प्रथम प्रधानमंत्री पद के हकदार थे सुभाष चंद्र बोस : मनोज जायसवाल

पराक्रम दिवस के रूप में मनाई गयी नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जयंती
स्कूल-कालेजों में नन्हें-मुन्नों ने प्रस्तुत की रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम

सुरेश गांधी

वाराणसी। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा, जय हिन्द… जैसे नारों से आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती शनिवार को पराक्रम दिवस के रूप में मनायी गयी। इस मौके पर जगह-जगह स्वयंसेवी संस्थाओं से लेकर राजनीतिक दलो के कार्यकर्ताओं ने कार्यक्रमों में नेताजी के तैलचित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, कृतज्ञ राष्ट्र नेताजी के त्याग और बलिदान को हमेशा याद रखेगा और आने वाली पीढियों के लिए वे सदा प्रेरणाश्रोत रहेंगे। साथ ही नेताजी के अदम्य साहस एवं राष्ट्र के लिए उनके निरू स्वार्थ सेवा का स्मरण किया गया। इसी कड़ी में सुंदरपुर कन्या प्राथमिक विद्यालय में जन कल्याण फाउंडेशन ट्रस्ट के तत्वावधान में नेताजी की जयंती मनाई गयी। इस मौके पर स्कूल के नन्हें-मुन्ने बच्चों ने रंगारग सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिए लोगों को मंमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जायसवाल क्लब के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज जायसवाल ने वृक्षारोपण किया और 150 बच्चों में पेन, कॉपी व किताब वितरण किया। कार्यक्रम महंत हनुमान दास जी के मार्गदर्शन एवं सत्यप्रकाश के नेतृत्व में संपन्न किया गया। इस मौके पर अतुल अग्रवाल, सरोजिनी महापात्रा, अखिलेश राठौर, शिवानी सिंह, मुरलीधर जायसवाल, सचिन गुप्ता, अरविंद प्रजापति, अनुराग, अभय आदि मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान अतिथियों ने स्कूल की मरम्मत व सुंदरीकरण का पूर्ण आश्वासन दिया। साथ ही भरपूर सहयोग की बात कहीं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मनोज जासवाल ने कहा कि सिंगापुर में ही उन्होंने आज़ाद हिन्द फौज की एक प्रकार से पुर्नस्थापना की, क्योंकि 1942 में मोहन सिंह द्वारा स्थापित आज़ाद हिन्द फौज उसी वर्ष दिसम्बर में विघटित कर दी गयी थी। अब अनेक ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकारें सुभाष बोस के भारत स्वतंत्र कराने के अभियान को मदद देना चाहती थीं पर उनको इसके लिए आवश्यक था एक ऐसा सरकार का ढांचा जिसे वे मान्यता दे सकें। इसलिए सुभाष बोस ने 21 अक्टूबर को आरज़ी हुकूमत ए आज़ाद हिन्द की स्थापना कर स्वयं उसके राष्ट्राध्यक्ष का पद संभाला। यह भारत की बाहर घोषित भारत की प्रथम स्वतंत्र सरकार थी जिसे ग्यारह देशों ने मान्यता दी- इनमें जर्मनी, इटली, नानकिंग चीन, थाईलैंड, बर्मा, क्रोएशिआ, फिलीपींस, मंचुटो और जापान शामिल थे। श्री जायसवाल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस को मिल रही अंतरराष्ट्रीय सहायता और मान्यता ब्रिटिश सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय थी और भारत को 1947 में मिली आज़ादी का कारण गाँधी जी का अहिंसावादी आंदोलन नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस की आज़ाद हिन्द फौज के बढ़ते कदम थे। 1943 में स्थापित आज़ाद भारत की प्रथम सरकार के राष्ट्राध्यक्ष के नाते भारत के प्रथम प्रधानमंत्री नेहरू नहीं बल्कि सुभाष चंद्र बोस हैं और आशा की जानी चाहिए कि इतिहास की भूल को सुधार कर संसद में एक सर्वसम्मत प्रस्ताव लेकर सुभाष चंद्र बोस को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री का स्थान दिया जायेगा। 1943 में आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना के बाद उनकी सेना ने अंडमान निकोबार द्वीप आज़ाद कराया और उसका नाम शहीद और स्वराज रखा। उसके बाद आज़ाद हिन्द फौज ने मणिपुर में मोइरांग पर कब्ज़ा किया और कोहिमा से दिल्ली की और बढ़ना शुरू किया। ’चलो दिल्ली’ का नारा इसी समय दिया गया था। आज भारत की सेना और हर देशभक्त जिस नारे के साथ एक दूसरे का अभिवादन करते हैं उस जय हिन्द का नारा भी सुभाष चंद्र बोस का दिया हुआ है न कि गाँधी के नकली कांग्रेसियों का।

श्री जायसवाल ने सुभाषचंद्र बोस के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत की आजादी में अपना महत्वपूर्ण स्थान रखने वाले क्रांतिकारी, पराक्रमी, भारत मां के महान सपूत का नाम इतिहास के पृष्ठों में स्वर्णाक्षरों में लिखा गया है। उन्होंने युवा वाहिनी का गठन किया और आजाद हिंद फौज का निर्माण कर देश को नारा दिया कि तुम मुझे खून दो में तुम्हे आजादी दूंगा। पराक्रम से परिपूर्ण व्यक्तित्व जिसने मातृभूमि को गुलामी की बेडियों से आजाद कराने के लिए अनेकों त्याग किए। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस ने सर्वोच्च शासकीय पद का भी परित्याग किया। उन्होंने इंडियन नेशनल आर्मी बनाई और अंग्रेजों से लोहा लिया। नेताजी जैसे महापुरूष सदियों में जन्म लेते है। श्री जायसवाल ने कहा कि हमें कभी भी अन्याय को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। जो अन्याय को नजरअंदाज करता है। वह सबसे बड़ा दोषी होता है। गलत के प्रति आवाज उठानी चाहिए। कई बार बहुत से निरपराध व्यक्ति भी जानकारी के अभाव में अन्याय सहते हैं। नेताजी सुभाष चंद्र बोस एक ऐसे महान क्रांतिकारी थे, जिन्होंने अपने विचारों से देश के लाखों लोगों को प्रेरित किया था। इसी तरह अक्षय सेवा फाउंडेशन के तत्वावधान में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती मनाई गयी। कार्यक्रम में उनके जीवन से सम्बंधित नाटक समेत गीत योग की विविध प्रस्तुतियों ने लोगों का मन मोह लिया। इस अवसर पर चिकित्सक विशिष्ट अतिथि सरोज चूड़ामणि ने कहा कि सुभाष चन्द्र का सपना अखंड भारत का था। हमें आज उनके सपनों को यादकर भारत को अखंड बनाएं। हम कभी अलग हुए थे लेकिन संभावनाएं एक होने की हैं। इसके साथ ही बटुकों के कार्यक्रम ने भी काफी प्रभावित किया। कार्यक्रम में प्रमुख रूप से मुख्य अतिथि प्रयागराज की सांसद रीता बहुगुणा जोशी, विशिष्ट अतिथि भाजपा के क्षेत्रीय महामंत्री अशोक चैरसिया, पूर्वांचल विकास आयोग के उपाध्यक्ष दयाशंकर मिश्र दयालु, सरोज चूड़ा मणि आदि उपस्थित थे।

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