गैजेट्स – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Mon, 29 Sep 2025 06:55:10 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 फायर डिपार्टमेंट का हाई-टेक स्टॉल बना आकर्षण, रोबोट से लेकर स्मार्ट कैमरे तक ने खींचा ध्यान http://www.shauryatimes.com/news/208648 Mon, 29 Sep 2025 06:55:10 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=208648 ग्रेटर नोएडा; ग्रेटर नोएडा में चल रहे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में इस बार लोगों की नज़र सबसे ज्यादा जिस स्टॉल पर ठहर रही है, वह है फायर डिपार्टमेंट का हाई-टेक स्टॉल। यहां प्रदर्शित अत्याधुनिक उपकरण और दमकल वाहनों ने न केवल दर्शकों को रोमांचित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि आधुनिक तकनीक और तैयारी से आपदा प्रबंधन और अग्निशमन सेवाओं में नई क्रांति आ चुकी है। फायर डिपार्टमेंट ने अपने स्टॉल पर कई अत्याधुनिक उपकरण प्रदर्शित किए, जिनमें Victim Trace Camera, Thermal Imaging Camera, Breathing Apparatus Set और Fire Fighting Robot प्रमुख रहे। इन उपकरणों ने प्रदर्शनी देखने आए दर्शकों, छात्रों और उद्यमियों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की झलक दिखलाई।

विक्टिम ट्रेस कैमरा
स्टॉल पर प्रदर्शित Victim Trace Camera आग लगने या इमारत ढहने जैसी दुर्घटनाओं में फंसे लोगों को खोजने में कारगर है। इस कैमरे की मदद से मलबे के अंदर फंसे व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक न केवल बचाव कार्य को आसान बनाती है बल्कि फंसे हुए लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

थर्मल इमेजिंग कैमरा
इसी प्रकार, Thermal Imaging Camera आगजनी या धुएं से भरे वातावरण में लोगों का पता लगाने में बेहद उपयोगी है। यह कैमरा धुएं या अंधेरे में भी मौजूद लोगों की लोकेशन बताने में सक्षम है। इसके माध्यम से राहतकर्मी घटनास्थल के तापमान का भी अंदाजा लगा सकते हैं, जिससे बचाव कार्य और तेज तथा सुरक्षित ढंग से किया जा सके।

ब्रीदिंग अपरेटस सेट
फायर डिपार्टमेंट के स्टॉल पर प्रदर्शित Breathing Apparatus Set दमकल कर्मियों के लिए जीवन रक्षक साबित होता है। धुएं या जहरीली गैसों से भरे माहौल में यह उपकरण दमकलकर्मियों को सुरक्षित सांस लेने की सुविधा प्रदान करता है। इसकी मदद से वे लंबे समय तक राहत और बचाव कार्य जारी रख सकते हैं। इस उपकरण ने युवाओं और छात्रों का विशेष ध्यान खींचा, क्योंकि यह दिखाता है कि फायर फाइटर्स किस प्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जिंदगी बचाते हैं।

फायर फाइटिंग रोबोट
स्टॉल का सबसे बड़ा आकर्षण Fire Fighting Robot रहा। इस रोबोट की विशेषता है कि यह अत्यधिक जोखिम वाले इलाकों, जैसे रसायनिक गोदाम, कारखाने या तेल भंडारण स्थल पर लगी आग को नियंत्रित करने में सक्षम है। यह रोबोट खुद को सुरक्षित दूरी पर रखकर आग पर काबू पाने का काम करता है और लंबे समय तक निरंतर कार्य करने में सक्षम है। यह तकनीक दर्शकों के लिए नई और रोमांचक रही।

आधुनिक वाहनों की प्रदर्शनी
फायर डिपार्टमेंट ने केवल उपकरण ही नहीं, बल्कि आधुनिक दमकल वाहनों जैसे आरवीवी (Rescue Vehicle Van), MRDVE (Multi Disaster Response Vehicle) और AVLVT (Advanced Ventilation Ladder Vehicle Truck) भी प्रदर्शित किए। इन वाहनों को हाल ही में विभिन्न जिलों जैसे मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ में तैनात किया गया है। ये वाहन न केवल आग बुझाने में सहायक हैं, बल्कि सुनियोजित रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

सुरक्षा जागरूकता का संदेश
फायर डिपार्टमेंट ने इस प्रदर्शनी के माध्यम से आम जनता को यह संदेश दिया कि आपदा प्रबंधन और अग्निशमन कार्य केवल दमकल विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है। स्टॉल पर आए आगंतुकों को फायर इक्विपमेंट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और यह बताया गया कि किस तरह सही समय पर सही उपकरण का उपयोग जीवन बचा सकता है।

उत्साह और सहभागिता
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आए आगंतुकों ने इस स्टॉल की खूब सराहना की। विशेषकर स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने फायर इक्विपमेंट की कार्यप्रणाली को समझने में गहरी रुचि दिखाई। कई उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भी कहा कि इस तरह के अत्याधुनिक उपकरण उनके उद्योगों में सुरक्षा मानकों को और मजबूत करेंगे। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में फायर डिपार्टमेंट का स्टॉल तकनीकी उन्नति और आपदा प्रबंधन की तैयारी का प्रतीक बनकर उभरा। अत्याधुनिक फायर इक्विपमेंट्स ने न केवल तकनीक की ताकत को सामने रखा, बल्कि यह भी दिखाया कि जीवन की रक्षा के लिए लगातार नवाचार और तैयारी कितनी जरूरी है।

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यूपीआईटीएस में सौर ऊर्जा से चलने वाला आधुनिक UAV बना आकर्षण http://www.shauryatimes.com/news/208664 Mon, 29 Sep 2025 06:11:23 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=208664 ग्रेटर नोएडा; उत्तर प्रदेश इंटरनेशनल ट्रेड शो (UPITS) में इस बार सौर ऊर्जा से संचालित हाई-एंड्यूरेंस UAV (Unmanned Aerial Vehicle) लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। पूरी तरह इलेक्ट्रिक और अत्याधुनिक तकनीक से लैस यह ड्रोन कई मायनों में खास है। इसकी ऊंचाई क्षमता 5 किलोमीटर तक है और यह एक बार उड़ान भरने पर लगातार 12 घंटे तक आसमान में रह सकता है।

निर्माताओं ने बताया कि यह UAV लगभग 200 मीटर लंबे रनवे से आसानी से उड़ान भर सकता है। इसका संचालन बेहद सरल है और केवल दो लोगों की टीम, जिसमें एक पायलट शामिल होता है, इसे नियंत्रित कर सकती है। विशेष बात यह है कि इसका सेटअप सिर्फ 30 मिनट में तैयार हो जाता है।

योगी सरकार का विज़न, नवाचार और सुरक्षा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार राज्य को रक्षा उत्पादन और स्टार्टअप हब बनाने के प्रयास कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में प्रदेश में डिफेंस कॉरिडोर और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा मिला है। यह UAV इन्हीं प्रयासों का प्रतीक है, जिसमें लगभग 75% स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। यूपीआईटीएस में यह प्रदर्शनी योगी सरकार की आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया की प्रतिबद्धता को भी मजबूत करती है।

विशेष तकनीक “Auxiron” से किया गया विकसित
कंपनी ने इस UAV में एक अनोखी तकनीक “Auxiron” विकसित की है, जो पंखों को झुकाकर सूर्य की किरणों को कैच करती है। इससे सोलर पैनल से अधिकतम ऊर्जा उत्पन्न होती है और UAV की उड़ान अवधि कई गुना बढ़ जाती है। Auxiron न केवल एयरोडायनमिक ड्रैग को कम करता है, बल्कि विमान को बिना स्लिपिंग के सीधी उड़ान भरने में भी मदद करता है।
इस पेटेंटेड तकनीक के चलते UAV दिन में आठ घंटे अतिरिक्त और रात में चार घंटे बैटरी बैकअप के साथ उड़ सकता है।

रक्षा और नागरिक उपयोग
यह UAV खासकर इंटेलिजेंस, सर्विलांस और रिकॉन्नसेंस (ISR) मिशनों के लिए आदर्श है। कंपनी के मुताबिक इसके कई डिफेंस और सिविलियन उपयोग हैं:

▪सीमा क्षेत्रों में निगरानी और दुश्मन की गतिविधियों पर नजर

▪पाइपलाइन और पावरलाइन निरीक्षण

▪खोज एवं बचाव अभियान (Search & Rescue)

▪आपदा प्रबंधन और राहत कार्य

▪सटीक कृषि और पर्यावरण मॉनिटरिंग

भविष्य की योजनाएं
कंपनी का कहना है कि जून-जुलाई 2025 से हाई-एल्टीट्यूड लॉन्ग एंड्यूरेंस (HALE) UAV प्रोग्राम पर भी काम शुरू होगा। इसे “प्स्यूडो सैटेलाइट” कहा जा रहा है, जो लंबे समय तक ऊंचाई पर रहकर बार्डर मॉनिटरिंग, शुरुआती चेतावनी और संचार नेटवर्क जैसे कार्यों में क्रांति ला सकता है। यूपीआईटीएस-2025 में इस UAV के स्टॉल पर बड़ी संख्या में लोग और डिफेंस सेक्टर से जुड़े प्रतिनिधि पहुंचे और इसकी तकनीकी खूबियों को करीब से समझा। वो कहते हैं कि यह कहना गलत नहीं होगा कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अब डिफेंस और ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में नई उड़ान भर रहा है।

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फायर डिपार्टमेंट का हाई-टेक स्टॉल बना आकर्षण, रोबोट से लेकर स्मार्ट कैमरे तक ने खींचा ध्यान http://www.shauryatimes.com/news/208673 Mon, 29 Sep 2025 05:44:45 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=208673 ग्रेटर नोएडा; ग्रेटर नोएडा में चल रहे यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में इस बार लोगों की नज़र सबसे ज्यादा जिस स्टॉल पर ठहर रही है, वह है फायर डिपार्टमेंट का हाई-टेक स्टॉल। यहां प्रदर्शित अत्याधुनिक उपकरण और दमकल वाहनों ने न केवल दर्शकों को रोमांचित किया, बल्कि यह भी साबित किया कि आधुनिक तकनीक और तैयारी से आपदा प्रबंधन और अग्निशमन सेवाओं में नई क्रांति आ चुकी है। फायर डिपार्टमेंट ने अपने स्टॉल पर कई अत्याधुनिक उपकरण प्रदर्शित किए, जिनमें Victim Trace Camera, Thermal Imaging Camera, Breathing Apparatus Set और Fire Fighting Robot प्रमुख रहे। इन उपकरणों ने प्रदर्शनी देखने आए दर्शकों, छात्रों और उद्यमियों को आपातकालीन परिस्थितियों से निपटने की झलक दिखलाई।

विक्टिम ट्रेस कैमरा
स्टॉल पर प्रदर्शित Victim Trace Camera आग लगने या इमारत ढहने जैसी दुर्घटनाओं में फंसे लोगों को खोजने में कारगर है। इस कैमरे की मदद से मलबे के अंदर फंसे व्यक्ति की वास्तविक स्थिति का पता लगाया जा सकता है। यह तकनीक न केवल बचाव कार्य को आसान बनाती है बल्कि फंसे हुए लोगों के जीवन को सुरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

थर्मल इमेजिंग कैमरा
इसी प्रकार, Thermal Imaging Camera आगजनी या धुएं से भरे वातावरण में लोगों का पता लगाने में बेहद उपयोगी है। यह कैमरा धुएं या अंधेरे में भी मौजूद लोगों की लोकेशन बताने में सक्षम है। इसके माध्यम से राहतकर्मी घटनास्थल के तापमान का भी अंदाजा लगा सकते हैं, जिससे बचाव कार्य और तेज तथा सुरक्षित ढंग से किया जा सके।

ब्रीदिंग अपरेटस सेट
फायर डिपार्टमेंट के स्टॉल पर प्रदर्शित Breathing Apparatus Set दमकल कर्मियों के लिए जीवन रक्षक साबित होता है। धुएं या जहरीली गैसों से भरे माहौल में यह उपकरण दमकलकर्मियों को सुरक्षित सांस लेने की सुविधा प्रदान करता है। इसकी मदद से वे लंबे समय तक राहत और बचाव कार्य जारी रख सकते हैं। इस उपकरण ने युवाओं और छात्रों का विशेष ध्यान खींचा, क्योंकि यह दिखाता है कि फायर फाइटर्स किस प्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर लोगों की जिंदगी बचाते हैं।

फायर फाइटिंग रोबोट
स्टॉल का सबसे बड़ा आकर्षण Fire Fighting Robot रहा। इस रोबोट की विशेषता है कि यह अत्यधिक जोखिम वाले इलाकों, जैसे रसायनिक गोदाम, कारखाने या तेल भंडारण स्थल पर लगी आग को नियंत्रित करने में सक्षम है। यह रोबोट खुद को सुरक्षित दूरी पर रखकर आग पर काबू पाने का काम करता है और लंबे समय तक निरंतर कार्य करने में सक्षम है। यह तकनीक दर्शकों के लिए नई और रोमांचक रही।

आधुनिक वाहनों की प्रदर्शनी
फायर डिपार्टमेंट ने केवल उपकरण ही नहीं, बल्कि आधुनिक दमकल वाहनों जैसे आरवीवी (Rescue Vehicle Van), MRDVE (Multi Disaster Response Vehicle) और AVLVT (Advanced Ventilation Ladder Vehicle Truck) भी प्रदर्शित किए। इन वाहनों को हाल ही में विभिन्न जिलों जैसे मेरठ, गोरखपुर और लखनऊ में तैनात किया गया है। ये वाहन न केवल आग बुझाने में सहायक हैं, बल्कि सुनियोजित रेस्क्यू ऑपरेशन चलाने में भी बड़ी भूमिका निभाते हैं।

सुरक्षा जागरूकता का संदेश
फायर डिपार्टमेंट ने इस प्रदर्शनी के माध्यम से आम जनता को यह संदेश दिया कि आपदा प्रबंधन और अग्निशमन कार्य केवल दमकल विभाग की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है। स्टॉल पर आए आगंतुकों को फायर इक्विपमेंट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई और यह बताया गया कि किस तरह सही समय पर सही उपकरण का उपयोग जीवन बचा सकता है।

उत्साह और सहभागिता
यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में आए आगंतुकों ने इस स्टॉल की खूब सराहना की। विशेषकर स्कूल और कॉलेज के छात्रों ने फायर इक्विपमेंट की कार्यप्रणाली को समझने में गहरी रुचि दिखाई। कई उद्यमियों और उद्योग प्रतिनिधियों ने भी कहा कि इस तरह के अत्याधुनिक उपकरण उनके उद्योगों में सुरक्षा मानकों को और मजबूत करेंगे। यूपी इंटरनेशनल ट्रेड शो में फायर डिपार्टमेंट का स्टॉल तकनीकी उन्नति और आपदा प्रबंधन की तैयारी का प्रतीक बनकर उभरा। अत्याधुनिक फायर इक्विपमेंट्स ने न केवल तकनीक की ताकत को सामने रखा, बल्कि यह भी दिखाया कि जीवन की रक्षा के लिए लगातार नवाचार और तैयारी कितनी जरूरी है।

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पूर्वजों की कृपा प्राप्ति के लिए करें ये काम, इन बातों का रखें ध्यान http://www.shauryatimes.com/news/203158 Fri, 22 Aug 2025 04:24:53 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=203158 वैदिक पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन अमावस्या तक रहता है और सर्व पितृ अमावस्या के दिन समापन होता है. यह अवधि पितरों को समर्पित मानी जाती है, जो कि 15 दिनों तक चलती है. यह एक प्रकार से पितृ पक्ष पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने का समय है. इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है. इस दौरान शुभ और मांगलिक काम नहीं किए जाते हैं. इसके साथ ही पवित्र नदी में स्नान और दान करने का विशेष महत्व है. मान्यता के अनुसार, पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करने से साधक को पितृ दोष से छुटकारा मिलता है. साथ ही पितरों की कृपा प्राप्त होती है. वहीं इस बार पितृ पक्ष 07 सितंबर से शुरू हो रहे हैं.

पीपल के पेड़ की पूजा

पितृ पक्ष में पीपल के पेड़ की पूजा करना काफी फायदेमंद माना जाता है. मान्यता है कि इस पेड़ में पितरों का वास माना जाता है. इस पेड़ के पास दीपक में तेल और काले तिल डालकर जलाएं. इसके बाद पेड़ की सात बार परिक्रमा करें. इससे पितृ जल्दी प्रसन्न होते हैं और पितृ दोष दूर होता है.

पितृ चालीसा का पाठ

पितृपक्ष में रोजाना आपको पितृ चालीसा का पाठ करने से लाभ मिल सकता है. इसी के साथ गीता के सातवें अध्याय का भी पाठ करना चाहिए, क्योंकि यह अध्ययन पितृ मुक्ति और मोक्ष से जुड़ा हुआ है.

ये काम ना करें

पितृ पक्ष के समय कई विशेष नियम का पालन करना चाहिए. पितृ पक्ष में सगाई, मुंडन, उपनयन संस्कार नहीं करना चाहिए. तामसिक भोजन का सेवन भी नहीं करना चाहिए. इसके अलावा किसी नए काम की शुरुआत न करें. इस अवधि में मदिरा के सेवन से भी दूरी बनानी चाहिए. साथ ही पितृपक्ष के दौरान नाखून और बाल काटने से भी व्यक्ति को बचना चाहिए. लेकिन यह नियम केवल उनपर लागू होता है, जो तर्पण आदि करते हैं.

इन चीजों का करें दान

पितृ पक्ष में दान करने का विशेष महत्व है. इस दौरान दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और जीवन में किसी चीज की कमी का सामना नहीं करना पड़ता है. जरूरतमंदों और गरीब लोगों के बीच अन्न, कपड़े, भूमि, तिल, सोना, घी, गुड़, चांदी और नमक आदि का दान करना चाहिए.

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अब मनपसंद गाने से मूड के साथ कंट्रोल होगा ब्लड शुगर http://www.shauryatimes.com/news/198401 Thu, 17 Jul 2025 05:07:35 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=198401

डायबिटीज मरीजों के लिए खाने-पीने में बड़ा परहेज करना पड़ता है. अगर थोड़ा सा भी खाने में इधर-उधर हो जाए तो इससे तुरंत शुगर उपर-नीचे हो जाता है. वहीं अब डायबिटीज एक ऐसी बीमारी हो गई है जो कि उम्र देखकर नहीं आती है. अब ये बीमारी किसी को भी हो जाती है. जिसके लिए लोगों को दवाओं और इंसुलिन का सहारा लेना पड़ता है. अब एक शोध में कहा गया है कि मनपसंद म्यूजिक सुनकर मरीज में ब्लड शुगर कंट्रोल हो सकता है. म्यूजिक ना सिर्फ मन को शांत करता है बल्कि यह शुगर को भी कंट्रोल करता है.

रिपोर्ट में हुआ खुलासा

रिपोर्ट के मुताबिक, संगीत हम सभी को पसंद आते हैं. यह हमारे मन को शांत करता है और हमें मस्ती के मूड में लेकर आता है. यह  आम तौर पर हमारे मूड और मन की स्थिति पर अच्छा असर डालता है.मेंटल हेल्थ पर तो इसके अच्छे प्रभाव पड़ते ही है, यह डायबिटीज मरीजों को भी बहुत फायदा पहुंचाता है.  संगीत थेरेपी आपके ब्लड शुगर के स्तर को कम करने में मदद कर सकती है. यानी जो लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं, उनके लिए मनपसंद म्यूजिक बहुत फायदेमंद है.

न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज

जब हम अपनी पसंद का म्यूजिक सुनते हैं, तो दिमाग में डोपामिन नामक न्यूरोट्रांसमीटर रिलीज होता है. ये केमिकल हमें अच्छा महसूस कराता है. साथ ही, स्ट्रेस हार्मोन कोर्टिसोल की मात्रा घटती है. इससे ना सिर्फ मूड बेहतर होता है, बल्कि ब्लड शुगर कंट्रोल भी आसान हो सकता है.

हार्ट रेट में सुधार

म्यूजिक सुनने से शरीर में एंडॉरफिन भी रिलीज होते हैं. ये हमारे प्राकृतिक पेनकिलर होते हैं और मूड को बेहतर बनाते हैं. यही वजह है कि म्यूजिक थेरेपी का इस्तेमाल आजकल कैंसर, पेन मैनेजमेंट और मानसिक रोगों में भी हो रहा है. कुछ रिसर्च में पाया गया है कि म्यूजिक सुनने से ब्लड प्रेशर कम होता है, हार्ट रेट सुधरता है और इमोशनल हेल्थ बेहतर होती है. जब हमारा मानसिक तनाव कम होता है, तो डायबिटीज कंट्रोल करना भी आसान हो जाता है.

 वैज्ञानिकों ने किया प्रयोग

वैज्ञानिकों ने एक अनोखा प्रयोग किया जिसमें उन्होंने इंसुलिन छोड़ने वाली आर्टिफिशियल सेल बनाई. इसे कुछ खास फ्रीक्वेंसी (जैसे 50 Hz) के म्यूजिक पर रिएक्ट करने के लिए प्रोग्राम किया गया.

 

 

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देश की वैश्विक छवि को गंभीर चुनौती http://www.shauryatimes.com/news/196219 Thu, 03 Jul 2025 10:14:58 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=196219 नई दिल्ली:  भारत की कुछ आईटी कंपनियों पर लगे अनैतिक कार्यप्रणालियों के आरोपों ने देश की वैश्विक छवि को गंभीर चुनौती दी है। इन कंपनियों पर भाई-भतीजावाद और अंदरूनी सांठगांठ से काम हथियाने का आरोप है, जिससे भारत की एक विश्वसनीय डिजिटल टैलेंट हब की पहचान खतरे में पड़ सकती है। 2023 में भारत की सबसे बड़ी आईटी सेवा कंपनी टीसीएस में सामने आया ‘ब्राइब्स फॉर जॉब्स’ घोटाला इस संकट का पहला बड़ा संकेत था। टीसीएस की आंतरिक जांच में सामने आया कि हैदराबाद की ‘फॉरे सॉफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड’ और बेंगलुरु की ‘टैलटेक टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड’ को वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देकर अनुबंध हासिल हुए। इन कंपनियों को अन्य 1000+ सब-वेंडर्स की तुलना में पहले से स्टाफिंग की ज़रूरतों की जानकारी दे दी जाती थी, जिससे ये प्रतियोगिता से बाहर हुए बिना सीधे काम हासिल कर लेती थीं।

जांच के बाद टीसीएस ने इन दोनों कंपनियों और उनसे जुड़े अधिकारियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया। कई अन्य मल्टीनेशनल आईटी कंपनियों ने भी फॉरे सॉफ्टवेयर और इसके संस्थापक वासु बाबू वज्जा को काली सूची में डाल दिया। लेकिन मामला यहीं नहीं रुका। बेंगलुरु स्थित इंडस्ट्री ऑडिटर लक्ष्मन बाबू के अनुसार फॉरे सॉफ्टवेयर अब भी भारत और विदेशों में काम कर रही है और वेंडर सिस्टम की खामियों का फायदा उठाकर फॉर्च्यून 500 कंपनियों को गुमराह कर रही है।

इस कंपनी की अमेरिका की ईएस सर्च कंसल्टेंट्स (ES Search Consultants) के साथ साझेदारी भी जांच के घेरे में है। यह कंपनी टेक्सास में आधारित है और इसके मालिक पति-पत्नी मधु कोनेनी और मृदुला मुनगला हैं।
भर्तियों में गड़बड़ियां और एच1बी का दुरुपयोग पूर्व कर्मचारियों में से एक देबासीस पंड्या का कहना है कि एक बार ईएस सर्च का कोई कर्मचारी किसी अमेरिकी कंपनी में लग जाता है, तो वह भर्ती प्रक्रिया को प्रभावित करता है। योग्य अमेरिकी नागरिकों को जानबूझकर रिजेक्ट कर दिया जाता है ताकि ‘कमी’ का माहौल बनाया जा सके और फिर फॉरे सॉफ्टवेयर से जुड़े एच1बी वीजाधारी उम्मीदवारों को ऊंचे बिलिंग रेट्स पर पेश किया जाए।
समाचार एजेंसियों के अनुसार वास्तव में इन उम्मीदवारों को कम वेतन दिया जाता है जिससे ईएस सर्च का मुनाफा बढ़े। इस तरह की गतिविधियां न केवल अमेरिकी इमिग्रेशन नियमों का उल्लंघन कर सकती हैं, बल्कि अन्य भारतीय कंपनियों को भी नुकसान पहुंचाती हैं।

एच1बी रिकॉर्ड के अनुसार, ईएस सर्च ने WW Grainger और 7-Eleven जैसी कंपनियों को ‘सेकेंडरी एंटिटी’ बताया है — यानी ऐसे स्थान जहां कर्मचारी को तैनात किया जाता है। दिलचस्प बात यह है कि मधु कोनेनी खुद WW Grainger में फुलटाइम नौकरी करती हैं, जिससे हितों के टकराव और पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं। फॉरे और ईएस सर्च केवल अपने करीबी रिश्तेदारों और दोस्तों को ही भर्ती करते हैं। इस “तेलुगु माफिया” मॉडल के कारण देश के अन्य हिस्सों के काबिल इंजीनियरों को अवसर नहीं मिल पाता और निष्पक्ष प्रतियोगिता प्रभावित होती है। गुडगाँव स्थित टेक एंटरप्रेन्योर विश्वास कुमार, जिन्होंने अमेरिका का एक प्रोजेक्ट ऐसे ही अनैतिक नेटवर्क के चलते गंवाया, ने कहा भारत की आईटी इंडस्ट्री की नींव ईमानदारी और कौशल पर टिकी है। कुछ लालची लोगों के कारण पूरे देश का भरोसा दांव पर लग सकता है।

कुमार का कहना है कि भारत इस समय अमेरिका के साथ स्किल्ड वर्कफोर्स, डिजिटल गवर्नेंस और टेक्नोलॉजी सहयोग के नए अध्याय खोल रहा है। ऐसे में किसी भी तरह की अनैतिकता भारत की साख को नुकसान पहुंचा सकती है।
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फार्म मशीनरी की स्थापना के साथ ही कृषि ड्रोन, कृषि यंत्रों आदि पर दिया जा रहा अनुदान http://www.shauryatimes.com/news/195267 Sat, 28 Jun 2025 09:34:59 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=195267 लखनऊ: किसानों का कल्याण ही उत्तर प्रदेश की नई पहचान बन गई है। किसानों की खेती को बढ़ाने के साथ ही उत्पादन अधिक और लागत कम की अवधारणा पर योगी सरकार काम कर रही है। इसी के तहत किसानों को कृषि ड्रोन व कृषि यंत्र की खरीद पर निरंतर अनुदान दिया जा रहा है। अनुदान प्राप्त करने के लिए वर्तमान में आवेदन प्रारंभ हो गया है। किसान इसके लिए 12 जुलाई तक www.agridarshan.up.gov.in पर बुकिंग कर सकेंगे। इसी पोर्टल के जरिए ही संपूर्ण विवरण प्राप्त कर सकते हैं।

www.agridarshan.up.gov.in पर करना होगा आवेदन

किसानों को कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए www.agridarshan.up.gov.in पर आवेदन करना होगा। बुकिंग 27 जून से प्रारंभ हुआ है, जो 12 जुलाई तक चलेगा। पोर्टल पर किसान कॉर्नर के अंतर्गत यंत्र बुकिंग प्रारंभ पर क्लिक करके ऑनलाइन आवेदन करना होगा। यंत्रों के विवरण, यंत्र बुकिंग व अनुदान प्रक्रिया से संबंधित जानकारी भी इसी पोर्टल पर उपलब्ध होगी।

कृषि विभाग द्वारा संचालित योजनाओं पर मिलेगा लाभ

कृषि विभाग द्वारा संचालित सब मिशन ऑन एग्रीकल्चरल मैकेनाइजेशन, मैकेनाइजेशन फॉर इन सीटू मैनेजमेंट ऑफ क्रॉप रेज्ड्यू व अन्य योजना के हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग, कस्टम हायरिंग सेंटर, फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना, कृषि ड्रोन, फसल अवशेष प्रबंधन के प्रमुख कृषि यंत्र व कृषि रक्षा उपकरण इत्यादि पर अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

इन कृषि यंत्रों पर अनुदान का लाभ प्राप्त कर सकेंगे कृषक

कृषि विभाग के मुताबिक हाईटेक हब फॉर कस्टम हायरिंग, कस्टम हायरिंग सेंटर, फॉर्म मशीनरी बैंक, किसान ड्रोन, कंबाइन हार्वेस्टर विद सुपर एसएमएस, न्यूमेटिक प्लांटर, मेज सेलर, पॉपिंग मशीन, बैच ड्रायर, थ्रेसिंग फ्लोर, स्मॉल गोदाम, ऑयल एक्सट्रैक्शन यूनिट/ मिनी एक्सट्रैक्शन यूनिट, शुगर केन सेटलिंग प्लांटर, शुगर केन पॉवर वीडर/इंटर रो कम इंट्रा रो वीडर (पीटीओ ऑपरेटेड) एवं अन्य कृषि यंत्रों पर अनुदान प्रदान किया जा रहा है।

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भारत में एआई वृद्धि के लिए एडिशनल 45-50 मिलियन वर्ग फीट रियल एस्टेट स्पेस की जरूरत : रिपोर्ट http://www.shauryatimes.com/news/188218 Thu, 08 May 2025 10:30:46 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=188218 नई दिल्ली। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग बढ़ने के साथ ही देश को इसे पूरा करने के लिए 2030 तक एडिशनल 45-50 मिलियन वर्ग फीट रियल एस्टेट स्पेस और 40-45 टेरावाट घंटे (टीडब्ल्यूएच) अतिरिक्त बिजली की जरूरत हो सकती है। यह जानकारी गुरुवार को आई एक रिपोर्ट में दी गई।

डेलॉइट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत डेटा केंद्रों के विकास के लिए लागत लाभ, रिन्यूएबल एनर्जी पर ध्यान केंद्रित करने और एक रणनीतिक स्थान प्रदान करता है।

रिपोर्ट में आगे सुझाव दिया गया है कि भारत को वैश्विक एआई हब के रूप में स्थापित करने में लक्षित नीतिगत हस्तक्षेप महत्वपूर्ण होंगे।

रिपोर्ट में भारत के लिए छह प्रमुख स्तंभों की पहचान की गई है ताकि देश विश्व में अग्रणी और एआई-रेडी इकोसिस्टम के निर्माण में अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सके।

ये स्तंभ रियल एस्टेट, पावर एंड यूटिलिटी इंफ्रास्ट्रक्चर, कनेक्टिविटी एंड नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर, कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर, टैलेंट एंड पॉलिसी फ्रेमवर्क हैं।

डेलॉइट इंडिया के पार्टनर एस अंजनी कुमार ने कहा, भारत को अपनी एआई क्षमताओं में तेजी लाने और अपनी क्षमता का एहसास करने के लिए इस क्षेत्र का समर्थन करने के लिए सक्षम नीतियों को पेश करना आवश्यक है। डेटा एनालिटिक्स और प्रोसेसिंग की इस बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए भारत को अपना एआई-रेडी इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करना चाहिए।

उन्होंने कहा, इसके अलावा, रिसर्च एंड डेवलपमेंट (आरएंडडी) को मजबूत करना, टैलेंट पाइपलाइन में सुधार करना, स्थानीय डेटासेट को सुरक्षित करना और सहायक नीतियां एआई-ड्रिवन विकास को और तेज करेंगी। विकास और निवेश के प्रमुख क्षेत्रों को संबोधित कर और मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देकर, भारत ग्लोबल एआई इकोसिस्टम लीडर के रूप में अपनी स्थिति को मजबूत कर सकता है।

भारत का रणनीतिक स्थान इसे घरेलू और वैश्विक बाजारों को प्रभावी ढंग से सेवा देने की अनुमति देता है, जो इसे वैश्विक डेटा सेंटर इकोसिस्टम में एक महत्वपूर्ण नोड के रूप में स्थापित करता है।

डेलॉइट इंडिया की पार्टनर नेहा अग्रवाल ने कहा, हालांकि, ग्लोबल एआई हब बनने के भारत के विजन के लिए पारंपरिक डेटा सेंटर इंफ्रास्ट्रक्चर पर फिर से विचार करने की जरूरत है।

उन्होंने आगे कहा, नीतिगत ढांचे पर पुनर्विचार के साथ उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूट इंफ्रास्ट्रक्चर, स्केलेबल पावर, कूलिंग सिस्टम और कुशल नेटवर्किंग इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण पर अधिक ध्यान देने से भारत आने वाले वर्षों में एआई-संचालित डेटा सेंटर विकास के लिए एक हॉटस्पॉट बन सकता है।

रिपोर्ट इस बात पर प्रकाश डालती है कि कोलोकेशन मॉडल में बढ़ती रुचि और विभिन्न राज्य सरकार डेटा सेंटर नीतियों के तहत प्रोत्साहन देने वाली सरकारी पहल विकास को बढ़ावा देने में मदद कर रही है।

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एआई पर 76 प्रतिशत भारतीयों को भरोसा, वैश्विक औसत 46 प्रतिशत से काफी अधिक : रिपोर्ट http://www.shauryatimes.com/news/187747 Tue, 06 May 2025 10:12:18 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=187747 नई दिल्ली। भारत में करीब 76 प्रतिशत लोग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करने को लेकर आश्वस्त हैं। यह आंकड़ा वैश्विक औसत 46 प्रतिशत से काफी अधिक है। यह जानकारी मंगलवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

47 देशों के 48,000 लोगों से बातचीत के आधार पर केपीएमजी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में बताया गया कि भारत एआई को अपनाने और उस पर विश्वास में ग्लोबल लीडर है।

रिपोर्ट में बताया गया कि भारत न केवल एआई के बारे में अधिक आशावादी है, बल्कि दैनिक की जिंदगी और कार्यस्थल में इसका उपयोग करने के लिए अधिक तैयार भी है।

रिपोर्ट में आगे कहा गया कि सर्वे में भाग लेने वाले 90 प्रतिशत भारतीय लोगों ने कहा कि एआई ने विभिन्न क्षेत्रों में पहुंच और प्रभावशीलता में सुधार किया है, जिससे यह देश में एक परिवर्तनकारी शक्ति बन गई है।

इसके साथ ही 97 प्रतिशत भारतीयों ने बताया कि वह काम में एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं और 67 प्रतिशत ने माना है कि वह एआई के बिना अपने टास्क को पूरा नहीं कर सकते हैं।

वहीं, वैश्विक स्तर पर केवल 58 प्रतिशत कर्मचारी ही काम के स्थान पर एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं।

इस रिपोर्ट को मेलबर्न बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर निकोल गिलेस्पी और डॉ स्टीव लॉकी ने केपीएमजी के सहयोग से तैयार किया है।

केपीएमजी इंडिया के अखिलेश टुटेजा ने कहा कि रिपोर्ट के निष्कर्ष बताते हैं, भारत नैतिक और इनोवेटिव एआई उपयोग में दुनिया का नेतृत्व करने के लिए अच्छी स्थिति में है।

रिपोर्ट में बताया गया कि एडवांस अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत में एआई का प्रशिक्षण और समझ अधिक है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वे में भाग लेने वाले लगभग 78 प्रतिशत भारतीयों को एआई का उपयोग करने की अपनी क्षमता पर भरोसा है और 64 प्रतिशत ने किसी न किसी रूप में एआई प्रशिक्षण प्राप्त किया है और 83 प्रतिशत को लगता है कि वे एआई उपकरणों का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकते हैं।

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भारत में किफायती 5जी फोन सेगमेंट 100 प्रतिशत बढ़ा, एप्पल प्रीमियम स्मार्टफोन में रहा आगे http://www.shauryatimes.com/news/187623 Tue, 06 May 2025 06:06:29 +0000 https://www.shauryatimes.com/?p=187623 नई दिल्ली। भारतीय बाजार में जनवरी-मार्च तिमाही में 5जी स्मार्टफोन सेगमेंट की हिस्सेदारी 86 प्रतिशत रही और इसमें सालाना आधार पर 14 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।

साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) की रिपोर्ट के मुताबिक, 8,000 रुपए से 13,000 रुपए की कीमत वाले 5जी स्मार्टफोन सेगमेंट में 100 प्रतिशत की बढ़त हुई है, जो दिखाता है कि देश में किफायती 5जी फोन की मांग बढ़ रही है।

5जी स्मार्टफोन मार्केट में 21 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ वीवो शीर्ष पर है। इसके बाद 19 प्रतिशत के साथ सैमसंग दूसरे स्थान पर है।

5जी और एआई-रेडी स्मार्टफोन की बढ़ती मांग के कारण प्रीमियम सेगमेंट भी तेजी से बढ़ रहा है।

सीएमआर में वरिष्ठ विश्लेषक मेनका कुमारी ने कहा,10,000 रुपए और उससे कम के 5जी स्मार्टफोन सेगमेंट में 2025 की पहली तिमाही में सालाना आधार पर 500 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। यह किफायती 5जी स्मार्टफोन सेगमेंट में ग्राहकों की बढ़ती रुचि को दिखाता है।

उन्होंने आगे कहा कि शाओमी, पोको, मोटोरोला और रियलमी जैसे ब्रांड इस तेजी को लीड कर रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि किफायती स्मार्टफोन सेगमेंट में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि वैल्यू-फॉर-मनी सेगमेंट में 6 प्रतिशत की गिरावट हुई है। यह दिखाता है कि लोग प्रीमियम स्मार्टफोन की ओर शिफ्ट हो रहे हैं।

वहीं, एप्पल ने सालाना आधार पर 25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है और कंपनी का मार्केट शेयर 8 प्रतिशत रहा। इसकी वजह प्रीमियम स्मार्टफोन की मांग बढ़ना और भारत में कंपनी की रिटेल सेगमेंट में पहुंच बढ़ना है।

सीएमआर का मानना है कि भारत के स्मार्टफोन मार्केट में एकल अंक में वृद्धि जारी रहेगी।

साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) के उपाध्यक्ष प्रभु राम ने कहा, आने वाली तिमाहियों में भारत के स्मार्टफोन बाजार को तीन ताकतें आकार देंगी, जिसमें किफायती 5जी सेगमेंट का मुख्यधारा में आना, ऑन-डिवाइस एआई का तेजी से समावेश और आपूर्ति श्रृंखला स्थानीयकरण शामिल है।

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