मकर संक्रांति के दिन इन 5 शक्तियों का करेंगे पूजन, तो मिलेगा मनचाहा धन

सूर्य पुराण और व्रत शास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति दान-पुण्य, स्नान का पर्व मात्र नहीं है, बल्कि यह जीवन में परिवर्तन लाने का भी पर्व है। इस दिन हमें पंचशक्ति साधना करने का अवसर मिलता है, जो सम्पूर्ण वर्ष मनोवांछित फल प्रदान करता है। मकर संक्रांति के दिन गणेशजी, शिवजी, विष्णुजी, महालक्ष्मी और सूर्य की साधना संयुक्त रूप से करने का वर्णन प्राचीन धर्मग्रंथों में विस्तार से मिलता है। पंचशक्ति की साधना से ग्रहों को अपने अनुकूल बनाने का पर्व मकर संक्रांति है। मकर संक्रांति के दिन ब्रह्ममुहूर्त में नित्य कर्म से निवृत्त होकर शुद्ध स्थान पर कुशासन पर बैठें और पीले वस्त्र का आसन बिछा कर सवा किलो चावल और उड़द की दाल का मिश्रण कर पीले वस्त्र के आसन पर सम भाव से पांच ढेरी रखें। फिर दाहिने क्रम से पंचशक्तियों की मूर्ति, चित्र या यंत्र को ढेरी के ऊपर स्थापित कर सुगंधित धूप और दीपक प्रज्ज्वलित करें। इसके बाद एकाग्रचित हो एक-एक शक्ति का स्मरण कर चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य, फल अर्पित कर पंचोपकार विधि से पूजन सम्पन्न करें। आम की लकड़ी हवन कुंड में प्रज्ज्वलित कर शक्ति मंत्र की 108 आहुति अग्नि को समर्पित कर पुन: एक माला मंत्र जाप करें। वेद, पुराण के मतानुसार यदि किसी भी देवी-देवता की साधना में उस शक्ति के गायत्री मंत्र का प्रयोग किया जाए तो सर्वाधिक फलित माना जाता है। इसलिए पंचशक्ति साधना में इसका प्रयोग करना चाहिए। इन मंत्र का करें जाप
श्री गणेश गायत्री मंत्र- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति प्रचोदयात्!
श्री शिव गायत्री मंत्र- ॐ महादेवाय विद्महे रुद्रमूर्तये धीमहि तन्नो शिव प्रचोदयात!श्री विष्णु गायत्री मंत्र- ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि तन्नो विष्णु: प्रचोदयात!
महालक्ष्मी गायत्री मंत्र- ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात!
सूर्य गायत्री मंत्र- ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि तन्नो सूर्य प्रचोदयात! ऐसे करें पंचशक्तियों का पूजन पंचज्योति के साथ आरती करें और पुष्पांजलि अर्पित कर तिल के लड्डू, फल, मिष्ठान्न, खिचड़ी, वस्त्र आदि का सामर्थ्य के अनुसार सुपात्र को दान दें। यदि दान की वस्तुओं की संख्या 14 हो तो विशेष शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के पुण्य काल में गंगा सागर में स्नान करने का विशेष महत्व है। लेकिन किसी नदी, सरोवर आदि में स्नान करने से भी पुण्य मिलता है। इस साधना से शरीर के सुप्त तत्व जाग्रत हो जाते हैं। जीवन की अशुभता का दमन और शुभत्व का संचार होने लगता है।

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com