस की गई थी। डोकलाम में 72 दिनों तक भारत और चीन के सैनिक आमने सामने रहने के बाद जब सेना ने इन परिस्थितियों की समीक्षा की तो एक नया सिस्टम बनाने की जरूरत महसूस हुई। मौजूदा व्यवस्था में सेना के एक महकमे पर इंटेलिजेंस की जिम्मेदारी है तो दूसरे पर लॉजिस्टिक और तीसरे पर ऑपरेशंस की जिम्मेदारी है। यह तीनों विभाग सेना के दो डिप्टी चीफ के अधीन काम करते हैं।

डोकलाम विवाद खत्म होने के बाद महसूस किया गया कि सेना एक ऐसा स्थाई ढांचा होना चाहिए जिसमें ऑपरेशंस, इंटेलिजेंस, पर्सपेक्टिव प्लानिंग सब एक ही अधिकारी के अधीन होने चाहिए ताकि इमरजेंसी में कोई अस्थाई इंतजाम ना करना पड़े और फैसले लेने में भी तेजी आए। इसलिए तीसरे डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटिजी) का पद सृजित करने का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया। अब सरकार से मिलने के बाद मौजूदा डीजीएमओ, डीजीएमआई, डीजीपीपी का नाम बदलकर स्ट्रैटजिक प्लानिंग हो जाएगा।डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटिजी) के अधीन डीजी लॉजिस्टिक और डीजी इंफॉर्मेंशन वॉरफेयर आएंगे। किसी भी ऑपरेशन या इमरजेंसी हालात में रणनीति बनाने में इनका अहम रोल होता है। इसीलिए सरकार ने डायरेक्टर जनरल इंफॉर्मेशन वॉरफेयर के पद को भी मंजूरी दे दी है। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल परमजीत सिंह देश के पहले डिप्टी चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ (स्ट्रैटिजी) होंगे। वह 2016 में उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक की प्लानिंग में भी शामिल रह चुके हैं। उन्हें काउंटर टेरर ऑपरेशन और सियाचिन ग्लेशियर में ऊंचाई वाले युद्ध में भी लंबा अनुभव है। उन्होंने अपने करियर का अधिकांश समय जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद रोधी अभियानों का संचालन करने में बिताया है।

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