अकाली दल ने दबाव बढ़ाया तो हाथ झटकने में देर नहीं लगाएगी BJP – Shaurya Times | शौर्य टाइम्स http://www.shauryatimes.com Latest Hindi News Portal Thu, 20 Jun 2019 06:08:41 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=6.8.3 दोस्‍ती पर संकट, अकाली दल ने दबाव बढ़ाया तो हाथ झटकने में देर नहीं लगाएगी BJP http://www.shauryatimes.com/news/45999 Thu, 20 Jun 2019 06:08:41 +0000 http://www.shauryatimes.com/?p=45999 हरियाणा में भाजपा और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) की दोस्‍ती पर संकट है। हरियाणा की 30 विधानसभा सीटों पर टिकट की दावेदारी जताते हुए शिरोमणि अकाली दल ने भाजपा पर दबाव बढ़ा दिया है। जिस तरह से लोकसभा चुनाव के नतीजे आए, उसके मद्देनजर नहीं लगता कि भाजपा हरियाणा में अकाली दल को अधिक अहमियत देगी। विधानसभा चुनाव में कम से कम 30 सीटें छोडऩे का अकाली दल का दबाव ज्यादा ही बढ़ा तो दोनों दलों की दोस्ती पर संकट के बादल मंडरा सकते हैं। शिअद ने ज्‍यादा दबाव बढ़ाया तो हरियाणा मेें भाजपा उससे हाथ झटकने में देर नहीं लगाएगी।

हरियाणा में अकाली दल मांग रहा भाजपा से 30 विधानसभा सीटें, भाजपा मूड में नहीं

पंजाब में अकाली दल और भाजपा का बरसों पुराना साथ है। लोकसभा चुनाव में जब अकाली दल ने हरियाणा में चुनाव लडऩे की रणनीति तैयार की थी, तब भरोसा दिलाया गया कि अकाली इस चुनाव में भाजपा का साथ दें, इसकी एवज में अकाली दल के लिए विधानसभा चुनाव में कुछ सीटें छोड़ी जा सकती हैं। उस समय सीटों की संख्या पर कोई बातचीत नहीं हुई थी, लेकिन अब अकाली दल ने हरियाणा में कम से कम 30 विधानसभा सीटें मांग ली हैं।

हरियाणा में अकालियों से पंजाब का बदला ले रही भाजपा

हरियाणा में भाजपा के लिए अकाली दल की अहमियत उतनी ही है, जितनी पंजाब में अकाली दल के लिए भाजपा की है। पंजाब में अकाली दल ने भाजपा को कभी पनपने नहीं दिया। इसी फार्मूले पर अब भाजपा हरियाणा में चल रही है और अकाली दल को उसकी मांग के अनुरूप किसी सूरत में 30 टिकट देने को तैयार नहीं है। भाजपा के प्रांतीय नेताओं का मानना है कि अगर अकाली दल वास्तव में चुनाव लडऩा चाहता है तो उसके लिए पांच सीटें छोड़ी जा सकती हैं। यह सीटें कौन सी होंगी, इसका निर्धारण भी भाजपा खुद ही करेगी।

भाजपा की इस पेशकश पर यदि अकाली नेता तैयार नहीं हुए तो दोनों दलों के बीच दूरियां बढ़ने की संभावना से इन्‍कार नहीं किया जा सकता। दोनों दलों के बीच इन दूरियों का असर पंजाब में अकाली दल व भाजपा के रिश्तों पर पड़ना स्वाभाविक है। शुरू में अकाली दल के नेताओं को कम से कम सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार करने की कोशिश रहेगी। इसमें सफलता नहीं मिली तो अकाली दल और भाजपा के रिश्ते जुदा होना तय हैं, जिसकी नींव हरियाणा से पड़ सकती है।

भाजपा ने हरियाणा में लोकसभा चुनाव के दौरान 90 में से 79 विधानसभा सीटों पर बढ़त हासिल की है। इसके बावजूद पार्टी ने कम से कम 75 विधानसभा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बाकी 15 सीटों पर भी भाजपा ने अपनी दावेदारी नहीं छोड़ी, लेकिन उसका टारगेट 75 सीटें जीतने का ही है। इसमें यदि बढ़ोतरी होती है तो यह भाजपा के लिए बोनस होगा। इन्हीं 15 सीटों में से पांच सीटें भाजपा अपनी सहयोगी पार्टी अकाली दल को देने की पेशकश कर सकती है।

अकाली दल के नेताओं ने भाजपा हाईकमान से मांगा मिलने का समय

अकाली दल नेताओं ने भाजपा हाईकमान से मुलाकात के लिए समय मांगा है। अकाली दल का दावा है कि हरियाणा की कुरुक्षेत्र, करनाल, सिरसा और अंबाला लोकसभा सीटों की 15 से 20 विधानसभा सीटें सिख बाहुल्य हैं। इन सीटों पर अकाली दल की पकड़ मजबूत है। इसलिए यह सीटें अकाली दल को आवंटित की जाएं। शुरू में हरियाणा में अकाली दल और इनेलो मिलकर चुनाव लड़ते रहे हैं, मगर एसवाईएल नहर निर्माण के मुद्दे पर दोनों दलों के राजनीतिक रिश्ते खत्म हो गए। इसके बावजूद बादल व चौटाला परिवार के पारिवारिक रिश्ते अभी भी कायम हैं। यदि अकाली दल और भाजपा की राजनीतिक राहें जुदा हुई तो चौटाला व बादल परिवार के राजनीतिक रिश्तों को आक्सीजन मिल सकती है।

‘अकाली दल हरियाणा में चुनाव लड़ने को तैयार’

लोकसभा चुनाव में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के भरोसे के बाद अकाली दल मैदान से हट गया था। अकाली दल ने लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा की पूरी मदद की, जिसके बाद भाजपा की सबी 10 सीटों पर जीत हुई। अब अकाली दल द्वारा अमित शाह को प्रस्ताव दिया गया है कि हरियाणा भाजपा व अकाली दल की संयुक्त बैठक हाईकमान की मौजूदगी में कराई जाए, जिसमें सीटों के आवंटन पर फैसला हो सके। अकाली दल हरियाणा में विधानसभा चुनाव लडऩे के लिए तैयार है।

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