बिहार

अक्षरा सिंह के साथ काम करने को लेकर काफी एक्‍साइटेड हैं और उनके साथ काम करने के लिए प्‍लांनिंग वे लंबे समय से कर रहे थे।

भोजपुरी की सुपर हॉट एक्‍ट्रेस अ‍क्षरा सिंह का जवाब नहीं, क्‍योंकि अब उनसे लव मैरेज के लिए लोग उनके डेट अरेंज होने का इंतजार भी कर रहे हैं। दरअसल ये खबर पूरी तरह से फिल्‍मी है, जो निर्देशक विष्‍णु शंकर …

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जबलपुर से तस्करी कर लाई गईं एके-47 राइफलों में से 20 राइफलें अकेले मुंगेर के ही अपराधियों को बेची गई हैं।

 मध्य प्रदेश के जबलपुर ऑर्डिनेंस डिपो से एके 47 राइफल की तस्करी मामले के अनुसंधान में जुटी पुलिस ने शेखपुरा और गया में छापेमारी कर वहां से दो हथियार तस्करों को गिरफ्तार किया है। इस मामले में पुलिस ने मुंगेर …

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सुपौल के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में छेड़खानी का विरोध करने पर मनचलों ने हॉस्टल में घुसकर 34 छात्राओं को जमकर पीटा।

सुपौल के कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में छेड़खानी का विरोध करने पर मनचलों ने हॉस्टल में घुसकर 34 छात्राओं को जमकर पीटा।

 बिहार के सुपौल जिले के त्रिवेणीगंज में डपरखा कस्तूरबा आवासीय विद्यालय में छेड़खानी का विरोध करने पर मनचलों के साथ उनके अभिभावकों ने मिलकर हॉस्टल की छात्राओं की जमकर पिटाई की जिसमें 34 छात्राएं घायल हो गई हैं जिनका इलाज …

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बिहार में लोक सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) को लागू करते समय सरकारी तत्परता की देश भर में सराहना हुई थी

बिहार में लोक सूचना का अधिकार कानून (आरटीआइ) को लागू करते समय सरकारी तत्परता की देश भर में सराहना हुई थी

बिहार में सूचना के अधिकार के तहत सूचना मांगने वाले लोगों पर भ्रष्ट अफसरों के अत्याचार का डंडा बरसने लगा है। राज्‍य में पंचायत से लेकर सचिवालय तक ऐसी प्रताडऩा के 352  मामले सामने आ चुके हैं। यह आंकड़ा मार्च …

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कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब है ‘बिहार डायरीज’।

कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब है 'बिहार डायरीज'।

पुलिस वाले सिर्फ बंदूक ही नहीं चलाते बल्कि कलम चलाना भी बखूबी जानते हैं। कलम चलाई भी तो ऐसी कि फिल्मी सितारे भी कहानी के मुरीद हो गए। कलम चलाने वाले ये हाथ हैं, आइपीएस अमित लोढ़ा के और किताब …

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बिहार में 600 करोड़ रुपये के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले में नया खुलासा हुआ है जिससे एसआइटी भी हैरान है। जिसके पास एक धुर भी जमीन नहीं उन्हें लाखों का भुगतान कर दिया गया।

बिहार में 600 करोड़ रुपये के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले में नया खुलासा हुआ है

बिहार के बहुचर्चित धान खरीद घोटाले की जांच में कई ऐसे चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं, जिससे इस घोटाले की जांच कर रही सीआइडी की एसआइटी (विशेष जांच दल) भी हतप्रभ है। 600 करोड़ रुपये से भी अधिक के …

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पूर्व मध्य रेल के जीएम ने कहा: दीपावली और छठ पूजा के दौरान बिहार के लिए चलेंगी स्पेशल ट्रेनें

दीपावली और छठ पूजा के दौरान बिहार के लिए चलेंगी स्पेशल ट्रेनें

 दीपावली और छठ के त्योहारों में बिहार आने वाले यात्रियों की भीड़ को देखते हुए रेलवे ने इस बार पर्याप्त संख्या में पूजा और छठ स्पेशल ट्रेनों का परिचालन करने जा रहा है। ये ट्रेनें देश के अलग-अलग स्टेशनों से …

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कुएं से बरामद हुआ एके 47 राइफल के पार्ट-पुर्जों का जखीरा

कुएं से बरामद हुआ एके 47 राइफल के पार्ट-पुर्जों का जखीरा

मुंगेर में 20 एके 47 राइफल की बरामदगी के बाद भी मुंगेर पुलिस की छापामारी जारी है। सोमवार की देर रात मुंगेर पुलिस की टीम ने सदर एएसपी हरिशंकर कुमार के नेतृत्व में बरदह गांव में मंजी उर्फ मंजर के …

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बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ने, किराए में वृद्धि कर दी जानिए कहां का कितना हो गया किराया

बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ने, किराए में वृद्धि कर दी जानिए कहां का कितना हो गया किराया

 सोमवार यानी एक अक्टूबर से बस, मिनी बस और ऑटो के किराए में बिहार मोटर ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ने वृद्धि कर दी है। फेडरेशन के मुताबिक नया किराया रविवार की आधी रात से लागू हो जाएगा।भाड़ा बढ़ाने को लेकर परिवहन विभाग …

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जब बिहार के एक किसान ने गांधी को पुकारा था- मान्यवर महात्मा!

बिहार के एक किसान राजकुमार शुक्‍ल के आग्रह पर चंपारण पहुंचे महात्‍मा गांधी ने देश में अहिंसक आंदोलन की नींच रखी। लेकिन, एक समय ऐसा भी आया था कि गांधी जी चंपारण नहीं जाने को लेकर सोचने लगे थे। बिहार आने पर उन्‍हें अपमान के घूंट पीने पड़े थे। महात्‍मा गांधी ने इस बात का जिक्र अपने एक पत्र में किया है। जानिए, 'बिहार' की गांधी को लेकर ये स्‍मृतियां... चिंरजीवी मंगनलाल, जो व्यक्ति मुझे यहां ले आया है, कुछ नहीं जानता। उसने मुझे एक अजनबी जगह ला पटका है। घर का मालिक (राजेंद्र बाबू) कहीं गया हुआ है और नौकर ऐसा समझते हैं कि अवश्य ही हम दोनों भिखारी होंगे। वे हमें घर के पखाने का उपयोग भी नहीं करने देते। खाने-पीने की तो बात ही क्या? मैं सोच समझकर अपनी जरूरत की चीजें साथ रखता हूं, इसलिए बेफिक्र रह सका हूं। मैंने अपमान के घूंट पीये हैं, इसलिए यहां की अटपटी स्थिति से कोई दुख नहीं होता। यदि यही स्थिति रही तो चंपारण जाना नहीं हो सकेगा। मार्गदर्शक कोई मदद कर सकेगा ऐसा दिखाई नहीं देता और मैं स्वयं अपना मार्ग खोज सकूं ऐसी स्थिति नहीं है। इस दशा में मैं तुम्हें अपना पता नहीं दे सकता। यदि मैं किसी को वहां से मदद के लिए लाया होता तो वह भी मुझ पर एक भार ही होता...। अपनी अनिश्चित स्थिति की बात भर बता रहा हूं, तुम्हें कोई चिंता करने की जरूरत नहीं...। - मो.क. गांधी ----- बिहार: गठबंधन की राजनीति में टिकटों की जोड़तोड़ शुरू, अटकीं उम्मीदवारों की सांसें यह भी पढ़ें मैं बिहार हूं। लोकतंत्र की जननी। बुद्ध और महावीर की भूमि। गुरु गोविंद सिंह की जन्मस्थली और गांधी की कर्मभूमि। मुझसे भी बापू का बड़ा नाता रहा है। अनगिनत निशानियां मैंने समेट रखी हैं। इनमें महत्वपूर्ण है सदाकत आश्रम। 1921 में बापू के सहयोग से हुई थी स्थापना। लेकिन बिहार को अफसोस है कि आजादी के बाद गांधी कभी बिहार नहीं आ सके। 10 अप्रैल 1917 को गांधी पटना आए। तब मैंने पहली बार उन्हें देखा। उस दिन का प्रसंग थोड़ा अटपटा था। गांधी यहां आ तो गए थे पर कोई ठौर नहीं था। डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद के घर गए, पर वे थे नहीं और घर के नौकर ने उन्हें महत्व नहीं दिया। मैंने इस अपमान की पीड़ा महसूस की गांधी की उक्त चिट्ठी में, जिसमें उनका मन आहत है। यह सच है कि गुरु रवींद्रनाथ ने उन्हें महात्मा की उपाधि दी थी। लेकिन, बिहार की माटी भी इस बात की साक्षी है कि यहां के भोले-भाले किसान राजकुमार शुक्ल ने उन्हें महात्मा पुकारा था। दस्तावेज गवाही देते हैं कि बिहार की माटी से उन्हें इसी संबोधन से पत्र लिखा गया था। तारीख थी 27 फरवरी 1917। NDA में ‘ऑल इज वेल’ नहीं! बिहार में खटक रहा तालमेल का अभाव यह भी पढ़ें लिखा था- मान्यवर महात्मा! किस्सा सुनते हो रोज औरों के, आज मेरी भी दास्तान सुनो...।' पत्र लंबा है। याचना है कि गांधी चंपारण आएं और यहां की 19 लाख प्रजा की पीड़ा से अवगत हों। राजकुमार शुक्ल कांग्रेस के लखनऊ अधिवेशन में चंपारण के किसानों की आवाज बनकर पहुंचे। गांधी को बुलाने से पहले पंडित मदनमोहन मालवीय और लोकमान्य बालगंगाधर तिलक से भी मिले और चंपारण की समस्या के बारे में बताया। लेकिन, इन लोगों ने यह कहकर मना कर दिया कि भारत की आजादी का बड़ा प्रश्न पहले उनके सामने है। बाद में राजकुमार ने गांधी जी से विनती की। कानपुर भी गए। पर गांधीजी से मुलाकात न हो सकी। अंतत: 10 अप्रैल 1917 को गांधी पटना पहुंचे।

बिहार के एक किसान राजकुमार शुक्‍ल के आग्रह पर चंपारण पहुंचे महात्‍मा गांधी ने देश में अहिंसक आंदोलन की नींच रखी। लेकिन, एक समय ऐसा भी आया था कि गांधी जी चंपारण नहीं जाने को लेकर सोचने लगे थे। बिहार …

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